Phylum Coelenterata BSc 1st Year Long Question Answer

Phylum Coelenterata BSc 1st Year Long Question Answer

 

Phylum Coelenterata BSc 1st Year Long Question Answer

 


Unit III

प्रश्न 1-फाइलम सीलेन्ट्रेटा के मुख्य लक्षणों का उल्लेख कीजिए। इसका वर्गीकरण ऑर्डर तक करते हुए प्रत्येक का उदाहरण दीजिए।

Write down the main characters of Phylum Coelenterata. Classify it upto order and give examples of each.

उत्तर –

संघसीलेन्ट्रेटा

(Phylum : Coelenterata) 

मुख्य लक्षण (Main characters)

  1. ये प्रायः जलवासी होते हैं, कुछ अलवण जल में भी पाए जाते हैं, परन्तु अधिकतर समुद्रवासी होते हैं।
  2. ये एकल या निवही, स्थानबद्ध या स्वतन्त्र-प्लावी होते हैं।
  3. शरीर सममिती अरीय या द्विअरीय होती है।
  4. जन्तु दो प्रकार के स्वतन्त्र या चिपके हुए, पॉलिप तथा स्वतन्त्र-प्लावी मेड्यूसा, होते हैं।
  5. इनकी शरीर भित्ति द्विजननस्तरी–बाह्य एपिडर्मिस में विभक्त होती है और इन दोनों के बीच जिलेटिनी मीसोग्लिया पाया जाता है। एन्थोजोआ जन्तुओं की मीसोग्लिया में कोशिकाएँ और संयोजी ऊतक होता है।
  6. जठरवाही गुहिका प्रायः शाखादार और आंत्रयोजनियों या पटों द्वारा विभाजित होती है। मुख ओरल सिरे पर होता है। मुख के चारों ओर प्रायः छोटे-छोटे स्पर्शक होते है।
  7. एक या दोनों शरीर स्तरों में दंश कोशिकाएँ पायी जाती हैं। ये स्पर्शकों पर अधिक होती हैं।
  8. तन्त्रिका जाल विसरित संचालन सहित, सूत्र-युग्मन या असूत्र-युग्मन प्रकार का होता है। ज्ञानेन्द्रियाँ सरल या जटिल होती हैं, कुछ में नेत्रक तथा सन्तुलन पुटियाँ भी होती हैं।
  9. पेशी तन्त्र-उपकला तथा अन्त:कलापेशी कोशिकाओं का होता है।
  10. पाचन क्रिया अन्त: तथा बाह्य कोशिकीय होती है।
  11. श्वसन, परिसंचारी एवं उत्सर्जी तन्त्रों का अभाव होता है।
  12. अलैंगिक जनन मुकुलन या विखण्डन द्वारा तथा लैंगिक जनन युग्मकों द्वारा होता है। ये उभयलिंगाश्रयी या एकलिंगाश्रयी होते हैं। परिवर्धन में प्लैनुला लारवा उत्पन्न होता है।
  13. जीवन-वृत्त में सामान्यतः पीढ़ियों का एकान्तरण या metagenesis मिलता है। जिसमें लैंगिक स्वतन्त्र मेड्यूसा, अलैंगिक स्थानबद्ध पॉलिपाभ के साथ एकान्तरित होती है।

वर्गीकरण (Classification)

सीलेन्ट्रेटा संघ निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित होता है-

वर्ग 1. हाइड्रोजोआ (Hydrozoa)

  1. जीवन-वृत्त में केवल पॉलिप या अलैंगिक पॉलिप तथा लैंगिक मेड्यूसी दोनों होते हैं।
  2. ग्रसनी एवं पटों या आंत्रयोजनियों का अभाव होता है।
  3. मेड्यूसी वास्तविक गुंठिका (velum) सहित पायी जाती है।
  4. जनन ग्रन्थियाँ अधिचर्मी होती हैं।

उदाहरण-हाइड्रा, ओबीलिया, कुनीना, मिलिपोरा, स्टाइलैस्टर फाइसेलिआ, (पर्तगीज मैन ऑफ वार), पॉर्पिटा।

वर्ग 2. साइफोजोआ (Scyphozoa)

  1. ये एकल होते हैं। इनमें पॉलिपाभ अवस्था पायी जाती है।
  2. घण्टी या छाते के आकार की गंठिकाविहीन मेड्युसा अवस्था प्रभावी होती है।।
  3. मीसोग्लिया में तन्तु एवं कोशिकाएँ दोनों पायी जाती हैं।
  4. घण्टा के तट पर ज्ञानेन्द्रियों से युक्त आठ खाँच होती हैं।
  5. ये पूर्णतया समुद्री होते हैं।

उदाहरण-ऑरीलिया, सायनिया, राइजोस्टोमा।

वर्ग 3. एन्थोजोआ या  ऐक्टिनोजोआ (Anthozoa or Actinozoa) 

1 ये एकल या निवही सभी पॉलिप होते हैं। मेयसी नहीं पायी जाती।

  1. मुख, ग्रसनी या मुख-पथ में खुलता है।
  2. आठ या इससे कम या अधिक पटों या आंत्रयोजनियों द्वारा जठरवाही गुहिका उप-विभाजित होते हैं।
  3. दंश कोशिकाएँ व जनन-ग्रन्थियाँ आंत्रयोजनियों पर स्थित होती हैं। .
  4. ये पूर्णतया समुद्री होते हैं।

उपवर्ग 1. ऑक्टोकोरैलिया या एलसायोनेरिया (Octocorallia or Alcyonaria)

  1. ये केवल निवही होते हैं।
  2. पॉलिप पर 8 pinnate स्पर्शक, एक ग्रसिका खाँच (siphonoglyph) और 8 पट (septa) होते हैं।

उदाहरण-ट्यूबीपोरा, टेलीस्टो, एल्सायोनियम, हीलिओपोरा, गाँगोर्निया, कोरैलियम, रेनिला।

उपवर्ग 2. हेक्साकोरैलिया या जोएन्थेरिआ (Hexacorallia or zoantharia)

  1. ये एकल या निवही पॉलिप होते हैं जिनमें 6 अशाखित स्पर्शक और पट तथा दो ग्रसिका खाँच होती हैं।
  2. कैल्सियमी कंकाल का अभाव होता है।

उदाहरण-जोएन्थस, मेट्रीडियम, एडम्सिया, फंजिया, एस्ट्रिया, मैडीपोरा।

 


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