Germination Of Oospore In Chara BSc Botany Notes
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प्रश्न 11 – कारा में ऊस्पोर का अंकुरण व जीवन–चक्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
कारा में ऊस्पोर का अंकुरण
(Germination of Oospore in Chara) Notes
अंकुरण से पूर्ण द्विगुणित केन्द्रक निषिक्ताण्ड अथवा ऊस्पोर में ऊपर की ओर आकर अर्धसूत्री विभाजन से विभाजित होकर 4 अगणित केन्द्रक बनाता है। ऊस्पोर में अनप्राश विभाजन होता है। ऊपर की ओर एककेन्द्रकीय छोटी कोशिका बनती है तथा नीचे की ओर बडी कोशिका में 3 केन्द्रक मिलते हैं। ऊपरी छोटी कोशिका बाहर की ओर बढ़ती है और भित्ति को तोड़कर एक नलिका के रूप में बाहर निकलती है। इसमें तिर्यक विभाजन (oblique division) होता है, जिससे एक प्रोटोनिमा इनीशियल (protonema initial) तथा एक राइजोइडल इनीशियल (rhizoidal inital) बनता है। दोनों कोशिकाएँ एक-दूसरे के विपरीत दिशा में वृद्धि करती हैं।
राइजोइडल इनीशियल से प्राथमिक मूल (primary root) तथा प्रोटोनिमा इनीशियल से सूकाय बनता है। बड़ी कोशिका के तीनों केन्द्रक नष्ट हो जाते हैं।
जीवन – चक्र (Life cycle)
कारा का जीवन-चक्र हेप्लॉन्टिक प्रकार (haplontic type) का होता है। इसके
जीवन-चक्र में केवल जाइगोट अथवा ऊस्पोर ही द्विगुणित अवस्था है। मुख्य पादप की इसमें एन्थ्रीडियम (ग्लोब्यूल में) तथा ऊगोनियम (न्यूक्यूल में) बनते हैं। पुमणु (x) व अण्ड (X) के संलयन से ऊस्पोर (2X) बनता है। ऊस्पोर में अंकरण के सम अर्धसूत्री विभाजन से 4 अगुणित केन्द्रक बनते हैं। इनमें से 3 नष्ट हो जाते हैं। एक केन्द्रक के अंकुरण से फिर नया युग्मकोद्भिद् बनता है। कारा में अलैंगिक जनन नहीं मिलता है।