Gongrosira Phase BSc 1st Year Botany Question Answer Notes
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प्रश्न 9 – गोन्ग्रोसाइरा अवस्था तथा सिनजूस्पोर तथा वान्डरप्लाज्म के विषय में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर –
गोन्नोसाइरा अवस्था (Gongrosira Phase) Notes
वाउचीरिया (Vaucheria) में प्रतिकूल अवस्था में बहुकेन्द्रकी प्रोटोप्लास्ट छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित होता है। प्रत्येक खण्ड अपने चारों ओर मजबूत भित्ति का निर्माण करता है। इसके प्रोटोप्लास्ट में तेल गुलिकाएँ मिलती हैं। ये बीजाणु विश्रामावस्था में अनुकूल परिस्थितियाँ आने तक रहते हैं, इन्हें हिप्नोस्पोर (hypnospore) कहते हैं। इस प्रकार की अवस्था को जिसमें filament में बहुत-से hypnospore मिलते हैं, गोन्ग्रोसाइरा (Gongrosira) अवस्था कहते हैं। अनुकूल परिस्थितियाँ आने पर प्रत्येक खण्ड (hypnospore) अंकुरित होकर नये वाउचीरिया पौधे को जन्म देता है।
वाउचीरिया के संयुक्त जूस्पोर (Compound zoospore) को Synzoospore कहते हैं। वाउचीरिया एक संकोशिक (Coenocytic) प्रकार का शैवाल होता है जिसमें अनेक केन्द्रक होते हैं, लेकिन septum नहीं होता। Zoospore बनने के समय पर बहत-से केन्द्रक बाहर की ओर आ जाते हैं। प्रत्येक केन्द्रक के पास 2 flagella भी विकसित हो जाते हैं। इस प्रकार से यह एक बहुकशाभिक (multiflagellate) वाला मिश्रित जूस्पोर बन जाता है। इनकी multiflagellate प्रकृति के कारण ही यह zoospore या सिनजस्पोर कहलाता है। फ्लैजेला के झड़ने के बाद यह सिनजूस्योर एक नये पौधे में विकसित हो जाता है।
वाउचीरिया सैसिलिस (V. sessilis) में ऊगोनिया का विकास मुख्य तन्तु पर रंगहीन, बहुकेन्द्रीय कोशिकाद्रव्य के एकत्र होने से आरम्भ होता है। इस कोशिकाद्रव्य को वान्डरप्लाज्म (wanderplasm) कहते हैं। यह नाम आल्टमान (Altmann) ने सन् 1895 में दिया था। वान्डरप्लाज्म ऊगोनियम में प्रवेश करता है। उसके नीचे एक पट्ट बनता है। परिपक्व ऊगोनियम में केवल एक ही केन्द्रक बनता है जिससे अण्ड का निर्माण होता है। शेष सभी केन्द्रक नष्ट हो जाते हैं। कछ वैज्ञानिकों के अनुसार पट्ट बनने से पूर्व शेष केन्द्रक मुख्य कोशिकाद्रव्य में स्थानान्तरित हो जाते हैं। ऊगोनिया पर एक रंगहीन भाग रिसेप्टिव स्पॉट (receptive spot) बनता है।
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