Velocity Remains Constant Throughout Motion Notes

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Velocity Remains Constant Throughout Motion Notes:-

 

प्रश्न 14. (अ) किसी कण पर कार्यरत किसी अक्ष के परितः बलाघूर्ण तथा कण के उसी अक्ष के परितः कोणीय संवेग की परिभाषाएँ दीजिए। दर्शाइए कि किसी कण के कोणीय संवेग-परिवर्तन की दर कण पर कार्यरत बलाघूर्ण के बराबर होती है। 

Define torque acting on a particle about an axis and its angular momentum of the particle about the same axis. Show that the time-rate of change of angular momentum of a particle is equal to the torque acting on it. 

(ब) दर्शाइए कि नियत वेग से गतिमान कण का किसी बिन्दु के परितः कोणीय संवेग नियत रहता है। 

Show that the angular momentum about any point of a single particle moving with constant velocity remains constant throughout the motion. 

उत्तर : (अ) किसी कण पर कार्यरत बलाघूर्ण— किसी पिण्ड में किसी अक्ष के परितः कोणीय त्वरण उत्पन्न करने के लिए बलाघूर्ण की आवश्यकता होती है। माना कोई बल F केवल एक कण P पर लगता है, जिसका किसी निर्देश-तन्त्र में मूलबिन्दु 0 के सापेक्ष स्थिति वेक्टर r है (चित्र-17)। कण पर मूलबिन्दु 0 के परितः बलाघूर्ण 7 स्थिति वेक्टर r तथा बल F के वेक्टर गुणन के बराबर होगा

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इससे स्पष्ट है कि जब बल, r के लम्बवत् लगाया जाता है (अर्थात् 0 = 90) बलाघूर्ण अधिकतम होगा। यही कारण है कि किसी दरवाजे को बन्द करने तथा खोलने लिए बल (हाथ द्वारा लगाया गया) दरवाजे के बाहरी सिरे पर तथा लम्बवत् लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त, बलाघूर्ण मूलबिन्दु के सापेक्ष बल लगाए जाने वाले बिन्दु की स्थिति पर भी निर्भर करता है। यदि बल मूलबिन्दु पर लगाया जाएगा (अर्थात् r = 0) तो 0 के परितः बलाघूर्ण शून्य होगा। यही कारण है कि हम किसी दरवाजे को उसके कब्जे पर बल लगाकर उसे खोल अथवा बन्द नहीं कर सकते हैं। 

 

किसी कण का कोणीय संवेग— माना द्रव्यमान m का एक कण P है जिसका एक निर्देश-तन्त्र में मूलबिन्दु O के सापेक्ष स्थिति वेक्टर r है (चित्र-18)। माना कण का रेखीय संवेग p (= mv) है। तब कण के मूलबिन्दु O के परितः कोणीय संवेग 1, स्थिति वेक्टर r तथा रेखीय संवेग p के वेक्टर गुणन के बराबर होगा

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जहाँ pie, r तथा p के बीच कोण है तथा इसकी दिशा  r व p के तल के लम्बवत् है। चित्र में r तथा p, X.Y तल में हैं। अत: कोणीय संवेग 1, Z-अक्ष की ‘धन’ दिशा में होगा। यह स्पष्ट है कि O के परितः कोणीय संवेग शून्य होगा यदि p की क्रिया-रेखा O से गुजरे (अर्थात् r = 0) अथवा व p के बीच कोण 0 या 180° हो।

 

बलाघूर्ण तथा कोणीय संवेग में सम्बन्ध— वेक्टर समीकरण (2) का समय के सापेक्ष अवकलन करने पर,

 

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स्पष्ट है कि किसी कण के कोणीय संवेग के समय-परिवर्तन की दर, कण पर कार्यरत बलाघूर्ण के बराबर होती है। 

(ब) नियत वेग से गतिमान कण का कोणीय संवेग— समीकरण (3) से,

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प्रश्न 15. किसी पिण्ड पर एक दी हुई अक्ष के परितः आरोपित बलाघूर्ण तथा उत्पन्न कोणीय त्वरण में सम्बन्ध स्थापित कीजिए। सिद्ध कीजिए कि पिण्ड के कोणीय संवेग के परिवर्तन की दर आरोपित बलाघूर्ण के बराबर होती है।

Establish a relation between the torque applied and the angular acceleration produced in a body about a given axis. Hence, show that the rate of change ofangular momentum of the body equals the torque on it. 

 

उत्तर : बलाघूर्ण तथा कोणीय त्वरण में सम्बन्ध-चित्र-19(a) में एक दृढ़ पिण्ड का परिच्छेद दिखाया गया है जो एक जड़त्वीय निर्देश तन्त्र में एक स्थिर अक्ष (माना Z-अक्ष) के परितः घूमने के लिए स्वतन्त्र है। जब X-Y तल में इस पिण्ड पर एक बाह्य बल लगाया जाता है तो इस बल का Z-अक्ष के परितः आघूर्ण, पिण्ड में एक कोणीय त्वरण उत्पन्न करता है जिससे पिण्ड Z-अक्ष के परितः घूमता है।

बलाघूर्ण तथा उत्पन्न कोणीय त्वरण में सम्बन्ध ज्ञात करने के लिए माना एक कण P. पर, जिसकी मूलबिन्दु 0 के सापेक्ष वेक्टर स्थिति है, बल F लग रहा है। तब P पर लगने वाला बलाघूर्ण, जिसे सम्पूर्ण पिण्ड पर लगा बलाघूर्ण लिया जा सकता है, निम्नलिखित होगा

 

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जो Z-अक्ष के अनुदिश ऊपर की ओर दिष्ट है (दाएँ हाथ के नियम से)।

माना पिण्ड अनन्त-सूक्ष्म समयान्तराल dt में अनन्त-सूक्ष्म कोण de से वामावर्त दिशा में , घूमता है। इस समयान्तराल में कण P, त्रिज्या r की वृत्तीय चाप पर स्थिति P(t) से Pt+ dt) तक घूमता है [चित्र-19(b)]। माना P द्वारा चाप के अनुदिश चली गई दूरी ds है, जहाँ

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प्रश्न 16. पुरस्सरण किसे कहते हैं? सममित लट्ट की गति का वर्णन कीजिए। दर्शाइए कि पुरस्सरण कोणीय वेग, घूर्णन अक्ष के उर्ध्व से झुकाव पर निर्भर नहीं करता। 

What is precession? Discuss the motion of a symmetric top. Show that the precessional angular velocity does not depend upon the inclination of axis of rotation with the vertical.

 

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उत्तर : पुरस्सरण— जब घूमते हुए किसी पिण्ड पर कोई ऐसा बलाघूर्ण लगाया जाता है जिसकी अक्ष पिण्ड की घूर्णन-अक्ष के लम्बवत् है, तब पिण्ड के घूर्णन की दर नियत रहती है, परन्तु घूर्णन-अक्ष की दिशा बदलती रहती है। घूर्णन-अक्ष के इस घूमने को पुरस्सरण कहते हैं। वह अक्ष जिसके परित: पिण्ड की घूर्णन-अक्ष की दिशा बदलती है, पुरस्सरण-अक्ष कहलाती है।

पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र में चक्रण करते लटू का पुरस्सरणकिसी अक्ष के परितः चक्रण करते सममित पिण्ड को, जिसका एक बिन्दु स्थिर हो, लटू कहते हैं।

 

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में लटू को अपनी स्वयं की सममित अक्ष के परितः कोणीय वेग  w से चक्रण करते दिखाया गया है। स्थिर बिन्दु O, जड़त्वीय निर्देश-तन्त्र के मूलबिन्दु पर है। लटू के कोणीय संवेग को घूर्णन-अक्ष के अनुदिश ऊपर की ओर को इंगित करते हुए (दाएँ हाथ के नियमानुसार) वेक्टर L द्वारा दिखाया गया है। इस अक्ष का ऊर्ध्व से झुकाव कोण 0 में है।

माना लटू का द्रव्यमान केन्द्र C है जिसका O के सापेक्ष स्थिति-वेक्टर r है। द्रव्यमान केन्द्र C पर लगने वाला लटू का भार mg, बिन्दु 0 के परितः एक बलाघूर्ण : लगाता है, जहाँ

 

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समीकरण (1) से 7 का मान रखने पर,

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यह लटू के पुरस्सरण कोणीय वेग का व्यंजक है। इस सूत्र से दो निष्कर्ष प्राप्त होते हैं

(i) पुरस्सरण कोणीय वेग, चक्रण करते लटू की घूर्णन-अक्ष के ऊर्ध्व से झकाव (कोण 0) पर निर्भर नहीं है।

(ii) पुरस्सरण की दर चक्रण करते लटू के कोणीय संवेग के व्युत्क्रमानुपाती है। इसी कारण कोणीय संवेग L जैसे-जैसे घटता जाता है तथा पुरस्सरण उतना ही तीव्र होता जाता है।

पुरस्सरण वेग को Z-अक्ष के अनुदिश ऊपर की ओर को दिष्ट वेक्टर wp, से व्यक्त करते हैं [चित्र-20(b)]। अब, समीकरण (2) से,

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प्रश्न 17. यंग-प्रत्यास्थता गुणांक, आयतनात्मक प्रत्यास्थता गुणांक, दृढ़ता गुणांक तथा पॉयसन-निष्पत्ति की परिभाषाएँ दीजिए।‘ ‘ 

Define Young’s Modulus, Bulk Modulus, Modulus of Rigidity, and Poisson’s ratio. 

 

उत्तर : यंग-प्रत्यास्थता गुणाक-प्रत्यास्थता की सीमा के भीतर, अनुदैर्ध्य प्रतिबल तथा अनुदैर्घ्य विकृति के अनुपात को उस वस्तु के पदार्थ का यंग-प्रत्यास्थता गुणांक कहते हैं। इसे ‘Y’ से प्रदर्शित करते हैं।

के मात्रक न्यूटन/मीटर2 तथा इसका विमीय सूत्र [ML-1T-2] है। Y का मान केवल ठोस वस्तुओं के लिए ही निकाला जा सकता है।

 

माना किसी तार की लम्बाई । तथा अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल a है। माना इसके सिरों पर लम्बाई के अनुदिश बराबर तथा विपरीत बल F लगाने पर, इसकी लम्बाई में     J वृद्धि हो जाती है, तब

 

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अतः तार के पदार्थ का यंग-प्रत्यास्थता गुणांक

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Y के मात्रक तथा विमाएँ प्रतिबल के समान होती हैं।

आयतनात्मक प्रत्यास्थता गुणांक-प्रत्यास्थता की सीमा के भीतर, अभिलम्ब प्रतिबल तथा आयतन विकृति के अनुपात को वस्तु के पदार्थ का आयतनात्मक प्रत्यास्थता गुणाक कहते हैं। इसे ‘K’ से प्रदर्शित करते हैं।

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उत्तर : माना J भुजा का एक घन है, जिसकी भुजाएँ निर्देशांक अक्षों X, Y, Z के समान्तर हैं। माना घन के फलकों पर निर्देशांक अक्षों के समान्तर तथा आपस में बराबर तनन प्रतिबल (tensile stress) P लगाए गए हैं। प्रत्येक तनन प्रतिबल के कारण तनन प्रतिबल की दिशा में घन का विस्तार तथा शेष दो लम्ब दिशाओं में घन का संकुचन होता है। विस्तार एवं . संकुचन की गणना अग्रलिखित प्रकार से कर सकते हैं

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(5) समीकरण (1), (2), (3), (4) तथा (5) प्रत्यास्थता स्थिरांकों में सम्बन्ध के सूत्र हैं।

 

प्रश्न 19. एक आयताकार छड़ जो दो क्षुरधारों पर टिकी है, के मध्य-बिन्द पर भार लटकाया जाता है। उस बिन्दु पर उत्पन्न झुकाव के लिए व्यंजक स्थापित कीजिए।

A rectangular bar is supported by two knife edges, is loaded by weight at its middle point. Establish the expression for depression of these middle points.

 

उत्तर : मध्य-बिन्दु पर भारित छड़-माना कि PQ (चित्र-24) आयताकार अनप्रस्थ काट की एक छड़ है। यह दो क्षैतिज क्षुरधारों K व K2 पर सममित रूप से रखी है तथा इसके मध्य-बिन्दु D पर एक भार W लटकाया गया है। चूँकि छड़ सन्तुलन में है, अतः प्रत्येक क्षुरधार पर प्रतिक्रिया-बल W/2 ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर को कार्यरत है। भार के कारण,

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माना कि निर्देशांक अझ x तथा y कैन्टीलीवर की लम्बाई (मुड़ने से पहल) . समान्तर तथा लम्ब दिशा में हैं (चित्र-22)। मूलबिन्द, D पर है। माना कि C पर उत्थापन ) है। इस प्रकार, C के निर्देशांक (x, 3) हैं। यदि उत्थापन लघु हो, तो C पर वक्रता त्रिज्या

 

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यही वास्तविक छड़ के मध्य-बिन्दु D पर अवनमन (depression) है।

 

प्रश्न 20. (अ) समान्तर अक्षों का प्रमेय लिखिए तथा सिद्ध कीजिए। State and prove theorem of parallel axes. (ब) लम्ब अक्षों का प्रमेय लिखिए तथा सिद्ध कीजिए। State and prove theorem of perpendicular axes. 

उत्तर : (अ) समान्तर अक्षों का प्रमेय“किसी पिण्ड का किसी अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण (1), उस पिण्ड के द्रव्यमान केन्द्र (centre of mass) में से होकर जाने वाली एक अन्य समान्तर अक्ष के परित: जड़त्व-आघूर्ण(I…m) तथा पिण्ड के द्रव्यमान व दोनों अक्षों के बीच की लम्ब-दूरी के वर्ग के गुणनफल के योग के बराबर होता है।”

इस प्रकार, I = Icm + Mh2

जहाँ M पिण्ड का द्रव्यमान है तथा h दोनों अक्षों के बीच की लम्ब दूरी है। इसे समान्तर अक्षों का प्रमेय कहते हैं।

सिद्ध करनाचित्र-26 में एक समतल पटल (plane lamina) दिखाया गया है, जिसका द्रव्यमान केन्द्र Cहै। माना इसका जड़त्व-आघूर्ण अक्ष AB के परित: है तथा अक्ष EF के परित: Icm है।

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माना दोनों अक्षों के बीच की लम्ब-दूरी h है।

माना अक्ष EFसे r दूरी पर एक कण P है, जिसका द्रव्यमान m है। स्पष्ट है कि इस कण की अक्ष AB से दूरी (r + h) होगी, अत: पूरे पटल का अक्ष AB के परितः जड़त्व-आघूर्ण

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(ब) लम्ब अक्षों का प्रमेय— “किसी समतल पटल का उसके तल में ली गई दो परस्पर लम्बरूप अक्षों के परित: जड़त्व-आघूर्णों का योग, इन अक्षों के प्रतिच्छेद-बिन्दु में से होकर जाने वाली तथा पटल के तल के लम्बरूप अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण के बराबर

होता है।”

 

सिद्ध करना— चित्र-27 में एक पटल दिखाया गया है, जिसके तल में दो लम्बरूप अक्ष OX तथा OY ली गई हैं। अक्ष OZ, पटल के तल के लम्बरूप है तथा OX तथा OY के प्रतिच्छेद-बिन्दु O में को गुजरती है। माना अक्ष OZ से r दूरी पर एक कण P है, जिसका द्रव्यमान m है। इस कण का OZ के परितः जड़त्व-आघूर्ण mr2 होगा, अत: पूरे पटल का अक्ष OZ के परितः जड़त्व-आघूर्ण

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यही लम्ब अक्षों का प्रमेय है।

 

प्रश्न 21. (अ) ऐंठन कोण एवं अपरूपण कोण में अन्तर कीजिए।

Distinguish between Angle of Twist and Angle of Shear. 

 

(ब) एक सिरे पर दृढ़ एकसमान बेलन को मरोड़ने के लिए आवश्यक बलयुग्म का सूत्र निगमित कीजिए। 

Deduce an expression for the couple required to twist a uniform cylinder fixed at one end. 

 

उत्तर :                           (अ) ऐंठन कोण तथा अपरूपण कोण में अन्तर 

माना एक एकसमान बेलनाकार छड़, जिसका ऊपरी सिरा किसी शिकंजे में जकड़ कर स्थिर कर दिया गया है, ऊर्ध्वाधर लटकी है [चित्र-28 (a)]

Image 64a

 

माना छड़ के निचले सिरे पर क्षैतिज तल में एक बाह्य बलयुग्म लगाया जाता है। इसके फलस्वरूप छड़ की प्रत्येक अनुप्रस्थ-काट कुछ कोण से घूम जाती है। इस कोण को ऐंठन कोण (angle of twist) कहते हैं। इस कोण का मान स्थिर सिरे पर शून्य तथा मुक्त सिरे पर अधिकतम होता है। चित्र-28 (a) के अनुसार, निचले मुक्त सिरे की अनुप्रस्थ काट की त्रिज्या OB कोण से घूमकर नई स्थिति OB’ में आ जाती है। अत: मुक्त सिरे पर ऐंठन कोण है।

 

इसके अतिरिक्त, छड़ के ऐंठने पर, छड़ की बाहरी परत पर ली गई कोई रेखा (जैसे ABO कोण से घूमकर नई स्थिति (जैसे-AB’) में पहुँच जाती है। यहाँ (= LBAB’) अपरूपण कोण (angle of shear) है। इसे समझने के लिए, माना बाहरी परत छड़ से पृथक् कर ली गई है। यदि ऐंठन देने से पहले इसे AB की दिशा में काटकर सीधा कर लिया जाए तो यह एक आयत ABCD का रूप धारण कर लेती है |चित्र-28 (b)]। परन्तु यदि इसे ऐंठन दिए जाने के बाद AB’ दिशा में काटकर सीधा किया जाए तब यह एक समान्तर चतुभुज AB’C’D का रूप धारण करती है। स्पष्ट है इस दशा में अपरूपण (shape strain) हा . रहा है, तथा कोण BAB (=0) अपरूपण कोण है। यह कोण छड़ की बाहरी परत के लिए अधिकतम तथा सबसे भीतरी परत के लिए शून्य है।

 

(ब) बेलनाकार छड़ पर ऐंठनकारी बलयुग्म

 

माना एक बेलनाकार छड़, जिसकी लम्बाई 1 तथा त्रिज्या r है, ऊपरी सिरे से ऊर्ध्वाधर लटकी है तथा ऊपरी सिरा दृढ़ता से स्थिर है (चित्र-29)। माना 0′ तथा 0 क्रमश: ऊपरी तथा निचले सिरों के केन्द्र हैं। माना एक बाह्य ऐंठनकारी (अथवा मरोड़ी) बलयुग्म (twisting couple) जिसका आघूर्ण है, इसके निचले सिरे पर क्षैतिज तल में लगाया गया है, जिसके कारण एक विपरीत प्रत्यानयन बलयुग्म (restoring couple) छड़ में उत्पन्न होना प्रारम्भ हो जाता है। जैसे ही प्रत्यानयन बलयुग्म ऐंठनकारी बलयुग्म के बराबर हो जाता है, छड़ साम्यावस्था में आ जाती है। माना कि साम्यावस्था में छड़ के निचले सिरे पर ऐंठन कोण के है।

बेलनाकार छड़ को हम अनेक पतली तथा समाक्ष (coaxial) बेलनाकार कोशों (cylindrical shells) में

चित्र-29 विभाजित कर सकते हैं। माना इनमें से एक कोश की त्रिज्या x है तथा अनन्त-सूक्ष्म मोटाई dx है।

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माना कि  इस कोश के पृष्ठ पर कोई रेखा AB, छड़ में ऐंठन आने पर, विस्थापित होकर AB’ स्थिति में आ जाती है यदि कोण BAB = 8, तो 0 उस कोश के लिए अपरूपण कोण है। इसके संगत इसके निचले सिरे पर ऐंठन कोण के है। वक्रीय त्रिभुज OBB’ में

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