Explain Kirchhoff’s laws Current Distribution
Explain Kirchhoff’s laws Current Distribution:-Semiconductors, intrinsic and extrinsic semiconductors, n-type and p-type semiconductors, unbiased diode, forward bias and reverse bias diodes, diode as a rectifier, diode characteristics, zener diode, avalanche and zener breakdown, power supplies, rectifier, bridge rectifier, capacitor input filter, voltage regulation, zener regulator. Bipolar transistors three doped regions, forward and reverse bias, D.C. alpha, D.C. beta transistor curves.
प्रश्न 4. चालकों के नेटवर्क में धारा के वितरण के लिए किरचॉफ के नियमों का वर्णन कीजिए तथा इनकी व्याख्या कीजिए।
Explain Kirchhoff’s laws for the current distribution in the conductor’s network and explain them.
उत्तर : किरचॉफ के नियम— सन् 1842 ई० में किरचॉफ ने निम्नलिखित दो नियम प्रतिपादित किए जिनकी सहायता से जटिल विद्युत परिपथों (अथवा चालकों के नेटवर्कों ) में धारा का वितरण सरलता से ज्ञात किया जा सकता है
(i) प्रथम नियम— यह नियम किरचॉफ का धारा नियम कहलाता है। इस नियम के अनुसार किसी वैद्युत परिपथ (अथवा / तारों के नेटवर्क) में किसी संधि (junction) पर मिलने वाली धाराओं का बीजगणितीय योग (algebraic sum) शून्य होता है। इस नियम के अनुसार सन्धि में प्रवेश करने वाली कुल धारा का मान इसे छोड़ने वाली कुल धारा के बराबर होना चाहिए। इस नियम का उपयोग करने वाली धाराएँ धनात्मक तथा सन्धि को छोड़ने वाली धाराएँ ऋणात्मक ली जाती हैं। किसी सन्धि पर, गणितीय रूप में इस नियम को निम्नलिखित प्रकार से लिखा जाता है
अत: संधि O में प्रवेश करने वाली धाराओं का योग इसे छोड़ने वाली धाराओं के योग के बराबर है। दूसरे शब्दों में, किरचॉफ के प्रथम नियम के अनुसार-“जब किसी विद्युत परिपथ में अपरिवर्ती धाराएँ प्रवाहित होती हैं तो किसी सन्धि पर आवेश का संचयन नहीं होता।”
(ii) द्वितीय नियम— यह नियम किरचॉफ का वोल्टेज नियम कहलाता है। इस नियम के अनुसार, “किसी परिपथ के किसी बन्द लूप में विभिन्न तत्त्वों के सिरों के बीच विभवान्तरों का बीजगणितीय योग शून्य होता है अर्थात् EV = 0 तथा किसी बन्द लूप में विद्युत धारा तथा प्रतिरोध के गुणन का बीजगणितीय योग, उस लूप में कार्यरत विद्युत वाहक बलों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है।”
इस नियम के उपयोग के लिए चिह्न परिपाटी यह है कि धारा तथा प्रतिरोध का गुणनफल धनात्मक लिया जाएगा | E2 यदि हम धारा की दिशा में चलें तथा विद्युत वाहक बल धनात्मक होगा, यदि हम विद्युत अपघट्य से होकर ऋण से धन इलेक्ट्रोड की ओर चलें। गणितीय रूप में इस नियम को निम्नलिखित प्रकार से लिख सकते हैं
EIR = E
उदाहरण— यदि हम चित्र-23 के परिपथ का अध्ययन करें तो बन्द लूप अथवा मेश . (Closed loop or mesh) ABGHA के लिए,
किरचॉफ का द्वितीय नियम ओम के नियम का व्यापक रूप है तथा इसे निम्नलिखित प्रकार से वर्णित किया जा सकता है—
“एक विद्युत परिपथ के किसी बन्द लूप में विभव पात (potential drop) का बीजगणितीय योग उस लूप में कार्यरत विद्युत चाहक बलों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है।”