BSc Physics Real Gas and Vapour Notes

BSc Physics Real Gas and Vapour Notes

BSc Physics Real Gas and Vapour Notes :-Real Gas: vander Waal’s gas, equation of state, nature of vander Waal’s forces, comparison with experimental P-V curves. The critical constants, gas and vapour, Joule expansion of ideal gas and of a vander Waal’s gas, Joule coefficient, estimates of J-T cooling.

 

 

प्रश्न 41.रुद्धोष्म प्रसार में गैस का ताप क्यों गिरता है? – 

उत्तर : गैस प्रसारित होने में बाह्य प्रतिवेश के विरुद्ध कार्य करती है। इसके लिए गैस अपनी ही आन्तरिक ऊर्जा प्रयुक्त करती है क्योंकि ‘रुद्धोष्म’ प्रसार में गैस को बाहर से ऊष्मा-ऊर्जा नहीं मिलती। अत: गैस की आन्तरिक ऊर्जा घट जाती है, फलस्वरूप गैस का ताप गिर जाता है।

 

प्रश्न 42. ऊष्मागतिक चर किसे कहते हैं

उत्तर : किसी निकाय की ऊष्मागतिक अवस्था को व्यक्त करने के लिए दाब P, आयतन v. ताप T. आन्तरिक ऊर्जा U तथा एन्ट्रॉपी 8 राशियों की आवश्यकता पड़ती है। इन्हें ऊष्मागतिक चर कहते हैं।

प्रश्न 43. चक्रीय प्रक्रम में निकाय की आन्तरिक ऊर्जा बताइए।

उत्तर : शून्य।

प्रश्न 44. ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम लिखिए। 

उत्तर : एक ऐसा इंजन बनाना असम्भव है जो एक चक्र में किसी पिण्ड से ली गयी ऊष्मा को पूर्ण रूप से कार्य में परिवर्तित कर दें तथा कहीं भी किसी प्रकार का परिवर्तन न हो।

प्रश्न 45. ऊष्मागतिकी का तृतीय नियम लिखिए।

उत्तर : नेर्स्ट ने, प्रयोगों के आधार पर, तृतीय नियम को एन्ट्रॉपी के पद में निम्न प्रकार प्रतिपादित किया—

ताप के परम शून्य की ओर अग्रसर होने पर, सभी निकायों की साम्य एन्ट्रॉपियाँ तथा समस्त उत्क्रमणीय समतापी प्रक्रमों में एन्ट्रॉपी-परिवर्तन, शून्य की ओर प्रवृत्त होते जाते हैं तथा परम शून्य ताप पर एन्ट्रॉपी विलोपित हो जाती है।

प्रश्न 46. कार्नो का आदर्श प्रशीतित्र क्या है?

उत्तर : कार्नो का आदर्श प्रशीतित्र-प्रशीतित्र एक, तप्त वस्तु ऐसी चक्रीय युक्ति है, जो ठण्डे स्थान से ऊष्मा लेकर किसी तप्त स्थान को ऊष्मा देती है। प्रशीतित्र को ऊष्मा पम्प भी कहते हैं। यह वास्तव में विपरीत दिशा में कार्य करने वाला एक ऊष्मा इंजन ही है।

प्रशीतित्र में कार्यकारी पदार्थ किसी शीतल वस्तु से ऊष्मा लेता है तथा कार्यकारी पदार्थ पर बाह्य ऊर्जा स्रोत द्वारा पदार्थ कार्य किया जाता है। यह कार्य भी ऊष्मा में बदल जाता है। कार्यकारी पदार्थ इस प्रकार प्राप्त ऊष्मा तथा शीतल वस्तु से. ली गयी ऊष्मा को किसी गर्म वस्तु को दे देता है। इस प्रकार यह बाह्य ऊर्जा-स्रोत के व्यय (expense) पर शीतल वस्तु से तप्त वस्तु को अविरत रूप से ऊष्मा स्थानान्तरित । शीतल वस्तु । (transfer) करता रहता है जिसके परिणामस्वरूप शीतल वस्तु का और अधिक शीतलन होता जाता है।

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यदि प्रशीतित्र में चलने वाले सभी प्रक्रम उत्क्रमणीय हैं तो प्रशीतित्र को कार्नो का आदर्श प्रशीतित्र कहते हैं।

 

प्रश्न 47. कार्नो की प्रमेय लिखिए। 

उत्तर : इस प्रमेय के अनुसार दो निश्चित तापों के बीच कार्यरत कोई भी इंजन उन्हीं दो तापों के बीच कार्य करने वाले उत्क्रमणी इंजन से अधिक दक्ष नहीं हो सकता है तथा दिए गए दो तापों के बीच कार्य करने वाले सभी उत्क्रमणीय इंजनों की दक्षताएँ समान होती हैं, चाहे कार्यकारी पदार्थ कुछ भी लिया गया हो।

 

प्रश्न 48. सूर्य के पृष्ठ का ताप लगभग 6000K है। यदि हम एक बड़ा लेन्स लें तथा सूर्य की किरणों को फोकस करें तो क्या हम 8000K ताप उत्पन्न कर सकते हैं

उत्तर : यह सम्भव नहीं है। इसका कारण यह है कि 8000 K ताप के सापेक्ष सूर्य (6000K ताप) एक शीतल वस्तु है। अतः लेन्स द्वारा शीतल वस्तु से ऊष्मा स्थानान्तरित करके 8000K ताप उत्पन्न करना ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम का उल्लंघन है।

 

प्रश्न 49. समुद्र में असीम ऊष्मीय ऊर्जा है। क्या हम इस ऊर्जा का उपयोग करके समुद्र में जहाज चला सकते हैं?

उत्तर : जल की आन्तरिक ऊर्जा से ऊर्जा लेकर उससे जहाज चलाने के चक्र के प्रारम्भ में, जहाज का इंजन जल से कुछ ऊष्मा Q लेगा, इसका कुछ भाग कार्य में परिवर्तित करेगा, परन्तु शेष ऊष्मा वह कहाँ निष्कासित करेगा। द्वितीय नियम के अनुसार शेष ऊष्मा एक शीतल वस्तु (सिंक) को निष्कासित होनी चाहिए, परन्तु इस प्रकार का कोई साधन उपलब्ध नहीं है। सैद्धान्तिक रूप में यह सम्भव है यदि इस प्रकार का कोई साधन हम ऊपर वायुमण्डल में उपलब्ध करा सकें। परन्तु प्रायोगिक दृष्टि से यह असम्भव है।

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यदि T2 = T1 तो e = 0, अर्थात् बिना तापान्तर के, ऊष्मीय ऊर्जा का यान्त्रिक कार्य में परिवर्तन असम्भव है।

 


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