BSc Botany Gametophyte In Poganatum Notes

BSc Botany Gametophyte In Poganatum Notes

 

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प्रश्न 6 – पोगेनेटम के युग्मकोद्भिद् की संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए।

उत्तर  

पोगेनेटम का युग्मकोद्भिद् :

(Gametophyte in Poganatum)

बाह्य संरचना (External Features) 

पोलीट्राइकम के युग्मकोद्भिद् में एक क्षैतिज भूमिगत राइजोम तथा वायवीय शाखाएँ प्रमुख हैं। शाखाएँ ऊर्ध्व तथा पर्णिल प्ररोह तथा राइजोम के मध्य ट्रांजीशनल मध्य क्षेत्र (transitional middle zone) भी मिलता है। यह क्षेत्र भूरा व तीन तरफा (three side) होता है।

राइजोम (Rhizome)—यह क्षैतिज, भूमिगत भाग है। इस पर छोटी रंगहीन अथवा भूरी पत्तियाँ तीन कतारों में व असंख्य राइजोइड मिलते हैं।

पर्णिल प्ररोह (Leafy Shoot)—यह ऊर्ध्व, पर्णिल अक्ष है जो राइजोम से शाखा के रूप में निकलता है। यह तने समान अक्ष (axis) के रूप में विभेदित होता है जिस पर बड़ी हरी पत्तियाँ (leaves) मिलती हैं।

BSc Gametophyte In Poganatum
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अक्ष (Axis) – सामान्यत: यह अशाखित परन्तु कभी-कभी शाखित होता है। शाखा सदैव पत्ती के नीचे से निकलती है पत्ती के अक्ष से नहीं। कलिका इनीशियल (Bud initial) लगभग प्रत्येक 12वीं पत्ती के नीचे से निकलता है। यदि प्ररोह का अग्र भाग (शीर्ष) काट दिया जाए तो ये कलिका वृद्धि कर शाखा बनाती है। शाखा वृद्धि के लिए वातावरण का नम होना तथा नई कोशिकाएँ सर्पिल रूप में (spiral manner) में व्यवस्थित रहती हैं।

(b) पत्ती (Leaf)-मध्य ट्रांजीशनल क्षेत्र तथा राइजोम पर उगने वाली व भूरी होती हैं। ये रंगहीन भी हो सकती हैं। वायवीय प्ररोह पर उगने वाली पनि तने पर सर्पिलाकार लगी रहती हैं। पर्ण विन्यास 3/8 होता है। प्रत्येक पत्ती के दो भाग लिम्ब व शीथिंग बेस बेस होते हैं। शीथिंग बेस (आधार) में इन्टरकैलरी वृद्धि होती है, परन्तु लिम्ब की शीर्ष कोशिका द्वारा वृद्धि होती है। आधार एक-स्तरीय होता है। लिम्ब लेन्साकार अथवा लीनियर लेन्साकार होता है। मध्य शिरा बहुस्तरीय होती है तथा दोनों तरफ के पक्ष (wings) एक स्तरीय होती है। ऊपरी सतह पर मध्य शिरा लैमिला समान होती है क्योंकि इसमें हरें

लम्बवत् पट्ट (plate) समान ऊतक मिलते हैं। प्रत्येक पत्ती में इस प्रकार की लैमिला की संग 30-50 तक होती है।

(c) राइजोइड (Rhizoids)-ऊर्ध्व गैमिटोफोर के आधार से तथा राइजोम से राइजोइड निकलते हैं। राइजोइड लम्बे मोटी भित्ति वाले बहुकोशिकीय व तिर्यक पटयुक्त होते हैं. वे एक-दूसरे से इस तरह उलझे रहते हैं कि एक रस्सी समान रचना बना लेते हैं। राइजोइड से जल का अवशोषण होता है। रस्सी बनने से इन राइजोइड के मध्य बनने वाली केशिका (capillary) से भी पानी का अवशोषण हो सकता है। कुछ जातियों में इस राइजोइड की रस्सी (string) पर जेमी अथवा कलिकाएँ भी मिलती हैं। यहाँ ट्यूबर भी बनते हैं जो पादप को चिरकालिता प्रदान करते हैं।

 


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