Sexual Reproduction In Pogonatum BSc Botany Notes
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प्रश्न 10 – पोगोनेटम में लैंगिक जनन का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
पोगोनेटम में लैंगिक जनन
(Sexual Reproduction in Pogonatum)
वर्धी जनन (Vegetative Propagation) Notes
यह बुलबिल के द्वारा होता है जो राइजोइड पर मिलते हैं। प्रोटोनीमा में गुणन से भी वर्धी जनन होता है। राइजोम के टूटने से भी नया पादप बनता है विलमोट-डियर ने (1987) में सिद्ध किया कि 20° C पर 12 घण्टे तक संवर्धन माध्यम में रखने पर पो. कम्यून की विलग हुई पत्तियों में लम्बी शाखित द्वितीयक प्रोटोनीमा (secondary potonema) विकसित होता है जिस पर कलिकाएँ भी निश्चित अन्तराल पर बनती हैं।
लैंगिक जनन (Sexual Reproduction) Notes
पोलीट्राइकम सामान्यतः एक लिंगाश्रयी (dioecious) पादप है जिसमें एन्थ्रीडिया (नर) क आर्किगोनिया (मादा) अलग-अलग पादपों पर अग्रस्थ समूह के रूप में (terminal. clusters) गैमीटोफाइट के शीर्ष पर बनते हैं।
एन्थ्रीडियम अथवा पुंधानी (Antherdium) Notes
नर पादप के अग्र भाग पर फूल के समान एक खुला हुआ प्याला (cup) बनता है। यह प्याला पेरीगोनियल पत्तियों (perigonial leaves) से बनता है। इनका रंग सामान्य पत्तियों से अलग होता है। पेरीगोनियल पत्तियाँ लाल, भूरी अथवा हल्के लाल रंग की होती हैं। प्रत्येक पत्ती में एक बहुत चौड़ा शीथिंग बेस व छोटी काँटेदार चोंच (bristle point) होती है। एन्थ्रीडियम के बनने में शीर्ष कोशिका समाप्त नहीं होती है। अत: एक एन्थ्रीडियम बन जाने के बाद भी कायिक वृद्धि होती रहती है। इसे प्रोलिफरेशन (proliferation) कहते हैं। इस तरह का प्रोलिफरेशन कई बार हो सकता है तथा एन्थ्रीडियल कप की एक श्रेणी बन सकती है। प्रत्येक पेरिगोनियल पत्ती के अक्ष में पार्श्व शाखा के समान दिखाई देते हैं
परिपक्व एन्थ्रीडियम (Mature Antheridium) Notes
इसमें एक छोटा वन्त तथा मुग्दराकार (club shaped) मख्य भाग होता है। एन्थ्रीडियम एक पतली बन्ध्य जैकेट की कोशिकाओं से घिरा रहता है। मध्य की कोशिकाएँ एन्ड्रोसाइट कहलाती है। एन्थ्रीडियम के साथ पेराफाइसिस भी बनती है। पेराफाइसिस सरल तन्तुमय अथवा अग्र भाग से चौड़ी चम्मच के समान (spathulate) एक स्तरी संरचनाएँ हैं।
पोलीट्राइकम के एन्थ्रीडियम का विशेष लक्षण हैं स्पर्म चैम्बर में द्रव का भी होना। यह द्रव स्पर्मेटोजीनस ऊतक के नीचे होता है। इस एन्थ्रीडियम के ऊपर एक ऑपरकला ढक्कन मिलता है। यह ऑपरकुलम 4-5 स्तरीय छोटी व मोटी भित्ति का कोशिकाओं का बना होता है। एन्थ्रीडियम पर एक पारदर्शी चमकदार क्यूटिकिल की परत भी मिलती है।
आर्किगोनियम अथवा स्त्रीधानी (Archegonium) Notes
आर्किगोनियम अग्रस्थ समूह में मादा पादप के शीर्ष पर उगते हैं। पो. कम्यन में 3 आर्किगोनिया एक समूह में मिलते हैं। इनके चारों ओर पेरीकीटियल पत्तियाँ (perichaetial leaves) मिलती हैं। यह संरचना कलिका के समान बन जाती है, इसे पेरीकीटियम (parichaetium) कहते हैं। आर्किगोनियम के मध्य पेराफाइसिस भी उलझे रहते हैं। पेराफाइसिस एकसमान कोशिकाओं की तन्तुमय संरचना है। आर्किगोनियम के बनने में युग्मकोद्भिद् की संरचना है। आर्किगोनियम के बनने में युग्मकोद्भिद् की अग्र कोशिका समाप्त हो जाती है। अत: मादा युग्मकोद्भिद् की वृद्धि रुक जाती है।
परिपक्व आर्किगोनियम (Mature Archegonium) Notes
यह फ्लास्क के आकार की संरचना है जिसका आधार फला हुआ वेन्टर तथा ग्रीवा लम्बी होती है। इसका वृन्त मोटा होता है। वेन्टर की कोशिकाएँ दो स्तरीय तथा होती हैं। वेन्टर में एक अण्ड (egg) तथा एक छोटी वेन्ट्रल नाल कोशिका (ventral) canal cell) होती है। लम्बी ग्रीवा (neck) ग्रीवा कोशिकाओं की 6 ऊर्ध्व कतारों से बनती है। इसमें ग्रीवा नाल कोशिकाओं (neck canal cells) की संख्या 13-15 होती है।
एन्थ्रीडियम का स्फुटन (Dehiscence of Antheridium) Notes
एन्थ्रीडियम के ऊपरी आधे भाग में असंख्य पुमणु मिलते हैं जो द्रव पर तैरते हैं जबकि नीचे का आधार भाग द्रव से भरा रहता है। एन्थ्रीडिया के ऊपर ऑपरकुलम मिलता है। इसकी कोशिकाएँ नमी पाकर फट जाती हैं। पहले इसकी भीतरी भित्ति फटती है तथा उसके पश्चात् ऊपरी भित्ति फटती है। इस प्रकार छिद्र खुल जाता है।
पुमणु (एन्थीरोजोइड) छिद्र के द्वारा बाहर समूह में निकल जाते हैं। पाओलीलो जूनियर (1975) के अनुसार पुमणु के निकलने की दो अवस्थाएँ होती हैं
(a) तीव्र अवस्था (Rapid Phase)-ज्यों ही जैकेट सिकुड़ती है पुमणु तीव्रता से झटके से बाहर आ जाते हैं। यह क्रिया कुछ सेकन्डों में पूरी हो जाती है।
(b) धीमी अवस्था (Slow Phase)—यह अवस्था तीव्र अवस्था के बाद आरम्भ होती है। ऊपर के पुमणु तीव्रता से निकल जाने के बाद बचे हुए एन्थीरोजोइड द्रव में निकल जाते हैं। ये एन्थीरोजोइड द्रव के साथ ही बाहर निकलते हैं। यह क्रिया धीमी गति से होती है इसके पूर्ण होने में 4-5 मिनट लगते हैं।
आर्किगोनियम का स्फुटन
(Dehiscence of Archegonium) Notes
ग्रीवा नाल कोशिकाएँ तथा वेन्ट्रल नाल कोशिका नष्ट होकर श्लेष्मक पदार्थ बनाती हैं। यह पानी को सोखकर फूल जाता है तथा कवर कोशिकाओं को धक्का देकर बाहर की ओर निकलता है। इससे अण्ड तक का रास्ता बन जाता है।
निषेचन (Fertilization) Notes
पोलीटाइकम एकलिंगाश्रयी पादप है। इसमें निषेचन तभी सम्भव है जब नर व मादा पादप एक-दसरे से केवल इतनी दूर होने चाहिए जिससे जल छिटककर मादा पादप के अग्र भाग तक पहुँच सके। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार कभी-कभी पुमणु कीट एवं मकोडों के द्वारा म्यूसीलेज के कारण एक पादप से दूसरे पादप तक पहुँच जाते हैं।
एन्थ्रीडियल समूह के चारों ओर पेरीगोनियल पत्तियों से बनी प्यालेनुमा संरचना पुंमणु के लिए सप्लैश कप (spalash cup) की तरह कार्य करती है। एन्थ्रीडियम के द्रव से पेरीगोनियल कप में उपस्थित जल के ऊपर एक पतली फिल्म बन जाती है। वर्षा के छीटों से एन्थीरोजोइड अथवा पुंमणु छिटककर दूर जा पड़ते हैं। ये आर्किगोनियम की ग्रीवा के ऊपर भी आ सकते हैं जहाँ से ग्रीवा नाल से होकर अण्ड कोशिका के सम्पर्क में आकर पुंमणु व अण्ड में संलयन होता है। इस प्रकार निषेचन की क्रिया पूर्ण होती है निषेचित अण्ड अपने चारों ओर एक भित्ति स्रावित कर निषिक्ताण्ड (2X) बनता है।
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