BSc Zoology Excretory Organ Question Answer
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प्रश्न 6 – नेरीस में उत्सर्जी तन्त्र का वर्णन कीजिए।
Describe the excretory system in Nereis.
अथवा नेरीस के नेफ्रीडियम पर टिप्पणी लिखिए।
Write short note on Nephridium of Nereis.
उत्तर –
उत्सर्जी अंग
Excretory Organ Notes
नेरीस में उत्सर्जी क्रिया वृक्ककों (nephridia) द्वारा होती है। कुछ अग्र तथा पश्च खण्डों को छोड़कर प्रत्येक खण्ड में एक जोड़ी वृक्कक पाए जाते हैं।
प्रत्येक वृक्कक की रचना में एक अण्डाकार वक्रित काय (body) और एक सँकरी ग्रीवा होती है। काय अपने खण्ड की अधर, पार्वीय दिशा में कुछ अनुप्रस्थ रूप से स्थित रहती हैं, जबकि उसकी ग्रीवा आगे की ओर के अन्तरखण्डीय पट को छेदकर अगले खण्ड में कुछ दूर बढ़ जाती है।
वृक्कक काय योजी ऊतक के बहकेन्द्रकी (syncytial) पिण्ड की बनी होती है। इस पिण्ड के अन्दर दोनों सिरों पर खुलती हुई एक कुण्डलित उत्सर्जी या वृक्कक
नलिका (nephridial tubule) होती है। इस नलिका का एक सिरा ग्रीवा प्रदेश में स्थित कीप समान वृक्कक मुख (nephrostome) द्वारा अगले खण्ड की प्रगुहिका में खुलता है। वृक्कक मुख के किनारे से कई लम्बे एवं कोमल प्रवर्ध निकले होते हैं जिन पर सीलिया होते हैं। इस प्रकार के पक्ष्माभी वृक्कक मुख वाले वृक्कक को मेटावृक्कक (metanephridium) कहते हैं। वृक्कक मुख से अन्दर की ओर उत्सर्जी नलिका काय प्रदेश में अत्यन्त कुण्डालित हो जाती है और अन्त में अन्तस्थ वाहिनी (terminal duct) बनाती है जो वृक्कक रन्ध्र (nephridiopore) द्वारा बाहर खुल जाती है। वृक्कक रन्ध्र पार्श्व पाद के अधर सिरस के आधार के निकट बाहर खुलता है और एक स्फिक्टर द्वारा सुरक्षित रहता है। उत्सर्जी नालिका अधिकतर पक्ष्माभित होती है तथा अन्तस्थ वाहिनी में पक्ष्माभ नहीं होते।
BSc Zoology Excretory organ Question Answer
उत्सर्जन की कार्यिकी (Physiology of Excretion)–नेरीस में उत्सर्जन क्रिया दो प्रकार से होती है-1. वृक्कक की बाहरी सतह रुधिर केशिकाओं द्वारा सघन रूप से आच्छादित रहती है। पक्ष्माभी नलिका की भित्ति का निर्माण करने वाली ग्रन्थि कोशिकाएँ इन केशिकाओं के रुधिर में से उत्सर्जी पदार्थ को पृथक् करके वृक्कक रन्ध्र द्वारा बाहर निकाल देती हैं। नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थ मुख्यत: अमोनिया होता है।
जीवाणुओं के समान बाहरी पदार्थों को खा लेने वाली या उनके द्वारा नष्ट की गई प्रगुही कणिकाओं को प्रगुहा में खुलने वाले वृक्ककों के पक्ष्माभित कीपों द्वारा बाहर निकाला जाता है। यदि उत्सर्जी नलिका में प्रगुहा से कोई लाभदायक पदार्थ प्रवेश कर जाता है तो वह इसकी कोशिकाओं द्वारा पुनः अवशोषित कर लिया जाता है। इस क्रिया को वरणात्मक पुनःअवशोषण (selective reabsorption) कहते हैं।
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