BSc Zoology Euglena Viridis Study Notes

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प्रश्न 1 – यूग्लीना की संरचना, प्रचलन तथा पोषण का वर्णन कीजिए।

Describe the structure, locomotion and nutrition of Euglena. 

अथवा स्वपोषी पोषण पर टिप्पणी कीजिए।

Write note on Autotrophic Nutrition. 

उत्तर  –               यूग्लीना विरिडिस 

                        (Euglena viridis)

यूग्लीना एक हरे रंग का प्रोटोजोअन है। इसका हरा रंग क्लोरोफिल से युक्त क्लोरोप्लास्ट के कारण होता है। इसी कारण यह पादप तुल्य होता है। यूग्लीना में नेत्र के समान | प्रकाश ग्रहण करने की एक संरचना होती है।

यह मुक्तजीवी, स्वच्छ जलीय, फ्लैजीलेट प्राणी है।

यूग्लीना की संरचना (Structure of Euglena)

यूग्लीना विरिडिस एक छोटा सूक्ष्मदर्शीय जीव है। इसका शरीर लम्बा तर्करूप होता है। अगले गोलीय सिरे से एक कशाभ (flagellum) निकला हुआ होता है। यूग्लीना के शरीर पर एक स्पष्ट, पतली, लचीली व दृढ़ तनुत्वक् (pellicle) का आवरण होता है। यह प्लाज्मा कला के नीचे होती है। तनुत्वक् प्रोटीन की बनी कुण्डलनी के समान व्यवस्थित पट्टियों की बनी होती | इसके नीचे म्यूकस स्राव करने वाली म्यूसिफेरस कायों (bodies) और माइक्रोटयब्यल्स की एक पंक्ति होती है।

कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm)-तनुत्वक् से अन्दर की ओर कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) होता है जिसका बाहरी स्वच्छ, सघन एवं सँकरा परिधीय भाग एक्टोप्लाज्म कहलाता है। इसी भाग में माइक्रोट्यूब्यूल्स तथा म्यूसिफेरस कायं होती हैं। एक्टोप्लाज्म के भीतर की ओर कणदार तरल भाग एण्डोप्लाज्म कहलाता है जिसमें केन्द्रक तथा अन्य रचनाएँ होती हैं।

आशय (Reservoir)-शरीर के अगले गोल सिरे पर फ्लास्क के आकार का एक स्थायी गर्त होता है। इस गर्त का चौड़ा भाग आशय या फ्लैजिलर सैक कहलाता है। यह कोशिका ग्लेट (gullet) या साइटोफैरिंक्स के द्वारा बाहर खुलता है। इसके बाहर खुलने वाले छिद्र को साइटोस्टोम कहते हैं। कोशिका मुख से धागे के समान एक फ्लैजिलम निकलता है। फ्लैजिलम दो होते हैं। एक फ्लैजिलम बड़ा व दूसरा छोटा होता है तथा आशय के अन्दर ही रहता है। दोनों कशाभों की उत्पत्ति दो छोटी-छोटी कणिकाओं से होती है जिन्हें ब्लीफैरोप्लास्ट या काइनेटोसोम कहते हैं जो आशय के आधार में कोशिकाद्रव्य में पायी जाती हैं। लम्बे फ्लैजिलम में आधार के निकट एक पाीय उभार होता है जिसे पैराफ्लैजिलर बॉडी कहते हैं। यह प्रकाशग्राही की भाँति कार्य करता है।

BSc Euglena Viridis Notes
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केन्द्रक (Nucleus)शरीर में पिछले सिरे के निकट एण्डोप्लाज्म में गोलाकार या अण्डाकार केन्द्रक होता है। केन्द्रक में एक बड़ी ठोस केन्द्रिका या न्यूक्लिओलस होती है। इसकी रचना क्रोमैटिन से होती है तथा इसको एण्डोसोम या कैरिओसोम कहा जाता है। केन्द्रक के चारों ओर एक दोहरी महीन तथा छिद्रित झिल्ली होती है जिसे केन्द्रक कला कहते हैं। केन्द्रक के न्यूक्लियोप्लाज्म में कणदार धागों के समान गुणसूत्र होते हैं।

संकुचनशील उपकरण (Contractile vacuole)— यह आशय से जुड़ा एक सघन परासरण नियन्त्रण प्रदेश (osmoregulatory zone) है जिसमें एक बड़ी केन्द्रीय संकुचनशील रिक्तिका (contractile vacuole) होती है जो चारों ओर से अनेक छोटी-छोटी सहायक रिक्तिकाओं (accessory vacuoles) से घिरी रहती है। यह रिक्तिका अन्तःपरासरण द्वारा आए जल को तथा उपापचय में उत्पन्न उत्सर्जी पदार्थों को जल के साथ आशय, कोशिका ग्रसनी और साइटोस्टोम के मार्ग से त्यागने का कार्य करती है।

दृक् (नेत्र) बिन्दु (Stigma स्टिग्मा) – संकुचनशील रिक्तिका के विपरीत आशय के निकट एक लाल रंग का बिम्बाभ पिण्ड होता है, जिसे नेत्र बिन्दु (eye spot) या स्टिग्मा (stigma) कहते हैं।

स्टिग्मा तथा पैराफ्लैजिलर बॉडी परस्पर मिलकर एक प्रकाशग्राही उपकरण बनाते है।

जब यूग्लीना प्रकाश की ओर गति करता है तो उसका प्रकाशग्राही प्रकाशित हो जाता है और जैसे ही उसकी गति की दिशा में परिवर्तन होता है वैसे ही स्टिग्मा में होने वाले वर्णक की छाया प्रकाशग्राही पर पड़ती है। ऐसा होने से उसकी प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है और यह फिर से अपने आप को प्रकाश की दिशा में कर लेता है।

अन्तर्द्रव्यी अन्तर्वेशन (Endoplasmic inclusions)- यूग्लीना के एण्डोप्लाज्म में क्लोरोप्लास्ट अथवा क्रोमैटोफोर्स, पैरामाइलोन या पैरामाइलम, गॉल्जीकाय, अन्तर्द्रव्यी जालिका, माइटोकॉण्ड्रिया तथा राइबोसोम भी पाए जाते हैं।

प्रचलन (Locomotion) 

यूग्लीना दो प्रकार से गति करता है – कशाभी गति तथा यूग्लीनाभ गति।

  1. कशाभी गति (Flagellar movement)- यूग्लीना जल में मुक्त रूप से चलनकारी कशाभ की सहायता से तैरता है। तैरते समय इसका कशाभ तिर्यक रूप से पीछे को दृक् बिन्दु (eyespot) की ओर रहता है। इसमें आधार से सिरे की ओर सर्पिल तरंगें चलती हैं| जिससे यह इधर-उधर तेजी से स्पंदन करने लगता है। कशाभ औसतन प्रति सेकण्ड 12 स्पंदन करता है। कशाभ की इस स्पंदन क्रिया से जल पीछे की ओर धकेला जाता है और सम्पूर्ण शरीर आगे की ओर बढ़ता है। प्रत्येक स्पंदन द्वारा शरीर आगे की ओर बढ़ने के साथ-साथ पाश्व्रीय गति भी करता है। इस प्रकार, जब लगातार एक के बाद दूसरा स्पंदन होता है तो यूग्लीना एक परी सर्पिल मार्ग या वृत्त वक्र (gyration) में आगे बढ़ता है। सर्पिल गति करने के साथ-साथ यूग्लीना अपने अक्ष पर भी चक्रण करता है।

कशाभ की यह गति उसके अन्दर होने वाले नौ परिधीय रेशों के संकुचन द्वारा होती है। रेशों की संकुचन क्रिया के लिए आवश्यक ऊर्जा ATP   से प्राप्त होती है जो ब्लीफैरोप्लास्ट में स्थित माइटोकॉण्ड्रिया में निर्मित होती है।

BSc Euglena Viridis Notes
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  1. यूग्लीनाभ गति (Euglenoid movement) – इसके लिए लघु उत्तरीय प्रश्न – का अध्ययन करें।

पोषण (Nutrition)

यूग्लीना विरिडिस में स्वपोषी (autotrophic) या पादपसमपोषी (holophytic) और मृतपोषी (saprophytic) प्रकार से पोषण होता है। पादपसमपोषी पोषण यूग्लीना में पोषण की मुख्य विधि है।

इस प्रकार की दोहरी पोषण विधि को मिश्रपोषी पोषण (Mixotrophic nutrition) कहते हैं।

  1. पादपसमपोषी या स्वपोषी पोषण (Holophytic or Autotrophic nutrition)-यूग्लीना अपना भोजन क्लोरोप्लास्ट में उपस्थित क्लोरोफिल की सहायता से हरे पौधों की भाँति प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा स्वयं तैयार कर सकता है। क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा का शोषण करता है। इस ऊर्जा से जल, कार्बन डाइऑक्साइड के साथ कई चरणों में क्रिया करता हुआ ग्लूकोस शर्करा का निर्माण करता है। यह शर्करा एक अन्य प्रकार के कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित हो जाती है जिसे पैरामाइलम या पैरामाइलोन कहते हैं। इसका रंग आयोडीन विलयन से नीला नहीं होता। यह एण्डोप्लाज्म में कणिकाओं के रूप में बिखरा रहता है।
  2. मृतपोषी या मृतजीवी पोषण (Saprophytic or Saprozoic nutrition) – यह सूर्य के प्रकाश के अभाव में होता है। लगातार अँधेरे में रहने पर इसका क्लोरोफिल नष्ट हो जाता है। इसका रंग भी पीला या सफेद हो जाता है। परन्तु यह फिर भी जीवित रहता है। ऐसी परिस्थिति में यह अपने शरीर की सामान्य सतह से जल में घुले हुए सड़े जैविक पदार्थ अवशोषित करता है। यूग्लीना प्राणियों में पाए जाने वाले पाचक एन्जाइमों का स्रावण कर सकता है।

सामान्यतः हरितलवक अँधेरे में नष्ट होने के बाद सूर्य के प्रकाश में फिर से विकसित हो जाते हैं। यूग्लीना ग्रैसिलिस में यह परिवर्तन स्थायी होता है।

प्रोटीन व अन्य बड़े अणुओं को अन्तर्ग्रहण करने के लिए आशय के आधार पर पिनोसाइटोसिस भी होता देखा गया है।

 


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