Zoology Reproductive Organs Of Fasciola Hepatica Notes

Zoology Reproductive Organs Of Fasciola Hepatica Notes

 

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प्रश्न 2 – यकृत वर्म के जनन अंगों का वर्णन कीजिए।

Describe the reproductive organs of Fasciola hepatica. 

अथवा यकृत कृमि के जनन अंगों का नामांकित चित्र बनाइए।

Draw labelled diagram of reproductive organs of Fasciola hepatica.

उत्तर- यकृत वर्म उभयलिंगी होता है जिसमें सुविकसित नर तथा मादा जनन अंग पाए जाते हैं। नर तथा मादा जननिक वाहिनियाँ एक ही वेश्म में खुलती हैं जिसे जननिक परिकोष्ठ (genital atrium) कहते हैं। यह परिकोष्ठ ऐसीटेबुलम से आगे जननिक छिद्र या जननरन्ध्र (gonopore) द्वारा बाहर खुलता है।

नर जनन तंत्र

(Male Reproductive System) Notes

  1. वृषण (Testes)–नलियों के समान एक जोड़ी वृषण यकृत वर्म के मध्य और पिछले भागों में एक-दूसरे के आगे तथा पीछे उपस्थित होते हैं। इनमें शुक्राणुओं का निर्माण होता है। प्रत्येक वृषण से एक सँकरी शुक्रवाहिनी (vas deferens) निकलती है। दोनों शक्रवाहिनियाँ आपस में मिलकर नाशपातीनुमा शुक्राशय (seminal vesicle) का निर्माण करती है जिसमें शुक्राणुओं का संग्रह होता है।

    Reproductive Organs Of Fasciola Hepatica
    Reproductive Organs Of Fasciola Hepatica
  2. सिरस कोष (Cirrus sac) — शुक्राशय से आगे की ओर एक सँकरी स्खलन वाहिनी (ejaculatory duct) निकलती है जो आगे की ओर एक दृढ़ बहिर्सारीय मैथुनांग, जिसे शिश्न या सिरस (penis or cirrus) में प्रवेश कर जाती है। यह आगे जननिक परिकोष्ठ में उपस्थित नर जनन छिद्र द्वारा शरीर के बाहर खुल जाता है। स्खलन वाहिनी के चारों आर असंख्य कोशिकीय प्रोस्टेट ग्रन्थियाँ (prostate glands) होती हैं जो स्खलन वाहिनी में है। खुलती हैं। इनसे क्षारीय द्रव का स्रावण होता है जो मैथुन के समय शुक्राणुओं को मुक्त रूप गति करने में सहायता करता है।

मादा जनन तन्त्र

(Female Reproductive System) Study Notes

  1. अण्डाशय (Ovary)-शरीर में दायीं ओर एक अत्यन्त शाखित एवं नली के आकार का अण्डाशय उपस्थित होता है। ये सभी शाखाएँ आपस में मिलकर एक छोटी एवं सँकरी अण्डवाहिनी (oviduct) बनाती हैं।

    Reproductive Organs Of Fasciola Hepatica
    Reproductive Organs Of Fasciola Hepatica
  2. गर्भाशय (Uterus)-अण्डवाहिनी शरीर के मध्य भाग में मध्यवर्ती पीतक वाहिनी (median vitelline duot) से मिल जाती है तथा गर्भाशय का निर्माण करती है। गर्भाशय एक लम्बी, चौड़ी एवं कुण्डलित रचना है जो आगे की ओर जननिक परिकोष्ठ में उपस्थित मादा जनन छिद्र के द्वारा शरीर से बाहर खुलती है। अण्डवाहिनी से ही एक छोटी तथा पेशीय नली निकलती है जिसे लॉरर की नली (Laurer’s canal) कहते हैं। प्रजनन काल में यह नली एक पृष्ठ छिद्र के द्वारा शरीर से बाहर खुलती है। यह छिद्र मैथुन समय योनि (vagina) का कार्य करता है।

मादा जनन तन्त्र से सम्बन्धित दो ग्रन्थियाँ पीतक अथवा विटेलेरिया ( Vitellaria) तथा मेहलिस ग्रन्थियाँ (Mehlis glands) पायी जाती हैं जो भ्रूण को पोषण प्रदान करने के साथ अण्ड कवच के निर्माण में भी सहायता प्रदान करती हैं।


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