BSc Zoology Unit Membrane Concept Question Answer

BSc Zoology Unit Membrane Concept Question Answer

 

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प्रश्न 2 – इकाई कला का सिद्धान्त किसने दिया? द्रव्यकला की परासंरचना कोचित्र सहित समझाइए। 

Who gave the concept of unit membrane ? Explain the ultra structure of plasma membrane with suitable diagram.

अथवा प्लाज्मा झिल्ली की फ्लूइड मोजेक संरचना का वर्णन कीजिए। इसके आधार पर सक्रिय अभिगमन की क्रिया को समझाइए। 

Describe the fluid mosaic structure of Plasma membrane. Explain the mechanism of active transport on the basis of this structure. . 

अथवा द्रव्यकला की परासंरचना को विस्तार से समझाइए।

Give an account of the detailed structure of Plasma membrane. 

अथवा प्लाज्मा कला के तरल मोजेक मॉडल का वर्णन कीजिए। इसका दृश्य सबत भी बताइए। 

Give an account of Fluid-Mosaic Model of Plasma membrane. Give the visual evidence of it. 

उत्तर

इकाई कला सिद्धान्त

(unit membrane concept) Notes

(unit membrane concept) को सर्वप्रथम 1959 में रॉबर्टसन ने प्रतिपादित किया। गॉर्टर तथा ग्रैन्डल के लिपिड-द्विपरत प्रारूप एवं डैवसन एवं डैनिली के प्रोटीन-लिपिड द्विपरत प्रारूप से सम्बन्धित विचारधाराओं को रॉबर्टसन ने इस सिद्धान्त में प्रस्तुत किया जिसमें प्रत्येक एकांक कला में तीन परत दो प्रोटीन परत एवं एक लिपिड परत बतलाई गई।

प्लाज्मा कला (Plasma membrane)-~सभी कोशिकाओं की सतह पर एक कोशिका कला या प्लाज्मा कला या जीवद्रव्य कला पायी जाती है। सभी कोशिकाओं में यह सजीव बाहरी सीमा का निर्धारण करती है। सन् 1855 ई० में सी० नैगेली (C. Nageli) तथा सी० क्रैमर (C. Cramer) ने इस कला को कोशिका कला नाम दिया था।

प्लाज्मा कला की रासायनिक संरचना में (i) प्रोटीन, (ii) लिपिड (iii) ओलिगोसैकेराइड तथा (iv) जल पाए जाते हैं। जिनकी आपेक्षिक मात्राओं में भिन्नता पायी जाती है। माइलिन में लिपिड की मात्रा बहुत अधिक होती है। इस प्रकार प्लाज्मा कला के मुख्य अवयव प्रोटीन तथा लिपिड होते हैं।

लिपिड (Lipids)-भिन्न जीवों एवं ऊतकों में प्लाज्मा कला की सम्पूर्ण मात्रा की 28% से 79% मात्रा लिपिड की बनी होती हैं। कलाओं के प्रमुख लिपिड फॉस्फोलिपिड, कोलेस्ट्रॉल तथा गैलेक्टोलिपिड है। लिपिड के एक अणु में मुख्यतः दो भाग होते हैं, जिनमें से एक भाग सिर (जल में घुलनशील ग्लिसरॉल) तथा दो पुच्छ (जल में अघुलनशील

वसा अम्ल) का बना होता है। आन्तरिक कलाओं में लिपिड केवल फॉस्फोलिपिड के रूप में पाया जाता है, जबकि कोशिकाद्रव्यी कला में यह ग्लाइकोलिपिड अथवा कोलेस्ट्राल के रूप में उपस्थित होता है।

प्रोटीन (Proteins)—प्रोटीन सभी जैविक कलाओं के प्रमुख अवयव हैं। ये केवल एक यान्त्रिक संरचना ही नहीं बनाते बल्कि कोशिका अथवा अंगक से पदार्थ को बाहर ले जाने अथवा उसके अन्दर लाने में सहायता करते हैं। संगठन के आधार पर कला की प्रोटीन दो प्रकार की हो सकती हैं-(i) बाह्य परिधीय प्रोटीन (Extrinsic or peripheral proteins) तथा आन्तरिक या समाकल प्रोटीन (Intrinsic or integral proteins)।

प्लाज्मा झिल्ली का फ्लूइड (तरल) मोजेक मॉडल 

(Fluid-Mosaic Model of Plasma membrane) Notes

इस मॉडल के अनुसार प्लाज्मा कला में लिपिड और आन्तरिक प्रोटीन एक मोजेक व्यवस्था में होते हैं और जैविक कलाएँ अर्द्धतरल होती हैं, जिससे लिपिड तथा आन्तरिक प्रोटीन्स द्विपरत के अन्दर-ही-अन्दर गति साम्य में बनी रहती हैं।

BSc Unit Membrane Concept
BSc Unit Membrane Concept

लिपिड, प्रोटीन और ओलिगोसैकेराइड असहसंयोजी अन्तःक्रियाओं द्वारा अपनी अपनी स्थिति में बने रहते हैं। ये अवयव बिना किसी बॉण्ड को तोड़े ही घोलकों अथवा अपमार्जकों द्वारा परिक्षेपित. (disperse) हो सकते हैं।

चित्र के अनुसार आन्तरिक प्रोटीन्स एक सतत लिपिड द्विपरत में अधिक या कम अन्तर्विष्ट रहती हैं। ये प्रोटीन कला की दोनों सतहों पर एक जलीय घोलक के सम्पर्क में हो सकती हैं।

लिपिड और प्रोटीन्स का ऊपर बताया गया गठन लचीला होता है। लिपिड्स की गतिशीलता उनकी पुच्छों की संतृप्तता (saturation) और परिवेश ताप (ambient temperature) पर निर्भर करती है। लिपिड का काफी भाग असन्तृप्त होता है, जिससे द्विपरत का melting temperature स्तनी जन्तुओं के शारीरिक तापमान से कम होता है। इस प्रकार, एक तरल द्विपरत बन जाती है जिसमें लिपिड्स की पुच्छे गति करने के लिए स्वतन्त्र रहती हैं।

पुच्छ का वह भाग जो सिर के निकटतम होता है, सबसे कम लचीला और छोर वाला भाग अधिकतम लचीला होता है। लिपिड अणुओं की गतिशीलता प्रोटीन्स द्वारा भी प्रभावित होती है। उदाहरणार्थसाइटोक्रोम ऑक्सीडेज से घिरे हुए लिपिड अणु, एन्जाइम द्वारा निश्चल बना दिए जाते हैं तथा ये लिपिड परत की सीमा बनाते हैं।

प्रोटीन्स का यह परिवर्तनीय अथवा स्थायी पैटर्न कोशिका कला के कार्य को नियन्त्रित करता है।

ऐक्टिव ट्रान्सपोर्ट की क्रियाविधि

(Mechanism of Active Transport) Notes 

सक्रिय अभिगमन (Active transport)-इस विधि में अणुओं या आयनों की गति सान्द्रण शक्ति के विपरीत दिशा में होती है अर्थात् अणु कम सान्द्रता वाले क्षेत्र से , अधिक सान्द्रता वाले क्षेत्र की ओर गति करते हैं। सक्रिय अभिगमन में अणुओं अथवा आयनों को गति के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। विसरण की यह क्रिया सक्रिय अभिगमन कहलाती है क्योंकि इसमें गति के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

क्रियाविधि (Mechanism)-अनुमान है कि सक्रिय अभिगमन क्रिया से प्लाज्मा झिल्ली पर उपस्थित वाहक अणु परिवाहक पदार्थ (transportant) के साथ मिलकर वाहकपरिवाहक कॉम्प्लै क्स (carrier-transportant complex) बना लेते हैं। ये प्रोटीन, लिपिड या एन्जाइम के अणु हो सकते हैं। उदाहरणार्थ-सोडियम आयन एक अस्थायी कॉम्प्लैक्स के रूप में प्लाज्मा झिल्ली द्वारा ग्रहण कर लिए जाते हैं और प्लाज्मा झिल्ली के दूसरी ओर कोशिका के अन्दर पहुँचने पर मुक्त किए जाते हैं।

इसी सक्रिय अभिगमन प्रणाली द्वारा प्लाज्मा झिल्ली के दोनों ओर विशिष्ट आयनों को विभिन्न सान्द्रताएँ बनी रहती हैं। वाहक (carrier) को ट्रान्सलोकेज (translocate) या परिवाहक (transportant) को परमिएज (permease) कहते हैं। कुछ एन्जाइम भी सक्रिय अभिगमन में सहायक होते हैं।

BSc Unit Membrane Concept
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ATPase एन्जाइम अन्त:कोशिकीय सतह पर अन्दर के OH- आयन तथा बाह्य H+ आयनों का उपयोग करके ATP के जल-अपघटन को उत्प्रेरित करता है। इसके फलस्वरूप प्लाज्मा झिल्ली की बाह्य सतह अधिक अम्लीय हो जाती है।

नई संकल्पना (New concept)-कुछ समय पूर्व ही सक्रिय अभिगमन की एक नई संकल्पना प्रस्तुत की गई है जिसके अनुसार, ATP-ATPase एन्जाइम सब्स्ट्रेट कॉम्प्लैक्स एक वाहक-अभिवाहक कॉम्प्लैक्स का निर्माण करता है जो Na+ आयनों को बन्धित करके झिल्ली के बाहर मुक्त कर देता है। ठीक यही प्रक्रिया, किन्तु विपरीत दिशा में K+ आयनों के लिए होती है।

सक्रिय अभिगमन सजीव प्रणालियों में एक निश्चित सान्द्रता व निश्चित परासरण दाब बनाए रखने में सहायता करता है।

प्लाज्मा झिल्ली के तरल-मोजेक मॉडल का तरल गुण क्रियात्मक जैविक झिल्लियों के लेबलिंग-प्रयोग, X-ray विवर्तन तथा कैलोरीमापन को निश्चित करने में सहायता प्रदान करता है। यही इसका दृश्य सबूत भी है।

 


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