Factor Hypothesis BSc Zoology Question Answer Notes

Factor Hypothesis BSc Zoology Question Answer Notes

Factor Hypothesis BSc Zoology Question Answer Notes :- In this post all the questions of the second part of zoology are fully answered. This post will provide immense help to all the students of BSc zoology. All Topic of zoology is discussed in detail in this post.

 


प्रश्न 12 – फैक्टर हाइपोथीसिस (कारक परिकल्पना) से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट रूप से समझाइए। 

What do you understand by Factor hypothesis ? Explain clearly. 

उत्तर –

कारक (गुणक) परिकल्पना 

(Factor Hypothesis) Notes

आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार एक लक्षण बहुत-से जीन्स द्वारा नियन्त्रित होता है, जैसे ड्रोसोफिला की आँख का लक्षण लगभग बीस विभिन्न जीन्स द्वारा नियन्त्रित होता है। जीन समूह में वंशागत होते हैं और किसी भी गुण को उत्पन्न करने में संयुक्त रूप से भाग लेते हैं। इसको आनुवंशिक प्रतिक्रिया (gene interaction) कहते हैं तथा यह एक लक्षण के लिए संयुक्त गुणक या कारक परिकल्पना कहलाता है।

युग्मविकल्पी तथा बहुकारक

(Allelomorphs and Multiple Factors) Notes

मेण्डल के अनुसार, एक लक्षण के दोनों युग्मविकल्पी (allelomorphs) में एक प्रभावी (dominant) तथा दूसरा अप्रभावी (recessive) होता है। मेण्डल के बाद अनेक प्रयोगों से पता चला कि यह प्रभाविता पूर्ण या अपूर्ण भी हो सकती है। यहाँ तक कि विषमयुग्मनज (heterozygous) में दोनों लक्षणों के बीच का लक्षण विकसित होता है। इसमें दोनों लक्षणों में से किसी को भी प्रभावी नहीं कहा जा सकता।

जीन्स में प्रभाविता तथा अप्रभाविता का सम्बन्ध दोनों युग्मविकल्पी जीन्स की आपसी क्रिया पर निर्भर करता है। यही सम्बन्ध अलग-अलग बिन्दुओं (loci) पर स्थित जीन्स के बीच भी देखा जा सकता है। प्राणी के वर्धन में सभी जीन्स में पारस्परिक क्रिया होती है जिसके द्वारा अन्तिम लक्षण उत्पन्न होता है।

उदाहरण (Example)-मुर्गे में walnut comb, R तथा P दोनों कारकों की उपस्थिति में विकसित होता है, जबकि अकेले R से rose comb तथा अकेले P से nea comb का विकास होता है। वे दोनों ही r तथा p जीन्स पर प्रभावी होते हैं। r तथा p की उपस्थिति में सरल एकल comb का निर्माण होता है।

Factor Hypothesis BSc Zoology Question Answer Notes
Factor Hypothesis BSc Zoology Question Answer Notes

P, Generation Rose Comb x Pea comb

RR pp rrPP

Gametes Rp rP

F1 पीढ़ी RrPp 

Walnut comb (Heterozygous)

F2 पीढ़ी Walnut comb

Rose comb 

Pea comb

सरल एकल Single comb 1 (rrPP) 

पूरक जीन्स की अन्योन्य क्रिया (Interaction of Complementary Genes) 

बेटसन (Bateson) ने सफेद स्वीट पी-लैथाइरस (Lathyrus) के दो ऐसे स्ट्रेन्स लिए जो समयुग्मनजी थे तथा जिनमें स्वपरागण के फलस्वरूप केवल सफेद रंग के फूल लगते थे। जब इन दोनों स्ट्रेन के पौधों में संकरण किया गया तो सन्तति पौधों पर जामनी रंग के फूल लगे। F1 पीढ़ी के इन जामुनी फूल वाले पौधों में जब स्वपरागण किया गया तो F2.पीढ़ी में जामुनी व सफेद फूल वाले पौधों में 9:7 का अनुपात पाया गया। यह मेण्डल के द्विसंकरण F,पीढ़ी में पाया जाने वाला 9 : 3 : 3 : 1 का अनुपात नहीं था। बेटसन ने यह अनुमान लगाया कि इन पौधों में फूलों का रंग कम-से-कम दो कारकों द्वारा निर्धारित होता है। इनमें से एक तो रंगहीन वर्णोत्पादक या क्रोमोजन (chromogen) तथा दूसरा सक्रिय कारक (activator) है। क्रोमोजन फूल में रंग उत्पन्न करता है तथा . सक्रिय कारक क्रोमोजन द्वारा विकसित रंग बदल देता है।

जामुनी रंग उत्पन्न करने के लिए दोनों प्रभावी C तथा P एलील आवश्यक हैं। दोनों . पैतृक पौधों में एक प्रभावी एलील का अभाव था, इसीलिए दोनों फूलों का रंग सफेद है। प्रभावी पौधों में जब क्रॉस कराया गया तो F1 पीढ़ी में सभी पौधे रंगीन फूल वाले बने।

Coloured flowers 9: white flowers 7.

Factor Hypothesis BSc Zoology Question Answer Notes

सम्पूरक जीन्स की पारस्परिक क्रिया

(Interaction of Supplementary Genes) Notes

यहाँ केवल एक कारक या जीन ही दष्टिगत लक्षण को उत्पन्न करने के लिए काफी हाता है। किन्तु यह लक्षण पूर्णतया बदल जाता है, यदि दूसरा सम्पूरक जीन किसी दर पौधे से इसके साथ लाया जाता है।

सम्पूरक जीन सामान्य जीन के प्रभाव को पूर्णतया बदल देता है। अतः एक जीन एक विशेष लक्षण का निर्धारण करता है, किन्तु सम्पूरक जीन इस प्रभाव को पूर्णतया बदल देता है। यह सम्पूरक जीन दूसरे बिन्दु पथ पर स्थित होता है।

उदाहरणकैसल (Castle) का चुहियों की त्वचा के रंग पर प्रयोगकैसल ने अगूटी (agouti) चूहियों का रंजकहीन चुहियों (albino mice) से संकरण किया। F1 पीढ़ी की सभी चुहियाँ अगूटी बनी, किन्तु इनमें स्वनिषेचन के बाद F2 पीढ़ी में अगटी. कालीरंजकहीन या सफेद चुहियों में 9 : 3 : 4 का अनुपात था। कैसल ने यह माना कि चुहियों में काले रंग के लिए जीन्स तो होते हैं, किन्तु इनमें रंजक के बनने के लिए जीन नहीं होता। केवल इन दोनों जीन्स की उपस्थिति में ही काला रंग बनता है, किन्त सम्पूरक जीन्स की उपस्थिति में काला रंग भी अगूटी में बदल जाता है।

B – काले रंग के लिए जीन।

b – इसका अप्रभावी युग्मविकल्पी।

c – वर्णक विकासक (clour developer) जीन।

c – इसका अप्रभावी युग्मविकल्पी।

G – वर्णक रूपान्तरित जीन। .

g – इसका अप्रभावी युग्मविकल्पी।

तालिका image

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उपर्यक्त प्रयोग से यह परिणाम निकलता है कि सभी चुहियों में चाहे वे किसी का रंग की हों, काले रंग के लिए जीन B आवश्यक होता है। अगर काले रंग के जीन के साथ ही वर्णक विकासक जीन C भी उपस्थित हो तो चुहियों में काला रंग विकास: होता है। अगर इन दोनों जीन्स के साथ ही वर्णक रूपान्तरण जीन G भी उपस्थित हो तो अगूटी रंग का विकास होता है। इसीलिए G जीन C का सम्पूरक होता है।

संदमन कारक या प्रबल जीन

(Inhibiting Factors or Epistatic Genes) Notes

युग्मविकल्पी जीन्स (Allelomorphic genes) में प्रभावी-अप्रभावी सम्बन्ध होता है, किन्तु कुछ उदाहरण ऐसे जीन्स के भी मिलते हैं जो अलग-अलग बिन्दु पथ (loci) पर स्थित होते हुए भी एक लक्षण को इस प्रकार प्रभावित करते हैं कि दोनों जीन में से एक जीन ही अपने प्रभाव को प्रदर्शित कर पाता है तथा दूसरे जीन के प्रभाव का पता नहीं चलता। इस प्रभावी जीन को संदमन कारक या प्रबल जीन (epistatic) तथा दूसरे अप्रभावी जीन को अबल जीन (hypostatic genes) कहते हैं। प्रबलता मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं –

(i) प्रभावी प्रबलता (Dominant epistasis)-प्रबलता के इस प्रकार में प्रबल जीन अपनी प्रभावी अवस्था में दूसरे जीन को अभिव्यक्त नहीं होने देता।

उदाहरणकुक्कुट (Poultry) में सफेद रंग की दो नस्लें होती हैं

(i) White leghorn तथा (ii) White plymouth rock.

White leghorn कुक्कुट के पंखों का सफेद रंग कुक्कुट की रंगीन नस्ल पर प्रभावी होता है, किन्तु Plymouth rock की रंगीन नस्ल सफेद Plymouth rock पर प्रभावी होती है। जब इन दोनों सफेद नस्लों का संकरण किया जाता है तो F1 पीढ़ी में सभी कुक्कुट सफेद रंग के बनते हैं, किन्तु F2 पीढ़ी के सफेद व रंगीन कुक्कुट में 13 : 3 का अनुपात मिलता है। इस 13 : 3 = 16 के अनुपात को मेण्डल के द्विसंकरण अनुपात का रूपान्तर माना जा सकता है। White leghorn में सफेद रंग प्रभाविता संदमन कारक की उपस्थिति के कारण है। इसकी उपस्थिति के कारण उनमें रंजक विकसित नहीं हो पाता। .

(ii) अप्रभावी प्रबलता (Recessive epistasis)-~चूहे में सामान्य रंग ग्रे (Grey) अथवा भूरा या अगूटी (Brown or Agouti) होता है जो प्रभावी जीन G के कारण होता है। काला रंग अप्रभावी जीन g के कारण होता है। जीन G. तथा g की अभिव्यक्ति को एक अप्रभावी जीन a रोकता है। प्रबल जीन क्योंकि अप्रभावी है। अतः यह समयुग्मकी अवस्था (aa) में ही अपना प्रभाव डालता है। यदि एक समयुग्मजी ग्रे रंग के तथा एक समयुग्मजी अप्रभावी सफेद चूहे के मध्य संकरण कराया जाए तब F, पीढ़ी में सभी चूहे ग्रे रंग के होंगे। इन विषमयुग्मजी ग्रे चूहों के मध्य अन्तः प्रजनन कराने पर F2 पाढ़ी में ग्रे, काले तथा सफेद चूहे 9 : 3 : 4 के अनुपात में प्राप्त होते हैं। जिस चूहे में दो अपल जीन (aa) होंगे वह सफेद रंग का होगा।

निरोधक जीन (Suppressor Genes) Notes

निरोधक जीन अपने निरुद्ध (suppressed) जीन के प्रभाव को दबाता है। इनका अपना अलग से कोई प्रभाव नहीं होता है। यदि निरुद्ध जीन अनुपस्थित हो तो निरोधक पास्थति से उस लक्षण में कोई अन्तर नहीं आता।

घातक कारक (Lethal Factors) Notes

कुछ जीन्स ऐसे होते हैं कि उनकी उपस्थिति से या तो जनन कोशिकाएँ ही नष्ट हो जाती हैं अथवा फिर भ्रण विकसित होने से पहले ही मर जाता है। ऐसे जीन्स को घातक जीन (घातक कारक) कहते हैं। अधिकांश घातक जीन अप्रभावी होते हैं तथा ऐसे केवल समयुग्मनजा (homozygous) अवस्था में ही घातक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। विषमयुग्मनजी अवस्था में घातक जीन घातक प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं, परन्त इनकी उपस्थिति में संरचनात्मक परिवर्तन उत्पन्न हो सकते हैं। घातक जीन की उपस्थिति से प्राणी पर जीवन के किसी भी समय पर घातक प्रभाव हो सकता है।

रूपान्तरक कारक (Modifying Factors)

प्राणियों में कुछ कारक या जीन ऐसे होते हैं, जो अगर अकेले हों तो उनका कोई प्रभाव नहीं होता, परन्तु किसी विशेष जीन के साथ पाए जाने पर ये उसके प्रभाव को बदल देते हैं। ये जीन उस विशेष जीन के लिए रूपान्तरण का कार्य करते हैं तथा रूपान्तरक (modifier) कहलाते हैं। प्राणियों की त्वचा में वर्णकता की मात्रा को निर्धारित करने वाले जीन्स रूपान्तरक जीन होते हैं।

द्विवक जीन (Duplicating Genes) Notes

यदि किसी जीव के जीनोटाइप में एक स्थान पर दो जोड़ी समान युग्मविकल्पी हों, जो कि एक ही लक्षण को एकसमान ही निर्धारित करते हों तो ऐसे जीन्स को द्विवक जीन कहते हैं।

संचयी जीन (Cumulative Genes) Notes

संचयी जीन्स लक्षण के वर्धन को प्रभावित करते हैं। यदि जीन्स की संख्या अधिक है तो उतना ही जीन्स का प्रभाव अधिक दिखाई देगा।

डेवनपोर्ट ने कुछ नीग्रो तथा गोरी जातियों के बीच हुई शादियों के वंशों का अध्ययन किया। ऐसी शादी से उत्पन्न Fi पीढ़ी के सभी बच्चे मुलैटो (mulatto) कहलाए। F, पीढ़ी में मुलैटो व गोरे बच्चों में 15 : 1 का अनुपात रहा। 15 मलैटो बच्चों में कुछ नीग्रो समान काले थे, बाकी में कम और गहरे रंग की अलग-अलग छाया थी।

 


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