BSc 1st Year Botany Genome Organisation In Virus Notes
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प्रश्न 2 – विषाणुओं में जीनोम संगठन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर –
विषाणुओं में जीनोम संगठन
(Genome Organisation in Virus) Notes
विषाणुओं में संरचनात्मक जीनोम विविधता मिलती है। विषाणुओं में RNA अथवा DNA मिलता है। अधिकांश पादप विषाणुओं में प्राय: एकरज्जुकी RNA अथवा ss-RNA मिलता है। जीवाणुभोजी में द्विरज्जुकी DNA (ds-DNA) मिलता है।
विषाणु में जीनोम रेखीय होता है; जैसे-एडिनी विषाणु। कभी-कभी विषाणु का जीनोम कुछ भागों में बँटा होता है जिसे खण्डित जीनोम कहते हैं। सामान्यत: RNA विषाणुओं का जीनोम खण्डित होता है तथा प्रत्येक खण्ड एक प्रोटीन को कोड करता है। विषाणु के संक्रामक होने के लिए सभी खण्डों का एक ही विरिऑन (virion) होना आवश्यक नहीं होता है।
एकरज्जुकी न्यूक्लिक अम्ल अयुग्मित होता है, जबकि द्विरज्जुकी में दो सम्पूरक युग्मित न्यूक्लिक अम्ल होते हैं। यह सीढ़ीनुमा होता है। कुछ विषाणुओं में जीनोम आंशिक एकरज्जुकी अथवा आंशिक द्विरज्जुकी होता है। एकरज्जुकी विषाणु के जीनोम विषाणु या RNA के पूरक होने अथवा न होने की स्थिति में क्रमशः +रज्जुक अथवा रज्जुक कहलाते हैं। +रज्जुक में रज्जुक का एक भाग परपोषी कोशिका द्वारा अनुवादित हो जाता है, जबकि रज्जुक को पहले +रज्जुक बनना पड़ता है, RNA पॉलिमरेज की सहायता करता है। कुछ एकरज्जुकी RNA (ssRNA) तथा एकरज्जुकी DNA (SSDNA) विषाणुओं में एम्बीसेन्स जीनोम मिलता है जिनसे द्विरज्जुकी रेप्लीकेटिव मध्यस्थ के दोनों रज्जुकों में अनुलेखन सम्भव है।
TMV की प्रतिकृति (Replication of TMV)
परपोषी कोशिका में TMV का संक्रमण होने के पश्चात विषाणु का प्रोटीन कैप्सिड अलग हो जाता है और शीघ्र ही इसका विघटन हो जाता है अब RNA स्वतन्त्र होकर केन्द्रक के अन्दर प्रवेश करता है। अब RNA परपोषी की कोशिका में अपना नियन्त्रण कर लेता है तथा कोशिका का उपयोग अपनी प्रतिकृति (replication) के लिए करता है। यह परपोषी काशिका के इसके विकरों (RNA polymerase, Transcriptase, RNA synthetase आदि) की सहायता लेकर RNA पूरक रज्जु (complementary strandi.e., Negative strand) का निर्माण करता है और द्विरज्जुकी हो जाता है। द्विरज्जुकी RNA विषाणु RNA की अनेक | प्रतियाँ बनाकर केन्द्रक से कोशिकाद्रव्य में आ जाता है तथा विषाणु mRNA की तरह व्यवहार करता है यह mRNA परपोषी (host) RNA ऐमीनो अम्ल की सहायता से परपोषी राइबोसोम पर प्रोटीन का संश्लेषण करता है।
अब प्रोटीन उपइकाइयों का निर्माण होता है जो नए RNA के चारों तरफ.एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित होती हैं तथा नए विषाणु कणों का निर्माण करती हैं। उचित समय आने पर विषाणु कण प्लाज्मोडेस्मेटा से एक कोशिका से दूसरी कोशिका में प्रवेश कर जाते हैं या फ्लोएम में पहुँचकर पादप के अन्य भागों में संचरित हो जाते हैं। TMV से सम्बन्धित वाइरॉन सूक्ष्मदर्शी में अन्त:कोशिकीय समूह के रूप में अथवा रवों के रूप में मिलते हैं।
पौधों में TMV का संचरण उसे संवहन तन्त्र द्वारा सामान्यत: फ्लोएम द्वारा तथा एक कोशिका से दूसरी कोशिका में प्लाज्मोडेस्मेटा अथवा कोशिकाद्रव्यी जाल के द्वारा होता है।
इस प्रकार के संचरण में विषाणु प्रोटीन में शामिल हो सकता है। रोगी कोशिकाओं में हरे वर्णक क्लोरोफिल का निर्माण बाधित होता है जिससे मोजैक के लक्षण उत्पन्न होते हैं। पत्तियों में हरे व पीले क्षेत्र उभर आते हैं।
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