Capacitor Plates Function of Time
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प्रश्न 2. श्रेणीक्रम में एक प्रतिरोध R तथा एक संधारित्र के परिपथ में एक स्थिर विद्युत वाहक बल E आरोपित किया गया है। संधारित्र की प्लेटों पर आवेश समय के फलन के रूप में प्राप्त कीजिए। कालांक क्या है?
A constant e.m.f. E is applied to a circuit containing a resistance R and a capacitor C in series. Deduce an expression for the charge on the capacitor plates as a function of time. What is time constant ?
उत्तर : संधारित्र का आवेशन– माना एक परिपथ में धारिता C के संधारित्र के श्रेणीक्रम में एक प्रतिरोध R तथा स्थिर विद्युत वाहक बल E की एक बैटरी जुड़ी है (चित्र-17)। जब स्विच S को a के सम्पर्क में लाते हैं तो परिपथ पूर्ण हो जाता है तथा संधारित्र को जोड़ने वाले तारों में आवेश प्रवाहित होता है
तथा संधारित्र आवेशित होने लगता है। जब संधारित्र की प्लेटों के बीच <-E उत्पन्न विभवान्तर आरोपित विद्युत वाहक बल E के बराबर हो जाता है तो आवेशन-धारा रुक जाती है। इस प्रकार संधारित्र के आवेशित होते समय संधारित्र के तारों में परिवर्ती धारा बहती है जो प्रारम्भ में अधिकतम होती है तथा संधारित्र के पूर्णत: आवेशित हो जाने पर घटकर शून्य हो जाती है।
यदि आवेशन के दौरान किसी क्षण t पर संधारित्र की प्लेटों पर आवेश q है तो उनके बीच विभवान्तर q / C होगा तथा यह आरोपित विद्युत वाहक बल E के विपरीत कार्य करेगा। अतः इस क्षण परिपथ में प्रभावी विद्युत वाहक बल E – (q / C) होगा। ओम के नियम के अनुसार, प्रभावी विद्युत वाहक बल, Ri के बराबर होना चाहिए, जहाँ i इस क्षण परिपथ में धारा है।
इससे स्पष्ट है कि गुणन CR का मान जितना कम होगा, संधारित्र पर आवेश का संचय उतनी ही शीघ्रता से होगा। गुणन CR परिपथ का कालांक (time constant) कहलाता है। यदि C फैरड में तथा R ओम में हो तो कालांक सेकण्ड में होगा।
संधारित्र का निरावेशन— माना जब संधारित्र पूर्णतया आवेशित हो जाता है तो स्विच S को 6 स्थिति पर लाया जाता है (चित्र-18)। अब बन्द परिपथ में पुन: आवेश प्रवाह (धारा) होता है तथा संधारित्र निरावेशित होने लगता है। जैसे-जैसे संधारित्र की प्लेटों के बीच विभवान्तर कम होता जाता है, निरावेशन धारा क्षीण होती जाती है तथा संधारित्र के पूर्णत: विसर्जित हो जाने पर धारा भी शून्य हो जाती है।
माना निरावेशन के दौरान किसी क्षण t पर संधारित्र पर बचा आवेश है तथा परिपथ में धारा । है। इस क्षण संधारित्रं की प्लेटों के बीच विभवान्तर q / C होगा जिसके कारण प्रतिरोध R में धारा i है। अतः इसका मान Ri के बराबर होना चाहिए, अर्थात्
अत: कालांक CR जितना कम होगा, उतनी ही शीघ्रता से संधारित्र निरावेशित होगा।