Microspore And Male Gametophyte Of Cycas BSc Notes
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प्रश्न 8 – साइकस के लघुबीजाणु निर्माण व नर युग्मकोभिद के विकास का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर –
साइकस का लघुबीजाणु तथा नर युग्मकोद्भिद्
(Microspore and Male Gametophyte of Cycas) Notes
परागकण या लघुबीजाणु (pollen grain or microspore) नर युग्मकोदभिद् की प्रथम अगुणित कोशिका है। इस पर दो भित्तियाँ मिलती हैं। बाहरी परत को एक्साइन (exine तथा भीतरी परत को इन्टाइन (intine) कहते हैं। इसके अन्दर कोशिकाद्रव्य (cytoplasm सुविकसित केन्द्रक (nucleus) मिलता है। प्रथम विभाजन से एक छोटी प्रोथैलियल कोशिका (prothallial cell) तथा दूसरी बड़ी पुंधानी इनीशियल (antheridial initial) बन इसके बाद पुंधानी कोशिका विभाजित होकर एक छोटी एन्थ्रीडियल कोशिका या जनन का कोशिका
(generative cell or antheridial cell) जो प्रोथैलियल कोशिका से लगी रहती है तथा एक बड़े केन्द्रक वाली नलिका कोशिका (tube cell) बनाती है। इस तीन कोशिकीय अवस्था (3 celled stage) में परागकण लघुबीजाणुधानी से बाहर निकलते हैं।
परागण के पश्चात् साइकस के नर युग्मकोद्भिद का विकास
(Development of Male Gametophyte of Cycas After Pollination) Notes
परागण के एक सप्ताह पश्चात् परागकण अंकुरित होकर पराग नलिका (pollen tube) बनाते हैं। नली केन्द्रक (tube nucleus) पराग नलिका में आ जाता है तथा जनन कोशिका (generative cell) विभाजित होकर वृन्त कोशिका (stalk cell) तथा काय कोशिका या स्पर्मेटोजीनस कोशिका (body cell or spermatogenous cell) बनाती है। जब पराग नलिका स्त्रीधानी. के मुँह पर पहुँचती है, तब काय कोशिका से दो नर या (male gametes) या स्पर्मेटोज्वाइड्स (spermatozoides) बनते हैं। साइकस में पराग नलिका केवल चूषकांग (haustorium) का कार्य करती है क्योंकि नर युग्मक पराग नलिका की पूर्ण वृद्धि के पश्चात् बनते हैं। साइकस के नर युग्मक पादप या जन्तु जगत में सबसे को (230-300 microns) होते हैं तथा नग्न आंखों से देखे जा सकते हैं। प्रत्येक नरयग्मक लट्ट के आकार का होता है।
नर युग्मक की परासंरचना (Ultra-structure of Male Gamete)-युग्मक में कोशिका भित्ति का अभाव होता है तथा कोशिका के अधिकांश भाग में केन्द्रक होता है। इसमें 40,000-50,000 तक फ्लैजेला मिलते हैं जो कुण्डलित गहरी संरचनाओं में होते हैं। ये संरचनाएँ प्लाज्मा कला व साइटोप्लाज्म से बनती हैं। फ्लैजेला एक स्पाइरल बैन्ड से बेसल बॉडी द्वारा जुड़े रहते हैं तथा जटिल संरचना बनाते हैं। फ्लैजेला उपकरण तथा बेसल बॉडी के मध्य एक बेसल प्लेट होती है। स्पाइरल बैन्ड में 6 टर्न होते हैं जिसमें प्रथम टर्न पर फ्लैजेला का अभाव होता है।