BSc Botany Origin Evolution Gymnosperms Notes

BSc Botany Origin Evolution Gymnosperms Notes

 

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प्रश्न 15 – अनावृतबीजियों की उत्पत्ति तथा विकास पर निबन्ध लिखिए। 

उत्तर

अनावृतबीजी की उत्पत्ति तथा विकास 

(Origin and Evolution of Gymnosperms) Notes

प्रोजिम्नोस्पर्म (progymnosperms) संरचनाओं की उत्पत्ति व विकास के आधार हैं। जीवाश्म केलीजाइलोन (Callixylon) में संवहन पूल एक वलय (ring) में थे। द्वितीयक काष्ठ (secondary wood) में ट्रेकीड (tracheid) थी जिन पर परिवेशित गर्त (bordered pits) थे। इसका व्यास 3-5 फीट तथा लम्बाई 28-30 फीट थी।

Back (1960) ने आर्किओप्टेरिस (Archaeopteris) की पत्ती को केलीजाइलोन (Callixylon) के समान तने के साथ पाया। यह एक महत्त्वपूर्ण खोज थी। इसमें एक पादप की काष्ठ जिम्नोस्पर्म के समान तथा पत्ती व बीजाणुधानी फर्न के समान थी। इस पादप के गुण टेरिडोफाइटजिम्नोस्पर्म के समान थे। यह द्वितीयक काष्ठ (secondary wood) व मनोस्पर्म की उत्पत्ति पर प्रकाश डालता है।

टेट्राजाइलोप्टेरिस (Tetraxylopteris) भी जिम्नोस्पर्म व टेरिडोफाइट (Pteridophyte) के समान गुण दर्शाता है। उपर्युक्त उदाहरणों से पता लगता कि जिम्नोस्पर्म का विकास प्रोजिम्नोस्पर्म (progymnosperm) से upper devonian में हुआ।

जिम्नोस्पर्म (gymnosperm) की आन्तरिक संरचना में भिन्नता पायी जाती है। साइकस (Cycas) में फर्न के समान गुण मिलते हैं। द्वितीयक काष्ठ मैनोजाइलिक (manoxylic,  साइकस) तथा पिक्नोजाइलिक (pycnoxylic, e.g. Pinus) में मिलती है। वाहिका (vessels) नीटेल्स में मिलती हैं, जबकि साइकस तथा पाइनस में नहीं मिलती। सहचर कोशिकाएँ (companion cells) फ्लोएम में नहीं मिलती हैं।

जैफरी (Jaffrey, 1917) के अनुसार, प्रोटोस्टील (protostele) साइफोनोस्टील (siphonostele) के विकास का आधार है। उसने पिथ (pith) का विकास एक्स्ट्रास्टीलर (extrastelar origin) बताया। परन्तु एक अन्य मतानुसार (Eames and Zimmermen) पिथ केन्द्रीय जाइलम से विकसित हुआ (इन्ट्रास्टीलर उत्पत्ति, Intrastelar origin) माना गया है।

BSc Botany Origin Evolution Gymnosperms Notes

नम्बूदरी (1968) तथा Back (1970) के मतानुसार जिम्नोस्पर्म की यूस्टील (eustele) प्रोटोस्टील (protostele) के लम्बवत् काट से विकसित हुई। इस मत का समर्थन Scott (1923) ने किया। Back (1970) के अनुसार स्टील का विकास दो प्रकार से हुआ –

(i) एन्यूरोफाइटियन प्राक्अनावृतबीजी से साइकेडोफाइट्स की ओर कैलेमोपिटिस से होते हुए। (From Aneurophytean progymnosperm goes to cycadophytes through Calamopitys.)

(ii) कोनीफरेल्स की ओर आर्किओप्टेरिस से होते हुए। (Towards Coniferals through Archaeopteris.)

शंकु (Strobilus) Notes

प्रारम्भिक टेरिडोस्पर्म (pteridosperm) में शंकु नहीं मिलते हैं। दो शब्द फिल्लोस्पर्म तथा स्टेचियोस्पर्म (Phyllosperm and Stachyosperm) प्रयोग किए जाते थे। बीजाणु, बीजाणुधानीयुक्त स्पोरोफिल पत्ती के समान थी। प्रारम्भिक जिम्नोस्पर्म में इनमें शंकु बना (e.g. Cordiatales)। इनमें शंकु मोनोस्पोरेन्जिएट (monosporangiate) था बाइस्पोरेन्जिएट (bisporangiate) शंकु नीटेल्स में मिले।

स्पोरोफिल (Sporophyll) Notes

Cycadales की लघुबीजाणुपर्ण (microsporophyll) आद्य (primitive) है तथा इनमें फर्न के समान गुण हैं।

बीजाण्ड दो प्रकार के होते हैं-द्विपाश्विक तथा अरीय सममित (bilaterally and radially symmetrical) बेनसन (1940) ने बताया कि Cycadofilicales में एक बीजाण्ड पर एक अध्यावरण (integument) होता था।

एन्ड्रज (1961) ने टेरिडोस्पर्म बीजाण्ड (pteridosperm ovule) के विकास विषय म बताया। मार्टिन (Martin, 1986) के अनुसार विषमबीजाणयक्त टेरिडोफासइट

र विषमबीजाणुयुक्त टेरिडोफाइट

(hterosporous pteridophyte) में मेगास्पोर बीजाणुधानी भित्ति से पृथक् होते हैं, जबकि बीजीय पादपों में बीजाणुधानी भित्ति मेगास्पोर से संयुक्त होती है। बीजाण्ड का विकास भी रेडियल से बाइलेटरल (bilateral) हुआ। Cycadales के बीजाण्ड (ovule) में त्रिस्तरीय three lavered) भित्ति मिलती है। बाह्य तथा अन्दर वाली भित्ति मांसल (fleshy) तथा बीच की स्टोनी (stony) होती है। कोनीफरेल्स (coniferales) में केवल दो भित्तियाँ मिलती हैं। नीटेल्स में बाह्यभित्ति पल्पी (pulpy) होती है।

नर युग्मकोद्भिद् (Male Gametophyte)

इसका विकास परागकण से होता है, जो फर्न समान साइनेन्जिया (Synangia) में मिलते हैं। बीजाणु छोटे ट्राइलेट (trilete) होते हैं। Caytonia, Cordaites के जीवाश्मों में पंख (wings) भी मिलते थे। टेलर (1973) ने Cycadeoidea में बहुकोशिकीय परागकण (multicellular pollen grains) बताए। जीवाश्म पादपों में पराग नलिका नहीं पायी जाती थी; इससे पता चलता है कि मुमणु चलायमान (motile sperm) थे। ..

Renault (1902) ने Actheotesta में माइक्रोस्पोर में एक तरफ उभार (protuberance) बताया। माइक्रोस्पोर का अंकुरण प्रीकोसियस (precacious) होता था। घुमणु (antherozoids) बनने की एक से अधिक विधियाँ थीं। पहले विभाजन से माइक्रोस्पोर में दो कोशिकाओं वाली संरचना बनी। एक कोशिका निष्क्रिय (non-functional) थी तथा दूसरी कोशिका ने विभाजित होकर ट्यूब केन्द्रक (tube nucleus) तथा जेनरेटिव केन्द्रक (generative nucleus) बनाया। प्रोथैलियल कोशिका Taxaceae, Cupressaceae, Cephalotaxaceae में नहीं पायी जाती। एम्ब्रियोनिक कोशिका एन्थ्रीडियल कोशिका की भाँति व्यवहार करती है। अधिकांश जिम्नोस्पर्म में प्रोथैलियल कोशिका समाप्त हो जाती है अथवा निष्क्रिय होती है। परन्तु Arucariceae, Podocarpaceae में प्रोथैलियल कोशिका विभाजित होकर दो कोशिकाएँ बनाती हैं। जेनरेटिव कोशिका एन्टीक्लाइनली (anticlinally) विभाजित होती है। इस प्रकार का विभाजन पुंमणु (antherozoid) के मुक्त होने में सहायक होता है।

जीवाश्म पौधों में घुमणु की उपस्थिति नहीं दिखाई दी है, परन्तु यह अनुमान है कि पंण साइकेड (Cvead) प्रकार के थे। साइकस के पुमणु आकार में बड़े तथा अनेक फ्लैजेला वाले हैं। नीटेल्स तथा गिंगो में पराग नलिका होस्टोरियल अथवा चषक (haustorial) प्रकृति की होती है। पाइनस में पराग नलिका आर्किगोनियम की नेक कोशिकाओं को नष्ट करती है तथा अपने सभी पदार्थों को मुक्त करती है। यहाँ केन्द्रक नग्न होते हैं। फ्लैजेला वाले घुमणु का नग्न केन्द्रक द्वारा प्रतिस्थापित (replace) होना एक महत्त्वपूर्ण उन्नत (advance) गुण है।

मादा युग्मकोद्भिद् (Female Gametophyte) Notes

अध्यावरण (integument) लोब वाला नहीं होता है तथा न्यूसेलस (nucellus) से जुड़ा होता है, माइक्रोपाइलर (micropylar) भाग को छोड़कर (e.g. Lyginopteris)।

लेकिन साइकेडोफिलीकेल्स (Cycadofilicales) में अध्यावरण पालित (integument lobed) होता है तथा न्यूसेलस (nucellus) से मुक्त होता है। Williamsonia में अध्यावरण न्यूसेलस से जुड़ा रहता है। Crepet and Delevoryas (1972) के अनुसार

Bennettitales में तीन स्तरीय अध्यावरण होता है।

Cordaites में मादा युग्मकोद्भिद् पूरी गुहा को घेरे रहता है तथा दो आर्किगोनिया (archegonia) मिलती हैं।

ट्राइफाइलेटिक उत्पत्ति (Triphyletic origin)-काष्ठ आन्तरिक (जाइलोटोमी) के आधार पर Greguss (1972) ने उत्पत्ति की तीन धाराएँ बताईं जिनकी समानता टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) से है। ये निम्नलिखित हैं

(1) साइकस, गिंगो तथा पोडोकारपेसी के सदस्यों की समानता टेरिडोफाइट के टेरोप्सिडा (Pteropsida) से है।

(2) Cupressaceae के सदस्यों की समानता टेरिडोफाइटा के स्फीनोप्सिडा (Sphenopsida) से है।

(3) पाइनेसी तथा Taxodiaceae के सदस्यों की समानता टेरिडोफाइटा के लाइकोप्सिडा (Lycopsida) से है।

नोट-इस प्रश्न-पत्र को पाँच खण्डों-अ, ब, स, द एवं इ में विभाजित किया गया है। खण्ड-अ में एक लघु उत्तरीय प्रश्न है, जिसके दस भाग हैं। ये सभी दस भाग अनिवार्य हैं। खण्डों-ब, स, द एवं इ (विस्तृत उत्तरीय प्रश्न ) प्रत्येक में दो प्रश्न हैं। प्रत्येक खण्ड से एक प्रश्न कीजिए। विस्तृत उत्तर अपेक्षित है। आवश्यकतानुसार स्वच्छ और नामांकित चित्र बनाइए।

 


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