Mendels Laws BSc Zoology Question Answer Notes
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Unit III
प्रश्न 1 – आनुवंशिकता के सम्बन्ध में किए गए मेण्डल के एकसंकर संकरण पर आधारित नियमों का विस्तृत उल्लेख कीजिए।
Describe in detail the Laws of Inheritance proposed by Mendel based on monohybrid cross ?
उत्तर –
मेण्डल के नियम
(Mendel’s Laws) Notes
मेण्डल के कार्य तथा उनके प्रयोगों को कॉरेन्स (Correns) ने आनुवंशिकता के आधारभूत नियमों (Fundamental laws of Heredity) के रूप में प्रस्तुत किया था। इनमें एकसंकर संकरण पर आधारित नियम निम्नलिखित हैं –
- प्रभाविता का नियम (Law of Dominance)-मेण्डल द्वारा किए गए एकसंकर संकरण प्रयोगों में F पीढ़ी में लक्षणों का सम्मिश्रण अनुपस्थित था। इन परिणामों से आनुवंशिकता की प्रभाविता की प्रक्रिया (phenomenon of dominance) का पता चलता है। इस प्रक्रिया में एक जोड़ी परस्पर विरोधी कारकों में से एक कारक अथवा जीन दूसरे कारक के प्रदर्शन को रोक देता है। ऐसा कारक जो दूसरे के प्रदर्शन को रोककरस्वयं प्रदर्शित होता है, प्रभावी कारक (dominant factor) कहलाता है, जबकि दूसरा कारक जो प्रदर्शित नहीं होता अप्रभावी कारक (recessive factor) कहलाता है।
मेण्डल ने एक लम्बे तने वाले मटर के पौधे का एक छोटे तने के पौधे के साथ संकरण कराया तथा उन्होंने देखा कि F1 पीढ़ी में प्राप्त सभी पौधे लम्बे तने वाले थे। F1 पीढ़ी के पौधों में स्वनिषेचन कराने पर F2 पीढ़ी में प्राप्त पौधों में कुछ पौधे छोटे तने वाले तथा अधिकांश लम्बे तने वाले थे। प्रयोग के परिणामों के आधार पर मेण्डल ने बताया कि लम्बा तना मटर के पौधे का एक प्रभावी (dominant), जबकि छोटा तना अप्रभावी (recessive) लक्षण है।
उपर्युक्त उदाहरण से स्पष्ट है कि प्रत्येक जीव में असंख्य जोड़ी विकल्पी (alleles) उपस्थित होते हैं तथा प्रत्येक जोड़ी में एक विकल्पी प्रभावी, जबकि दूसरा अप्रभावी होता है। प्रभावी लक्षण समयुग्मजी (TT). तथा विषमयुग्मजी (Tt) दोनों परिस्थितियों में अपने आपको प्रकट कर सकता है, जबकि अप्रभावी लक्षण केवल समयुग्मजी (tt) अवस्था में ही प्रदर्शित होता है।
समयुग्मजी लम्बे (homozygous tall) पौधे का समयुग्मजी बौने (homozygous dwarf) पौधे से संकरण (cross) कराने पर प्रथम पुत्रीय पीढ़ी (F. पीढ़ी) में सभी संकर लम्बे (hybrid tall) पौधे प्राप्त होते हैं। लम्बे लक्षण का कारक (जीन) T” तथा बौने लक्षण का कारक (जीन) t’ होता है। जनन के समय जोड़े के जीन पृथक् हो जाते हैं। प्रत्येक लक्षण का एक जीन युग्मक (gamete) में पहुँचता है। F1 पीढ़ी के संकर लम्बे पौधों से दो प्रकार के युग्मक बनते हैं। आधे युग्मकों में प्रभावी लक्षण का कारक (जीन) T” तथा आधे युग्मकों में अप्रभावी लक्षण का कारक (जीन) t’ होता है।
स्वनिषेचन के समय युग्मक परस्पर मिलकर युग्मनज (zygote) बनाते हैं। युग्मनज में प्रत्येक लक्षण के वैकल्पिक रूपों को व्यक्त करने वाले दो तुलनात्मक जीन होते हैं। युग्मनज से बीज और बीज के अंकुरण से पौधा बनता है। जीन की उपस्थिति के आधार पर शुद्ध लम्बे (TT), संकर लम्बे (Tt) तथा बौने (tt) पौधे बनते हैं। F1 पीढ़ी के पौधों में स्वनिषेचन कराने पर लम्बे तथा बौने पौधों का समलक्षणी (phenotype) अनुपात 3 : 1 का होता है तथा समजीनी (genotype) अनुपात 1 : 2 : 1 का होता है। यह अनुपात क्रमशः शुद्ध लम्बे : संकर लम्बे : शुद्ध बौने पौधों का होता है।
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