Thallus Structure In Chara BSc Botany Notes

Thallus Structure In Chara BSc Botany Notes

 

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प्रश्न 4 – कारा में सूकायसंरचना का सचित्र वर्णन कीजिए। 

उत्तर –

कारा में सूकायसंरचना 

(Thallus – structure in Chara) Notes

कारा में सूकाय, ऊर्ध्व व शाखित होता है। मुख्य अक्ष आधार से मूलाभास (rhizoid) के द्वारा जुड़ी रहती है। मूलाभास एकस्तरीय (uniseriate), शाखित व तन्तुमय होते हैं।

पादप 20-30 सेमी ऊँचाई के होते हैं। ऊर्ध्व अक्ष (erect axis) पर्व तथा पर्वसान्य (internodes and nodes) में बँटी होता है। पर्वसन्धियों पर शाखाएँ अथवा पत्तियाँ पायी जाती हैं। सीमित वद्धि वाली शाखाएँ पत्तियों के समान होती हैं। असीमित वृद्धि वाली शाखाएँ होती हैं। इनमें निरन्तर वृद्धि होती रहती है। पर्व या तो केवल एक लम्बी बेलनाकार काशिका से बनी होती है अथवा कुछ अर्ध-लम्बी, पतली कोशिकाओं से आच्छादित होती है। ये आच्छद की कोशिकाएँ कॉर्टेक्स बनाती हैं। कॉर्टेक्स की कोशिकाएँ केवल एक कोशिका की मोटाई वाली होती हैं। कुछ प्रजातियों में पर्व में कॉर्टेक्स से निचले आधे भाग के कॉर्टेक्स की कोशिकाएँ निचली पर्वसन्धि से तथा ऊपर के आधे कॉर्टेक्स की कोशिकाएँ ऊपरी पर्वसन्धि से ऊपर की ओर पर्व कोशिका के चारों ओर वृद्धि करती हैं। पर्वसन्धि छोटी तथा बहुत-सी छोटी आइसोडाइमेट्रिक (isodiametric) कोशिकाओं से बनती है। केन्द्रीय कोशिका 6-20 परिधीय कोशिकाओं से घिरी रहती है। प्रत्येक पर्वसन्धि पर 4 तरह की संरचनाएँ मिलती हैं- 1. शाखा, 2. लम्बी शाखाएँ, 3. स्टिप्यूलोड तथा 4. कॉर्टेक्स।

1.शाखा (Branch)-शाखा सीमित वृद्धि की होती है तथा मध्य (केन्द्रीय) अक्ष के चारों ओर वृद्धि करती है। इसे प्राथमिक पार्श्व शाखा अथवा पत्ती भी कहते हैं। यहाँ अक्षीय कोशिका शीर्षकोशिका (apical cell) की भाँति कार्य करती है। प्रत्येक नोड अथवा पर्वसन्धि पर इनकी संख्या 5-15 तक होती है। किसी भी जाति में इनकी संख्या निश्चित होती है।

Thallus Structure In Chara
Thallus Structure In Chara

द्धितीयक पाश्व्र शाखाएँ (Secondary laterals) काँटे जैसी (spine like) शाखाएँ हैं, जो प्राथमिक शाखा से निकलती हैं। ये एककोशिकीय तथा छोटी होती हैं।

  1. लम्बी शाखाएँ (Long Branches)—-ये सामान्यतः लम्बी शाखाएँ हैं जो पुरानी पर्वसन्धियों पर मिलती हैं। ये शाखाएँ असीमित वृद्धि की हैं। इन्हें अक्षीय शाखाएँ (aux.lary branches) भी कहते हैं, क्योंकि ये प्राथमिक शाखाओं (primary laterals) के अक्ष में उपस्थित होती हैं। ये संरचना में मुख्य अक्ष के समान ही होती हैं। ये प्राथमिक पर्व कोशिका से निकलती हैं जो निचली पर्वसन्धि के नीचे उपस्थित होती है।
  2. स्टिप्यूलोड (Stipulodes)—ये एककोशिकीय संरचनाएँ हैं जो प्राथमिक शाखाओं के नीचे निकलती हैं। प्रत्येक शाखा के आधार पर दो स्टिप्यूलोड निकलते हैं।

स्टिप्यूलोड की संख्या के आधार पर जातियों को 3 भागों में बाँटा गया है –

(i) यूनीसीरियेट (Uniseriate)-प्रत्येक शाखा के लिए एक स्टिप्यूलोड होता, हैं. अर्थात् शाखाओं की संख्या तथा स्टिप्यूलोड की संख्या समान होती है; जैसे-कारा

कोरेलाइना, कारा न्यूडा आदि।

(ii) हेप्लोस्टीफेनस (Haplostephanous)-स्टिप्यूलोड एक वलय में उपस्थित होते हैं; जैसे- कारा ब्राउनी (चित्र-B)

(iii) डिप्लोस्टीफेनस (Diplostephanous)-स्टिप्यूलोड दो वलयों में व्यवस्थित होते हैं; जैसे—कारा टोमेन्टोसा, कारा कन्टेरिया तथा कारा बाल्टिका आदि (चित्र-C)।

4. कॉर्टेक्स (Cortex)- कॉर्टेक्स लम्बी पर्व कोशिका के चारों ओर आच्छद (sheath) के रूप में उपस्थित होता है। कॉर्टेक्स ऊर्ध्व कोशिकाओं से बनता है। आधे पर्व का कॉर्टेक्स ऊपर की पर्वसन्धि से तथा शेष आधे पर्व का कॉर्टेक्स नीचे की पर्वसन्धि से बनता है। कुछ जातियों में कॉर्टेक्स अनुपस्थित होता है; जैसे-कारा न्यूज, कारा सक्सिनेटा, कारा कोरेलाइना, कारा ब्राउनी तथा कारा वालीची आदि (चित्र-D)

कारा फ्रेजाइलिस, कारा जेलेनिका आदि में प्राथमिक पार्श्व अर्ध कॉर्टेक्स युक्त होते हैं. जबकि कारा फ्लेसिडा, कारा ग्रोविसी, कारा हांडी आदि में कॉर्टेक्स अनुपस्थित होता है।

 


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