Eugenics BSc Zoology Question Answer Notes

Eugenics BSc Zoology Question Answer Notes

 

Eugenics BSc Zoology Question Answer Notes :- In this post all the questions of the second part of zoology are fully answered. This post will provide immense help to all the students of BSc zoology. All Topic of zoology is discussed in detail in this post.

 


 

प्रश्न 3 – यूजैनिक्स पर निबन्ध लिखिए।

Write an essay on Eugenics. 

त्तर यजैनिक्स अथवा सुजननिकी ग्रीक भाषा के शब्द यूजीन (eugene) से लिया गया है जिसका अर्थ ‘जन्म से ही अच्छे जीन’ होता है। सर फ्रान्सिस गाल्टन (Sir Francis Galton) को यूनिक्स का संस्थापक माना जाता है। गाल्टन के अनुसार मेण्डल के नियमों एवं आनुवंशिकता के आधार पर मानव समाज में अच्छे या उन्नत लक्षणों को प्रोत्साहन देकर मानव जाति के स्तर को ऊँचा उठाया जा सकता है।

सजननिकी का अनुप्रयोग (Application of Eugenics)-सुजननिकी का मुख्य उद्देश्य मानव में व्यक्तिगत आनुवंशिक लक्षणों को बदलना नहीं होता, अपितु उत्तर आनुवंशिक लक्षणों की वंशागति को बढ़ावा देकर तथा घटिया लक्षणों की वंशागति पर रोक लगाकर मानव जाति की जीन कोश (gene pool) को सुधारना है। मानव जाति के जीन कोश को सुधारने के प्रयत्नों को दो भागों में बाँटा गया है-निषेधात्मक तथा सकारात्मक।

।. निषेधात्मक या नकारात्मक सुजनन विज्ञान 

(Negative Eugenics)

इसके अन्तर्गत दोषपूर्ण जर्मप्लाज्म तथा घटिया आनुवंशिक लक्षणों वाले व्यक्तियों को समाज से अलग करके, विवाह करने या सन्तान उत्पन्न करने से रोका जाता है, जिससे घटिया लक्षणों के जीन, जीन पूल में कम होते जाएँ।

  1. आप्रवासन नियन्त्रण (Control of Immigration) देश में बीमार, अवांछित तथा अन्य प्रकार के दोषपूर्ण व्यक्तियों एवं उनके रिश्तेदारों को आने के लिए आप्रवासन नियमों का कड़ाई से पालन होना चाहिए। इससे बीमार व अवांछित मनुष्य देश में नहीं आने पाएँगे।
  2. विवाह प्रतिबन्ध (Restrictions of Marriages)—समाज में विवाह-शादी के सम्बन्धों में बने नियमों का दृढ़ता से पालन होना चाहिए। शारीरिक व मानसिक रूप से दुर्बल, उन्मादी व जड़बुद्धि वाले व्यक्तियों, शराबियों तथा रतिरोग से ग्रस्त व्यक्तियों को शादी का अधिकार नहीं होना चाहिए। इस प्रकार आगे आने वाली पीढ़ियाँ इन विकारों से बच सकती हैं। कुछ देशों में ऐसे लोगों की शादी पर प्रतिबन्ध है।
  3. बन्ध्यकरण (Sterlization)—यह दोषपूर्ण जर्मप्लाज्म को दोषरहित जर्मप्लाज्म में मिलने से रोकने के लिए एक उपाय है। इसके अन्तर्गत अंडाशयों से आने वाले अण्डाणुओं अथवा वृषणों से आने वाले शुक्राणुओं के मार्ग को शल्य क्रिया द्वारा बन्द कर दिया जाता है। पुरुषों में बन्ध्यकरण को वैसेक्टोमी (vasectomy) कहते हैं। इसमें शुक्रवाहिनियों को काटकर बाँध दिया जाता है जिससे शुक्राणु बाहर न निकल सकें। स्त्रियों म इसी प्रकार अंडवाहिनियों को काटकर बाँध दिया जाता है ताकि अंडाणु गर्भाशय में न पहुच पाए। इसे ट्यूबैक्टोमी या सेल्पन्जेक्टोमी (tubectomy or salpingectomy) कहते हैं। ऐसा करने से दोषपूर्ण जर्मप्लाज्म स्वस्थ जर्मप्लाज्म से मिलने से बच जाता है। इस प्रकार मन्द बुद्धि वाले रोगग्रस्त व्यक्तियों को शादी करने की आज्ञा तो दे दी जाती है

सन्तानोत्पादक अंगों से वंचित कर दिए जाते हैं। वृषणों (testes) को काटकर को ऑरकीटेक्टोमी (orchidectomy) कहते हैं।

पृथक्करण (Segregation)—मन्दबुद्धि, दुष्ट, पतित एवं रोगग्रस्त व्यक्तियों अस्पतालों या अन्य स्थानों में अलग रखना चाहिए ताकि अच्छे व बुरे लक्षणों के मिश्र की संभावनाएँ समाप्त हो सकें।’

  1. संतति नियन्त्रण (Birth control) -घटिया आनुवंशिक लक्षणों वाले व्यक्तियों पर बन्ध्यकरण के अतिरिक्त, अन्य सन्तति नियन्त्रण भी लगाने चाहिए। इससे समाज की जीन-राशि तो सुधरेगी ही, मानव आबादी के बढ़ने की दर कम हो जाएगी। गर्भ के समय ही यदि भावी संतान के आनुवंशिक लक्षणों का पता लगा लिया जाए तो घटिया लक्षणों वाली संतानों को गर्भपात (abortions) द्वारा जन्म से पहले ही समाप्त कर देना चाहिए।
  2. समरक्त या सगोत्री विवाह पर प्रतिबन्ध (Control on consanguineone marriages)—एक ही पूर्वज की संतानों में परस्पर सहवास का प्रतिबन्ध होना चाहिए, क्योंकि इससे घटिया आनुवंशिक लक्षणों को वंशागति बढ़ जाती है। इसका प्रमुख कारण यह है कि रोगों के अधिकांश लक्षण अप्रभावी (recessive) जीन्स के कारण होते हैं जोसमयुग्मजी या होमोजाइगस (homozygous) होकर अपने लक्षणों का विकास करते हैं।
  3. लिंगसहलग्न लक्षणों को अलग करना (To eliminate sex-linked characters)-कुछ बीमारियाँ लिंग सहलग्न लक्षण हैं। – इनमें हीमोफीलिया (haemophilia), वर्णान्धता (colourblindness) तथा रतौंधी (nightblindness) मुख्य हैं। ये रोग अंधिकतर पुरुषों में पाए जाते हैं।

उपर्युक्त सभी रोगों के जीन अप्रभावी तथा लिंग सहलग्न होते हैं। स्त्री में XX तथा पुरुषों में XY लिंग गुणसूत्र होते हैं। X-गुणसूत्र स्त्रीलिंग निर्धारक तथा Y-गुणसूत्र नर लिंग निर्धारक होता है। लिंग सहलग्न रोगों के जीन्स X-गुणसूत्र पर होते हैं। अत: स्त्री इन रोगों के लिए वाहक का कार्य करती है। इन रोगों से बचने का उत्तम उपाय यह है कि इन रोगियों को समाज से दूर रखा जाए।

  1. सकारात्मक सुजनन विज्ञान

(Positive Eugenics)

उत्कृष्ट जर्मप्लाज्म या उत्तम गुणों की वंशागति को प्रोत्साहन देकर सर्वोत्तम आनुवंशिक लक्षणों वाले व्यक्तियों की संख्या के बढ़ाए जाने को धनात्मक या सकारात्मक सुजनन विज्ञान कहते हैं। मानव जाति की जीनी संरचना सुधारने के लिए किए गए निम्नलिखित सकारात्मक प्रयास इसमें शामिल हैं

Eugenics BSc Zoology Question Answer Notes

  1. नियोजित विवाह या सहचर का उत्कृष्ट चयन (Planned marriage or better-selection of male)-उच्च आनुवंशिक लक्षणों जैसे निरोगी. बलवान, बुद्धिमान एवं उच्च मानसिक क्षमता वाले माता-पिता की भावी संतानें भी अच्छे या उच्च लक्षणों वाली होंगी, क्योंकि आनुवंशिक लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत होते हैं। अतःविवाह के समय साथी का चयन, जातीय, धार्मिक, राष्ट्रीयता, दहेज और सामाजिक प्रतिष्ठा, आदि संकीर्ण विचार के आधार पर नहीं होना चाहिए। यदि विवाह के समय साथी का चयन शारीरिक, मानसिक व स्वभाव के आधार पर किया जाए तो निश्चय ही मानव जाति के अनेक आनुवंशिक अवगुणों को कम किया जा सकता है और विश्व में सुख व शांति स्थापित करने की संभावनाएँ बढ़ सकती हैं।
  2. सामाजिक प्रतिबन्धों से मुक्ति (Removal of social buildings)-बहुत-से सामाजिक तथा धार्मिक प्रतिबन्धों के कारण विभिन्न जातियों के स्त्री-पुरुषों में विवाह-सम्बन्ध नहीं होता। इसके कारण बहुत-सा अच्छा जर्मप्लाज्म (germplasm) आपस में मिलने से रह जाता है। इसी प्रकार धनाभाव इत्यादि से भी बाधाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। मनुष्य जाति की उन्नति एवं विकास के लिए इस प्रकार के प्रतिबन्ध नहीं होने चाहिए।
  3. उच्च आनुवंशिक लक्षणों को प्राथमिकता (Preferemce to good traits)-समाज में बुद्धिमान, स्वस्थ और उच्च मानसिक क्षमता वाले मनुष्यों को शादी एवं जनन के लिए अधिकाधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
  4. अच्छे जर्मप्लाज्म को नष्ट होने से रोकना (Prevention of wastage of (nightblindnes| Good Germplasm)-अधिक आयु में शादी होने के कारण बहुत-सा अच्छाजर्मप्लाज्म व्यर्थ ही नष्ट हो जाता है, अधिकांश विद्वान, राजनीतिज्ञ एवं अन्य विशेषज्ञ शादी ही नहीं करते। कभी-कभी अनुपयुक्त परिस्थितियों में उचित जर्मप्लाज्म नष्ट हो जाता हैतथा उचित अवसरों के अभाव में वह अपनी योग्यता प्रदर्शित नहीं कर पाता। युद्ध के समय बहादुर मनुष्य मर जाते हैं। इस प्रकार की समस्त कमियों को दूर करके सभी मनुष्यों को उचित वातावरण व परिस्थितियाँ मिलनी चाहिए ताकि उनका जर्मप्लाज्म अपने गुणों को पूरी तरह प्रदर्शित कर सकें।
  5. अन्तःक्षेपण द्वारा जीनी संगठन में सुधारजीन संश्लेषण तथा संश्लेषित जीन के अन्तःक्षेपण में सफलता के पश्चात यह आशा की जा सकती है कि मनुष्य के जीनी संगठन में सुधार किया जा सकेगा।
  6. श्रेष्ठ विद्यार्थियों की सहायता (Subsidisation of superior Students)-बच्चे व छात्र किसी भी राष्ट्र की भावी आधारशिला होते हैं। अत: मानवजाति की उन्नति एवं उसे स्वस्थ एवं निर्दोष बनाने के लिए, बच्चों व विद्यार्थियों के पल विकास एवं उन्नति की ओर ध्यान देना आवश्यक है। विद्यार्थियों के एक समूह

“छात्र समान रूप से बुद्धिमान एवं स्वस्थ नहीं होते वरन् मानसिक रूप से स्वस्थ माता-पिता के बच्चे ही उत्तम छात्र होते हैं।

  1. जीनी सर्जरी अर्थात जीनी इन्जीनियरिंग (Genic surgery or Genic Engineering)-आधुनिक वैज्ञानिक भ्रूण में ही आनुवंशिक दुर्बलताओं एवं दो पता लगाकर व्यक्तियों के जीनी या आनुवंशिक पदार्थ (genetic material DNA परिवर्तन का प्रयास कर रहे हैं। इसमें एक जीव का DNA निकालकर दसरे जी DNA में जोड़ना या रसायनों तथा विकिरण द्वारा जीव के DNA में रासायनिक परिवर्तन अर्थात् उत्परिवर्तन (mutation) करना, आदि की संभावनाओं पर तेजी से काम हो रहा है। ऐसी संभावना पर भी काम हो रहा है कि श्रेष्ठ लक्षणों वाली स्त्रियों के अंडाशय (ovaries) में द्विसूत्री अण्डाणु (diploid ova) बनें और निषेचन के बिना ही अर्थातअनिषेकजनन (parthenogenesis) द्वारा इनके भ्रूणीय परिवर्धन से सन्तानें बन जाएँ।

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