Vegatative Reproduction And Perennation In Bryophytes BSc Notes
Vegatative Reproduction And Perennation In Bryophytes BSc Notes :- PDF Study Material Question Answer Paper Previous Questions Unit wise Chapter -wise Syllabus of the content. Study Notes Mock Test Paper Download Available. In This Site Dreamtopper.in is very Helpful for all the Student.
प्रश्न 10 – ब्रायोफाइटा में पाए जाने वाले मुख्य प्रकार के वर्धी प्रजनन तथा पेरिनेशन के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
ब्रायोफाइटा में वर्थी प्रजनन एवं पेरिनेशन
(Vegetative Reproduction and Perennation in Bryophytes) Notes
ब्रायोफाइटा समूह के पौधों में वर्धी प्रजनन बहुत ही सामान्य रूप से होता रहता है। इसमें से कुछ में प्रजनन का यह सर्वोत्तम तरीका माना जाता है। वर्षी प्रजनन अनेक प्रकार से होता है।
कुछ मुख्य ब्रायोफाइटा के वैज्ञानिकों (Cavers, 1899 एवं Correns, 1903) के अनुसार इस समूह में वर्धी प्रजनन एवं पेरिनेशन के मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार हैं –
- खण्डन (Fragmentation)-पुराने तथा पौधे के पीछे के भाग नियमित रूप से गलते-सड़ते रहते हैं तथा गलने-सड़ने की यह क्रिया जब वर्धी बिन्दु (growing point) तक पहुँचती है तो पौधा दो अलग-अलग भागों में विभाजित हो जाता है। हिपेटिसी (Hepaticeae) : एंव एन्थोसिरोटी (Anthocerotae) के सदस्यों में यह क्रिया अधिक होती है।
- अपस्थानिक कलियाँ (Adventitious Buds)-ब्रायोफाइटा की अनेक जातियों के थैलॉयड (thalloid) सदस्यों में मध्य शिरा के निचले भाग से अपस्थानिक कलियाँ या शाखाएँ निकलती हैं। मुख्य पौधे से अलग होने पर ये कलियाँ या शाखाएँ नये पौधे में विकसित होती हैं। अपस्थानिक कलियाँ इन पौधों में मिलती हैं; जैसे—Riccia fluitans, Pellia, Anthoceros laevis, Dumortiera, Marchantia एवं Targionia आदि।
- इन्नोवेशन्स (Innovations)-कुछ पौधों में (जैसे-Sphagnum) कभी-कभी कुछ एक्जीलरी शाखाएँ बहुत तेजी से बड़ी होकर अलग हो जाती हैं तथा नये पौधे में विकसित हो जाती हैं। इन्हें Innovations कहते हैं।
4.क्लैडिया (Cladia)—ये वास्तव में अलग होने वाली छोटी शाखाएँ होती हैं तथा दो प्रकार की होती हैं
(i) पत्ती क्लैडिया (Leaf Cladia)—ये पत्तियों की विशेष कोशिकाओं से विकसित र होती हैं।
(ii) तना क्लैडिया (Stem Cladia)-ये तने पर विकसित होती हैं।
- पूर्ण तना अलगाव (Whole-shoot Separation)-Pellia nutans के गैमिटोफाइट पौधों पर बहुत-सी कैटकिन की तरह झड़ने वाली शाखाएँ लगी रहती हैं। इस प्रकार की शाखाएँ सम्पूर्ण रूप से अलग होती हैं तथा नये पौधों में विकसित हो जाती हैं। यह प्रक्रिया Plagiochasma, Lazzania, Campylopus piriformis आदि पौधों में भी होती है।
- ट्यूबर्स (Tubers)-बहुत-से ब्रायोफाइटा के पौधों में मौसम के अन्त में विशेष भूमिगत शाखाएँ विकसित होती हैं। इन शाखाओं का अग्र भाग फूल जाता है तथा ther कहलाता है। अनुकूल परिस्थितियों में आने पर ये tubers नये पौधे में विकसित हो जाते हैं। Tubers इन पौधों में सामान्य रूप से मिलते हैं; जैसे-Riccia, Concocephalum, Anthoceros, Sewardiella, Fossombronia, Asterella, Petalophyllum hifal
- गैमी (Gammae)—ये एक विशेष प्रकार की वर्षी प्रजनन की जननांग होती हैं। इनकी यह विशेषता होती है कि एक gemma एक अलग कोशिका से विकसित होता है। यह gemma एक, दो या बहुत-सी कोशिकाओं का बना होता है। गैमी Marchantia, Riccardia, Lunularia, Bryum, Torula, Aulocomnium आदि पौधों में सामान्य रूप से विकसित होते हैं।
- प्रोटोनीमा (Protonema) के विभाजन से—कुछ सदस्यों में शाखित तथा तन्तु के आकार के प्रोटीनीमा छोटी-छोटी हरी कोशिकाओं वाले भागों में विकसित हो जाते हैं। इस प्रकार अलग होने वाले ये छोटे-छोटे भाग नये प्रोटोनीमा में विकसित होकर नये गैमिटोफाइट बनाते हैं, e.g. Funaria hygrometrica.
- सेकण्डरी प्रोटोनीमा (Secondary Protonang_अगर कोई प्रोटोनीमा स्पोरके उगने से बनने के अतिरिक्त किसी अन्य विधि से विकसित होता है, तब उसे सेकेण्डरी प्रोटोनीमा (Secondary protonema) कहते हैं। यह rhizoids, किनारे की व थैलस के किसी अन्य भागों में विकसित होता है, e.g. Funaria, Sphagnum.
- एपास्पारा (Apospory)-स्पोर के अतिरिक्त स्पोरोफाइट की कोशिकाओं से गैमिटोफाइट के निर्माण की प्रक्रिया को एपोस्पोरी कहते हैं। यह क्रिया मात सामान्य रूप से होती है। काइट की कोशिकाओं से मह क्रिया मॉस (Moss) में सामान्य रूप से होती हैं।