Bsc 2nd Year Botany IV Part B Question Answer Notes :-
खण्ड ‘स‘
प्रश्न 1 – रेननकुलेसी कुल का आर्थिक महत्त्व लिखिए।
उत्तर – रेननकुलेसी कुल का आर्थिक महत्त्व
(Economic Importance of Family Ranunculaceae) A. Bilsteita otet (Medicinal Plants)
(1) एकोनाइटम चेस्मेन्थम (Aconitum chasmanthum) अथवा बन ‘ बलंग-इसके कन्दिल मूल से एकोनाइट (aconite) प्राप्त होती है जो बुखार व जोड़ों के दर्द में दी जाती है।
(2) एकोनाइटम हेट्रोफिल्लम (Aconitum heterophyllum) अथवा अतीस इसकी जड़ें, खाँसी, दमा व पेचिश आदि में प्रयुक्त होती हैं।
(3) एनीमोन पल्सेटिला (Anemone pulsatilla)—यह स्त्री रोगों तथा नाड़ी की – बीमारियों में दी जाने वाली दवा है।
(4) क्लीमेटिस टाइलोबा (Clematis triloba) कोढ़ के लिए।
(5) डेल्फीनियम ब्रूनोनिएनम (Delphinium brunonianum)-इसकी पत्तियाँ कीटनाशक होती हैं। 1
(6) डेल्फीनियम केरुलियम (Delphinium caeruleum) अथवा ढाकांगू (Dhakangu)—यह जानवरों (बकरी आदि) के घावों में उपस्थित कीड़ों को मारने में ‘काम आती है।
(7) रेननकुलस एक्वीटिलस (Ranunculus aquitilis) अथवा जल धनिया-इससे दमा व यूमेटिक दर्द की दवा बनाई जाती है। __
(8) थैलिक्ट्रम फोलिओसम (Thalictrum foliosum) अथवा मेमीरा (Mamira)—इसकी जड़ों से आँख की दवा बनती है।
(9) डेल्फीनियम स्टेफिसग्रेसिया (Delphinium staphisgracia)-इससे स्टेफिस नामक होम्योपैथिक दवा बनती है, जो एन्टीसेप्टिक होती है।
(10) हेलीबोरस नाइगर (Helleborus niger)-यह एक अच्छा रेचक (purgative) हैं।
Hillaci otet (Omamental Plants)
(1) क्लीमेटिस पेनीकुलेटा (Clematis paniculata) ..
(2) डेल्फीनियम एजाकिस (Delphinium ajacis) अथवा लार्कस्पर
(3) नाइजेला डेमेसिना (Nigella damascena) अथवा लव इन ए मिस्ट
(4) थैलिक्ट्रम जेवेनिकम (Thalictrum javanicum)-यह पक्सीनिया रिकोन्डिटा का एकान्तर परपोषी भी है।
(5) नारवेलिया जेलेनिका (Narvelia zeylenica) अथवा ट्रेवेलर्स जॉय।
(6) केल्था पेलुस्ट्रिस (Caltha pellustris)
(7) कोप्टिस टीटा (Coptis teeta)
(8) जेन्थोराइजा सिम्प्लीसीसिमा (Xanthorhiza simplicisima)
(9) एडोनिस स्कोरबिकुलेटा (Adonis scorbiculata) me
(10) हेलीबोरस नाइगर (Helleborus niger)
(11) एक्वीलीजिया वल्गेरिस (Aquilegia vulgaris)
(12) एक्टिया स्पाइकेटा (Actaea spicata)
(13) पेओनिया ऑफिसिनेलिस (Paeonia officinalis),
(14) रेननकुलस म्यूरीकेटस (Ranunculus muricatus) अथवा बटरकप
(15) रेननकुलस स्क्लीरेटस (Ranunculus scleratus) अथवा शीम (Shim)|
विषाक्त पादप (Poisonous Plants)
(1) रेननकुलस फेल्केटस (Ranunculus falcatus) (Baluchi)-यह एक जहरीला पादप है जिससे चर्म (त्वचा) पर छाले पड़ जाते हैं।
(2) रेननकुलस आरवेन्सिस (R. arvensis) अथवा चम्बुल (Chambul)-इसके पुष्प व पत्तियों से सेपोनिन व HCN प्राप्त होता है।।
मसाले (Condiments)
नाइजेला सेटाइवा (Nigella sativa) अथवा कलौंजी या कालाजीरा (Black Cumin)-इसके बीज को कलौंजी कहते हैं जिसका अचार में प्रयोग किया जाता है। १९ पाचक होता है, यह बिच्छू के काटने पर भी प्रयुक्त होता है।
प्रश्न 2 – रेननकुलेसी (Ranunculaceae) कुल के सामान्य वानस्पतिक लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – रेननकुलेसी (Ranunculaceae)
Systematic Position :
स्वभाव (Habit)-अधिकतर शाक (herbs), कुछ झांड़ियाँ (shrubs) अथवा , पेड़ (trees) होते हैं; जैसे-Paeonial एकवर्षीय अथवा बहुवर्षीय। कुछ पानी में पाए जान (aquatic); जैसे-रेननकुलस।
जड़ (Root)-मूसला जड़ (tap root) तथा कुछ अपस्थानिक जड़ (adventiti roots)।
तना (Stem)-वायवीय (aerial) अथवा भूमिगत (underground), आरोही शाकीय, काष्ठीय (woody)।
पत्तियाँ (Leaves)-सरल (simple), एकान्तर (alternate), cauline, अननुपत्री (exstipulate); कभी-कभी हस्ताकार संयुक्त (palmately compound)।
पुष्पक्रम (Inflorescence)-साइमोस (cymose) या रेसीम (e.g. Delphinium)
पुष्प (Flower) सहपत्री (bracteate), वृन्ती (pedicellate), पूर्ण तथा कभी-कभी अपूर्ण, ” actinomorphic लेकिन कुछ में’ zygomorphic (e.g. Delphinium), द्विलिंगी लेकिन एकलिंगी (e.g. Thallictrum), जायांगाधर (hypogynous)।
बाह्यदलपुंज (Calyx)-5, पृथक् बाह्यदल (polysepalous), कोरस्पर्शी अथवा • इम्ब्रीकेट।
दलपुंज (Corolla)-5, कभी-कभी 3-20 या ज्यादा पृथक्दली (polypetalous), कभी-कभी petals अनुपस्थित होते हैं; जैसे – Clematis में इम्ब्रीकेट। कभी-कभी परिदलपुंज (perianth) उपस्थित होता है।
पुमंग (Androecium)- पुंकेसर (stamens) अनिश्चित संख्या में, anther लम्बे, dithecous, basifixed, बहिर्मुखी (extrorse)।
जायांग (Gynoecium)-अण्डपों (carpels) की संख्या अनिश्चित (indefinite) पृथक्अण्डपी (apocarpous) प्रत्येक अण्डप में एक बीजाण्ड (ovule), अक्षीय (axile) बीजाण्डन्यास.(placentation),वर्तिका (styles) लम्बी, तन्तु वाली।
फल (Fruit)-एकीन का पुंजफल कभी-कभी कैप्सूल या बेरी (berry)।
पुष्पसूत्र (Floral Formula) Bre KCE A. Go
प्रश्न 3 – रूटेसी कुल का वर्गीकरण देते हुए उसके पुष्पीय लक्षण लिखिए। इस कुल के आर्थिक महत्त्व के पौधों के नाम लिखिए।
उत्तर – रूटेसी (Rutaceae)
Systematic Position :
Dicotyledon’s
Polypetalae
Geraniales
पुष्पीय लक्षण (Floral characters)
पुष्पक्रम (Inflorescence)-साइमोस (cymose) या रेसीमोस (racemose), कभी-कभी axillary (e.g. Citrus) अथवा terminal एकल पुष्प।
पुष्प (Flower)-असहपत्री (ebracteate), pedicellate या subsessile, पूर्ण लेकिन कुछ में अपूर्ण (incomplete), actinomorphic लेकिन कभी-कभी zygomorphic, द्विलिंगी, पंचभागी (pentamerous) लेकिन कभी-कभी त्रिभागी (trimerous), हाइपोगाइनस (hypogynous), ovary के नीचे एक nectariferous disc भी उपस्थित रहती है।
बाह्यदलपुंज (Calyx)-5, संयुक्त बाह्यदलपुंजी (gamosepalous), कोरस्पर्शी कभी-कभी imbricate, ग्लैंडयुक्त।
दलपुंज (Corolla)-3 (Triphasia), 4 (Zanthoxylum) या अक्सर 5 (Citrus, Murraya), पृथक्दली (polypetalous), कोरस्पर्शी अथवा इम्ब्रीकेट, विभिन्न रंगों वाला, सफेद या पीला।
पुमंग (Androecium)-5, 8 या 10 (Murraya), अनेक (e.g. Citrus), पृथक् पुंकेसरी (polyandrous), द्विअण्डपी, basifixed तथा अन्तर्मुखी (introrse)।
जायांग (Gynoecium)-एकअण्डपी (monocarpellary), 2 अण्डपों वाल (e.g. Murraya), 3 अण्डपों वाला (e.g. Triphasia) या 5 से ज्यादा अण्डपों वाला Citrus), संयुक्त अण्डपी, एक कोष्ठक वाला अथवा बहुकोष्ठीय (multilocular) कोष्ठ में 1-2 बीजाण्ड, axile placentation, stigma एक या बहुत-से भागों में विभाजित
फल (Fruit)-हेस्पेरिडियम (e.g. Citrus) या बेरी।
बीज (Seed)—Endospermici
पुष्पसूत्र (Floral formula)-EbrBPKs) CF A10-0 G(2-5) ..
रूटेसी कुल के आर्थिक महत्त्व के पौधे
(Plants of Family Rutaceae for Economic Importance)
(अ) फलों के पौधे (Fruits Plants)-फल विटामिन C की अधिकता वाले खट्टे-मीठे होते हैं।
(1) संतरा (Citrus reticulata)
(2) मौसमी (Citrus sinensis).
(3) कागजी नींबू (Citrus.aurantifolia)
(4) चकोतरा (Citrus maxima)
(5) बेल (Aegle marmelos)
(6) कैथ (Feronia limonia)।
(ब) सजावटी पौधे (Oranamental Plants)
(7) रूटा (Ruta graveolens)
(8) giftsi (Murraya paniculata)||
(स) दवाइयों के पौधे (Medicinal Plants)-बेल दस्तों में काम आती है।
(9) मीठा नीम (Murraya koenigii)
(10) Pilocarpus microphyllus से पिलोकापीन दवा बनती है, जो काला मोतियाः होने पर आँख में डाली जाती है।
प्रश्न 4 – कामिनी अथवा मुराया एक्सोटिका अथवा विन्का रोसिया के पुष्पा । लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – मुराया एक्सोटिका अथवा कामिनी
(Murraya exotica)
स्वभाव (Habit)-सदाबहार छोटा वृक्ष, शाखित मूसला जड़।।
तना (Stem)-वायवीय, ऊर्ध्व, शाखित, बेलनाकार, ठोस काष्ठीया. .
पत्ती (Leaf)-शाखित व स्तम्भिक, अननुपत्री, वृन्ती, एकान्तर, संयुक्त, जाति शिराविन्यास।
पुष्पक्रम (Inflorescence) –ससीमाक्ष, पेनीकल ससीमाक्ष
पुष्प (Flower)-असहपत्री, वृन्ती, त्रिज्यासममित, द्विलिंगी, पंचभागी सफेद।
बाह्यदलपुंज (Calyx) : 5 बाह्यदल, संयुक्त बाह्यदली, कोरस्पर्शी।
दलपुंज (Corolla)-5 दल, पृथ्कदली, कोराच्छादली, सफेद, पर्णपाती।
पुमंग (Androecium)-10 पुंकेसर,5+5 के दो चक्रो में, प्रपृथक्पुंकेसरी, दललग्न, पुंतन्तु छोटे, पराग द्विकोष्ठी, बाणाकार, अन्तर्मुखी।
जायांग (Gynoecium)- 2-3 अण्डप मुक्त, युक्ताण्डप, ऊध्व्र अण्डाशय, अक्षीय बीजाण्डन्यास, बडी. मकरन्द पट्टिका अण्डाशय के नीचे, वर्तिका एक, वर्तिका व वर्तिकाग्र एक, दो, तीन पालित।
फल (Fruit)-बेरी।
पुष्पसूत्र (Floral Formula)-Ebre K5)C5) AEG (2)
अथवा
विन्का रोसिया (vinca rosea)
स्वभाव (Habit) – सदाबहार शाक।
तना (Stem) – ऊधव्र, वायवीय, बेलनाकार, शाखित व ठोस।
पत्ती (Leaf) – अननुपत्री, स्तम्भिक व शाखित, वृन्त छोटा, सम्मुख, सरल, एकशिरीय, जालिकावत् शिराविन्यास।
पुष्पक्रम (Inflorescence) – अक्षीय ससीमाक्ष।
पुष्प (Flower)-असहपत्री, वृन्ती, त्रिज्यासममित, द्विलिंगी, पंचभागी जायांगाधर।
बाह्यदलपुंज (Calyx) : 5 बाह्यदल, संयुक्त बाह्यदली, कोरस्पर्शी।
दलपुंज (Corolla)-5 दल, संयुक्तदली, नलिकाकार, व्यावर्तित।
पुमंग (Androecium)-5 पुंकेसर, पृथक्पुंकेसरी, दललग्न, पुंतन्तु छोटे, पराग द्विकोष्ठी, बाणाकार, अन्तर्मुखी।
जायांग(Gynoecium)-द्विअण्डपी, अण्डप मुक्त, वर्तिका व वर्तिकाग्र संलग्न, सीमान्त बीजाण्डन्यास, वर्तिका लम्बी, वर्तिकाग्र वलयाकार, दोनों अण्डपों के मध्य दो ग्रन्थिया उपस्थित।
फल (Fruit)-फॉलिकल का पुंज।।
बीज (Seed)-भ्रूणपोषी।
पुष्पसूत्र (Floral Formula)-Ebre K5)C5) AEG (2)
प्रश्न 5 – रोजेसी कुल के पुष्पीय लक्षण बताइए तथा आर्थिक महत्त्व के पौधों के नाम लिखिए।
उत्तर – रोजेसी (Rosaceae)
Systematic Position :
Dicotyledons
Polypetalae
Calyciflorae
Rosales
Rosaceae
कुल वंश (Genera) = 100
कुल जातियाँ (Species) = 200
पुष्पक्रम (Inflorescence)-साइमोस (Cymose), कभी-कभी कोरीम्बोज (corymbose) अथवा एकल पुष्पी (axillary)।
पुष्प (Flower)-द्विलिंगी, कभी-कभी एकलिंगी, actinomorphic केवल कुछ atent # zygomorphic (Parinarium), hypogynous circo Rosa perigynous और Pyrus में epigynous, पेन्टामेरस।
बाह्यदलपुंज (Calyx)-5, संयुक्त बाह्यदली, imbricate अथवा कोरस्पर्शी (valvate), रंगीन, स्थायी (persistent)।
दलपुंज (Corolla)-5, पृथक्दली (polypetalous), रंगीन, imbricater
पुमंग (Androecium)-प्रायः अनेक, स्वतन्त्र, dithecous, basifixed तथा . अन्तर्मखी (introrse), Alchimella में एक ही पुंकेसर (stamen) होता है।
जायांग (Gynoecium)-अण्डप (carpels) एक से अनेक होते हैं। बीजाण्ड एक से अनेक; placentation basal (e.g. Rosa), marginal (e.g. Prunus), axile (e.g. Pyrus) ___
Prunus में एक अण्डप, रोसा बहुअण्डपी युक्ताण्डपी तथा पायरस 5 अण्डपी युक्ताण्डपी होता है।
फल (Fruit)-ड्रप (drupe), पोम (pome), फॉलिकल (e.g. Spiraea), एकीन्स (Potentilla) अथवा पुंजफल मिलते हैं।
पुष्पसूत्र (Floral formula)-00K(5) C5) oroo A1-0 G1 oroo or (5)
रोजेसी कुल के आर्थिक महत्त्व के पौधे
(Plants of Family Rosaceae for Economic Importance)
फल-विटामिन ‘ए’ से भरपूर तथा खनिज-लवणयुक्त फल पाए जाते हैं।
(1) सेब (Pyrus malus)
(2) नाख (Pyrus communis)
(3) 3475 (Prunus persica)
(4) बादाम (Prunus amygdalus)
(5) खूबानी (Prunus armeniaca)
(6) लोकाट (Eriobotrya japonica)
(7) स्ट्राबेरी (Fragaria vesca)
(8) क्वीन्स (Cyadonia oblonga)
सजावटी पुष्प
(9) गुलाब (Rosa indica) :
(10) स्पाइरिया (Spiraea)
प्रश्न 6-फेबेसी कुल के मुख्य लक्षणों का वर्णन करते हुए मटर के पौधे का वर्णन कीजिए।
उत्तर – फेबेसी कुल के मुख्य लक्षण (Distinguishing Features of Fabaceae Family)
स्वभाव (Habit) सामान्यत: शाक, क्षुप तथा वृक्ष, आरोही तथा वल्लरी, आरोहण पर्ण प्रतानों द्वारा।
पत्ती (Leaf)-अनुपत्री, एकान्तर, सरल अथवा संयुक्त।
पुष्पक्रम (Inflorescence)-असीमाक्ष अथवा सीमाक्षा
पुष्प (Flower)-सहपत्री, वृन्ती, एकव्याससममित, द्विलिंगी।
बाह्यदलपुंज (Calyx)-5, संयुक्त बाह्यदली, आरोही कोरच्छादी।
दलपुंज (Corolla)-5, पृथक्दली, पेपिलियोनेशियस, अवरोही कोरच्छादी।
पुमंग (Androecium)-(9)+1, द्विसंघी अथवा एकसंघी, परागकोश द्विकोष्ठी, अन्तर्मुखी।
जायांग (Gynoecium)-एकअण्डपी, एककोष्ठी, सीमान्त बीजाण्डन्यास, वर्तिका मुडी हुई।
फल (Fruit)-लेग्यूम अथवा पॉड अथवा लोमेन्टम।
बीज (Seed)-अभ्रूणपोषी।
पाइसम सेटाइवम (Pisum sativum) अथवा मटर
स्वभाव (Habit)-एकवर्षीय शाक।
स्तम्भ (Stem)-वायवीय, कमजोर, शाकीय, बेलनाकार, शाखित।
पत्ती (Leaf)-अनुपत्री, अनुपत्र पत्ती समान, एकान्तर, संयुक्त, पर्णक तन्तु शाखा –एकशिरीय जालिकावत्, पत्रक संख्या सम, विषम पत्रक प्रतान तन्तु में रूपान्तरित।
पुष्पक्रम (Inflorescence) -असीमाक्ष।
पुष्प (Flower)-वृन्ती, पेपिलियोनेशियस, जायांगाधर, पंचभागी, द्विलिंगी, एकव्याससममित।
बाह्यदलपुंज (Calyx)-5, संयुक्त बाह्यदली, आरोही कोरच्छादी।
दलपुंज (Corolla)-5 (1 छत्रक, 2 पक्ष, (2) कील), पेपिलियोनेशियसं, वेक्सीलरी विन्यास।
पुमंग (Androecium)-(9)+1, द्विसंघी, पश्च पुंकेसर एकल, परागकोश द्विकोष्ठी, अन्तर्मुखी।
जायांग (Gymoecium)-एकअण्डपी, एककोष्ठी, सीमान्त बीजाण्डन्यास, वर्तिका मुड़ी हुई।
फल (Fruit)-लेग्यूम अथवा पॉड (फली)।
पुष्पसूत्र (Floral formula)-Br0@ K(5) C1 + 2 + (2) A(9) + 1 G1
प्रश्न 7 – फेबेसी कुल के आर्थिक महत्त्व का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर – फेबेसी कुल का आर्थिक महत्त्व
(Economic Importance of Family Fabaceae)
फेबेसी कल के पौधों से दालें मिलती हैं। हमारे भोजन का कार्बोहाइडेट के बाद पीन दसरा महत्त्वपूर्ण भाग है, प्रोटीन दालों से प्राप्त होती है तथा इनकी जड़ों में मिलने वाली गलों (nodules) में सहजीवी जीवाणु मृदा की उर्वरता को बनाए रखते हैं।
दालें (Pulses)
दालें बीजपत्रों से प्राप्त होती हैं.
(1) केजेनस कजान (Cajanus cajan), अरहर (Pigeon pea),
(2) साइसर अरइटिनम (Cicer arietinum), चना (Gram)
(3) पाइसम सैटाइवम (Pisum sativum), मटर (Pea)
(4) लेन्स कुलीनेरिस (Lens culinaris), मसूर (Lentil)
(5) फेसिओलस मुंगो = विग्ना मूगो (Phaseolus mungo Syn. Vigna
mungo), उड़द (Black gram)।
(6) फेसिओलस ऑरियस = विग्ना ऑरियस (P. aureus Syn. Vigna
aureus), मूंग (Green gram)
(7) विग्ना साइनेन्सिस (Vigna sinensis), लोबिया (Cow pea)
(8) ग्लाइसीन मैक्स (Glycine max), सोयाबीन (Soyabean)
(9) फेसिओलस एकोनिटीफोलियस (Phaseolus aconitifolius), मोठ (Dew
gram)
HISTU (Vegetables)
(1) फेसिओलस वल्गेरिस (Phaseolus vulgaris), विलायती सेम (French
bean)
(2) डोलीकोस लबलब (Dolichos lablab), सेम (Kidney bean) …
(3) पाइसम सैटाइवम (Pisum sativum), मटर (Pea)।
तेल (Oils) :
(1) पोंगामिया पिन्नाटा (Pongamia pinnata) इसका तेल गठिया रोग में, चर्म रोग में, साबुन बनाने में व जलाने के काम आता है।
(2) अरेकिस हाइपोजिया (Arachis hypogea)-मूंगफली. (Peanut or ground nut) का तेल उत्तरी भारत में बहुतायत में प्रयुक्त होता है। इसके हाइड्रोजिनेशन (hydrogenation) से घी तथा मक्खन मिलता है। खल पशुओं को खिलाई जाती है। मूंगफली के बीज भूनकर भी खाए जाते हैं। यह सर्दियों में गरीब की मेवा कहलाती है। मूंगफली में मिलने वाली प्रोटीन से अरडिल (ardil) नामक कृत्रिम रेशा (artificial fibre) बनता है।
D.रेशे (Fibres)
(1) क्रोटोलेरिया जन्सिया (Crotolaria juncea), सन (Sunhemp) से रस्सी, * चटाई, बोरी, सुतली, जाली आदि बुनते हैं।
(2) सेसबानिया बाइस्पाइनोसा (Sesbania bispinosa), ढेंचा (Dhencha hemp)।
(3) ब्यटिया मोनोस्पर्मा (Butea monosperma), ढाका
(4) मिलीशिया ऑरिकुलेटा (Millettia auriculata)।
- गोंद एवं रेजिन (Gums and Resins)
(1) ब्यूटिया मोनोस्पर्मा (Butea monosperma)-इस पौधे से लाल रंग की गोंद प्राप्त होती है, इसे बंगाल किनो (Bengal’kino) भी कहते हैं।
(2) माइरोजाइलन बाल्सेमम (Myroxylon balsamum) से बाल्सम प्राप्त होता है।
(3) एस्ट्रागेलस गैम्मीफर (Astragalus.gammifer) से ट्रेगासिन्थ Ttragacinth) नामक गोंद मिलता है।
F.काष्ठ (Timber)
(1) डलबर्जिया सिसो (Dalbergia sissoo) – शीशम; लकड़ी फर्नीचर बनाने के काम आती है।
(2) ड० लेटीफोलिया (D. lattifolia) – इण्डियन रोज वुड (Indian Rose Wood) या काला शीशम ; इससे प्लाई वुड बनती है।
(3) टेरोकार्पस मासुपियस (Pterocarpus marsupius) – इसकी लकड़ी से – केबिनेट बनती है।
(4) बाफिया नाइटिडा (Baphia nitida) केम वुड—इससे लाल रंजक बनता है। -यह लकड़ी काटते समय तो सफेद होती है, परन्तु ऑक्सीजन पाते ही हवा में लाल हो जाती है।
G.रंजक (Dyes)
(1) इन्डिगोफेरा (Indigophera)-इस वंश की कई प्रजातियाँ; जैसे-इ० टिन्कटोरिया (i. tinctoria); इ० लेप्टोस्टेकिया (I. deptostachya) आदि से नील (indigo) बनता है। इसमें पहले फूल निकलने से पूर्व पौधों को पानी में भिगो देते हैं जिससे पीला घोल बन जाता है। इस घोल के हवा में ऑक्सीकृत होने से नीले रंग का अवक्षेप (precipitate) प्राप्त होता है। ‘नील’ की खेती भारत में होती थी। अब ‘नील’ कृत्रिम रूप से भी बनाया जाता है।
(2) ब्यूटिया मोनोस्पर्मा (Butea monosperma)-ढाक या टेसू से बसन्ती रंजक प्राप्त होता है।
(3) इरिथ्राइना वेरीगेटा (Erythrina variegata)-इसके फूलों से लाल रंजक प्राप्त होता है। …
(4) सोरेलिया प्रिकेटा (Psoralea pricata)-इसकी कच्ची फलियों से पीला रंजक मिलता है।
औषधीय पादप (Medicinal Plants) ,
(1) ग्लाइसीराइजा ग्लेब्रा (Glycyrrhiza glabra) – मुलैठी — यह खाँसी व गले – की खराश के लिए प्रयुक्त होती है।
(2) एबस प्रिकेटोरियस (Abrus pricatorius) – रत्ती – इसकी ताजी पत्ती के रस
से सफेद दाग (leucoderma) में फायदा होता है। इसके बीज तौलने के लिए सुनार के काम आते थे।
(3) सेसबानिया प्रेन्डिफ्लोरा (Sesbania grandiflora) – इसके फलों के रस (juice) से आँखों में लाभ होता है।
(4) डेरिस इलिप्टिका (Derris elliptica) इसकी जड़ कृमिनाशी (wormicide) होती है।
(5) टेक्रोसिया वोगेलाई (Tephrosia vogelit) – रोटेनोन (rotenone) नामक – कीटनाशी (insecticide) मिलता है।
सजावटी पौधे (Ornamental Plants)
(1) लेथाइरस ओडोरेटस (Lathyrus odoratus)||
(2) इरिथ्राइना इन्डिका (Erythrina indica), भारतीय कोरल वृक्ष (Indian coral tree)।
(3) सोफोरा सेकन्डीफोलिया (Sophora secundifolia)
(4) लूपिनस (Lupinus)|
(5) रोबीनिया सूडोकेसिया (Robinia pseudocacia)| .
(6) क्लाइटोरिया (Clitoria), अपराजिता।
शहद (Honey)
शहद के स्रोत के रूप में इस कुल की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। कृत्रिम मधुमक्खी पालन के लिए निम्नलिखित पौधे उपयोगी हैं
(1) पाइसम सैटाइवम (Pisum sativum),
(2) ट्राइफोलियम प्रेटेन्स (Trifolium pretens),
(3) लैथाइरस ओडोरेटस (Lathyrus odoratus),
(4) मेडिकेगो सैटाइवा (Medicago sativa)|
हरी खाद (Green Manure)
बहुत-से पौधों को केवल खेत में नत्रजन की मात्रा बढ़ाने के लिए लगाया जाता है तथा फिर उन पौधों को खेत में हरी खाद (green manure) के रूप में प्रयोग में लाते हैं; जैसेक्रोटोलेरिया जन्सिया (Crotolaria juncea), ट्राइगोनेल्ला फेनम-ग्रेसियम (Trigonella foenum-graceum) आदि।
प्रश्न 8 – एपिएसी कुल के पुष्पीय लक्षण तथा आर्थिक महत्त्व बताइए।
उत्तर – एपिएसी.या अम्बेलीफेरी
(Apiaceae or Umbelliferae)
पुष्पीय लक्षण (Floral Characters):
पुष्पक्रम (Inflorescence)-कम्पाउण्ड अम्बेल (umbel), e.g. Coriandrum अथवा साधारण अम्बेल (e.g. Astrantia, Hydrocotyle) अथवा 3-5 पुष्प वाला अम्बेल Kng. Centella asiatica) लेकिन Azorella glabra में केवल एक ही पुष्प होता है।
पुष्य (Flower)-असहपत्री , ‘pedicellate, पूर्ण, द्विलिंगी, pentamerous, एपिगाइनस, बाहर के पुष्प zygomorphic (e.g. Coriandrum sativum) एवं केन्द्र के पुष्प actinomorphic सफेद अथवा पीले।
बाहादलपुंज (Calyx)-5 बाह्यदल, स्वतन्त्र अथवा संयुक्त बाह्यदली Ve.g. Coriandrum), adnate, कोरस्पर्शी।
दलपुंज (Corolla)-5 दल, स्वतन्त्रदली, सफेद, पीले अथवा नीले रंग के कोरस्पर्शी अधवा इम्ब्रीकेट, Coriandrum में दलपत्र दो lobes वाले, जिसमें कि एक anterior anal सबसे बड़ा एवं दो posterior petals सबसे छोटे।
पुमंग (Androecium)-5 पुंकेसर, स्वतन्त्र, दलपत्रों के एकान्तर epigynous डिस्क से कलने वाले, परागकोश dithecous, basifixed अथवा डोर्सीफिक्स्ड , introrsel
जायांग (Gynoecium)-द्विअण्डपी, युक्ताण्डपी, अधोवर्ती (inferior), द्विकोष्ठी Thilocular), प्रत्येक locule में एक अण्ड (ovule), अक्षीय बीजाण्डन्यास, वर्तिका, एक शहद पैदा करने वाली डिस्क stylopodium से निकलती है, stigma सरल अथवा टोपीदार।
फल (Fruit)-क्रीमोकार्प।
पुष्पसूत्र (Floral formula)-Ebr @ KE CH AF G(2)
एपिएसी कुल के आर्थिक महत्त्व के पौधे
(Plants of Family Apiaceae for Economic Importance)
(1) Anethum graveolens (सेलेरी) मसाले के काम में आती है।
(2) Coriandrum sativum (धनिया) भी मसाले के काम आता है।
(3) Cuminum cyminum (जीरा) मसाले एवं दवाई के रूप में प्रयुक्त होता है।
(4) Daucus carota (गाजर) की जड़ें सब्जी के रूप में खाई जाती हैं।
(5) Foeniculum vulgare (सौंफ) सामान्य मसाले के काम आती है।
(6) Ferula asafoetida से हींग निकलता है।
(7) Carum capticum (अजवायन) मसाले एवं दवाई के रूप में प्रयुक्त की जाती है।
(8) Centella (ब्राह्मी) यह दिमाग को तरोताजा रखती है।
(9) Apium graveolens (अजमद) दवाई के रूप में काम आता है।
(10) Conium maculatum (हेमलॉक) इससे जहर प्राप्त होता है। इसी पौधे का जहर दार्शनिक सुकरात को दिया गया था।
प्रश्न :- 9 रूबिएसी कुल के पुष्पीय लक्षणों तथा आर्थिक महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर – रूबिएसी (Rubiaceae)
Systematic Position :
Angiosperms:
Dicotyledons
Gamopetalae
Inferae
Rubiales
Rubiaceae
पुष्पक्रम (Inflorescence) सामान्य रूप में डाइकेजियल साइम, Uncaria में ग्लोबोस हैं, Gardenia में एकल पुष्पी।
पुष्प (Flower)-कभी-कभी बैक्टियोलेट, पूर्ण, कभी-कभी एकलिंगी, एक्टिनोमॉर्फिक लेकिन Henriquezia में जाइगोमॉर्फिक, एपिगाइनस।
बाह्यदलपुंज (Calyx)-4-5 बाह्यदल, स्वतन्त्र अथवा संयुक्त बाह्यदली Mussaenda में स्वतन्त्र, कोरस्पर्शी अथवा इम्ब्रीकेट। –
दलपुंज (Corolla)-4-5 दलपत्र, संयुक्तदली, कोरस्पर्शी, व्यावर्तित, कभी-कभी इम्ब्रीकेट, सामान्य रूप में सेल्वर-आकार (Salver-form)।
पुमंग (Androecium)-4-5 पुंकेसर (stamens), epipetalous, दलपत्रों स alternate, filament छोटा होता है, पुंकेसर लम्बे, परागकोश डाइथीकस, बेसीफिक्स्ड एव अन्तर्मुखी।
जायांग (Gynoecium)-द्विअण्डपी अथवा 5 या 6 अण्डपी (eg Hamelia) र अधोवर्ती (inferior), दो कोष्ठीय लेकिन कभी-कभी 5-6 कोष्ठीय (e.g. प्रत्येक कोष्ठ में बहुत-से बीजाण्ड, एक्साइल बीजाण्डन्यास, वर्तिका (style) एक।
फल (Fruit)-एक Septicidal अथवा कोष्ठीय कैप्सूल, बेरी अथवा भिदुर फल।
बीज (Seed)-छोटे, बहुधा पंखदार, एण्डोस्पर्मस।
पुष्पसूत्र (Floral formula)-Bre K4-5C4-5) A4-5G (2-5)
रूबिएसी कुल का आर्थिक महत्त्व
(Economic Importance of Family Rubiaceae)
रूबिएसी कुल का आर्थिक महत्त्व निम्नवत् है।
(1) Anthocephalus बागों में लगाया जाने वाला पेड़ है।
(2) Cinchona की छाल से विश्वप्रसिद्ध औषधि कुनैन (quinine) प्राप्त की
जाती है। यह मलेरिया में अति लाभदायक है।
(3) Coffea arabica, C. liberica एवं C. robusta से कॉफी (Coffee) तैयार होती है।
(4) Gardenia resinifera, Hamelia patiens, Ixora parviflora एवं
, Mussaenda frondosa उद्यानों में लगाए जाने वाले पौधे हैं।
(5) Rubia cordifolia की, जड़ों से एक रंग निकाला जाता है।
(6) Morinda सड़क के किनारे लगाया जाता है।
(7) Mitragyna parviflora उद्यानों में लगाया जाता है।
प्रश्न 10 – एस्क्लीपिआडेसी कुल के पुष्पीय लक्षणों का वर्णन कीजिए। कोलोट्रोपिस प्रोसेरा का पुष्पीय लक्षण व पुष्प आरेख का वर्णन कीजिए।
उत्तर – एस्क्लीपिआडेसी
(Asclepladaceae)
पुष्पक्रम (Inflorescence)-द्विशाखी सीमाक्ष (Dichasial cyme) जो बाद में एकलशाखी (monochasial) में परिवर्तित होता है जैसे क्रिप्टोस्टीजिया (Cryptostegia), असीमाक्ष, छत्रक जैसे एक्लीपिआस (Asclepias), छत्रकीय सीमाक्ष (Umbellate cyme) जैसे लेप्टाडिनिया (Leptadenia), एकल पुष्पी जैसे हूडिया (Hoodia) व स्टेपीलिया (Stepelia) आदि। एस्कलीपिआस (Asclepias) में अतिरिक्त अक्षीय सीमाक्ष (Extra axillary cyme) मिलता है।
पुष्प (Flower)-सहपत्री अथवा असहपत्री, वृन्ती अथवा छोटे वृन्तयुक्त, त्रिज्यासममित, सीरोपीजिया (Ceropegia) में अल्प एकव्याससममित, द्विलिंगी, जायांगाधर, पंचभागी, स्टेपीलिया जाइगेन्टिया (Stapelia gigentia) तथा हडिया (Hoodia) में पुष्प बहुत बड़ा होता है।
बाह्यदलपुंज (Calyx)-5 बाह्यदल, आधार पर जुड़े हुए अथवा संयुक्त बाह्यदली. जैसे लेप्टाडीनिया (Leptadenia) में, कोराच्छादी।
दलपुंज (Corolla)-5 दल, संयुक्तदली, कोरस्पर्शी जैसे केलोट्रोपिस (Calotropis), साल्वर नलिकाकार जैसे स्टेफेनोटिस (Stephanotis) में, घंटाकार जैसे सीरोपीजिया (Ceropegia) में, दल पक्ष्माभि (Ciliate) जैसे पेरीप्लोका केलोफिल्ला (Periploca calophylla) में, मोमीय (Waxy), जैसे होया (Hoya) अथवा रोमिल (hairy) जैसे हूडिया (Hoodia) में, सीरोपीजिया (Ceropegia) की कुछ प्रजातियों में दल नीचे से पृथक् तथा ऊपर से संयुक्त होते हैं। डेमिया (Daemia) में नलिकाकार केलोट्रोपिस (Calotropis) में कम्पेन्युलेट प्रकार का दलपुंज मिलता है। हूडिया के तथा स्टेपीलिया के फूलों में दुर्गन्ध आती है जबकि स्टेफानोटिस फ्लोरीबन्डा (Staphanotis floribunda) के फूलों में तीव्र गन्ध।
फूलों में कोरोना (Corona) जो शल्क अथवा रोम के रूप में अतिवृद्धि होती है का होना कुल का लक्षण है। जब अतिवृद्धि दलपुंज से हो तो उसे कोरोलाइन कोरोना (Corolline corona) कहते हैं जबकि यदि वृद्धि पुंकेसर नलिका (staminal tube) से हो तो स्टेमिनल कोरोना (Staminal corona) कहलाती है। कोरोलाइन कोरोना क्रिप्टोलेपिस, किप्टोस्टीजिया, ब्रेकीलेपिस आदि में तथा स्टेमिनल कोरोना केलोट्रोपिस, एस्क्लीपिआस, पेरीप्लोका, टाइलोफोरा, होया आदि में मिलती है। मार्सडीनिया (Marsdenia) में कोरोना 3 चक्रों में मिलता है। बाह्य चक्र कोरोलाइन कोरोना का तथा अन्तः दो चक्र स्टेमिनल कोरोना के होते हैं। ___
पुमंग (Androecium)-5 पुंकेसर, दललग्न, पुंतन्तु स्वतन्त्र, परन्तु परागकोश र वर्तिका से जुड़े रहते हैं जैसे क्रिप्टोस्टीजिया (Cryptostogia) तथा पेरीप्लोका (Periploca) में, एकसंघी (monodelphous) जैसे केलोट्रोपिस (Calotropis), होया (Hoya) एस्क्लीपिआस (Asclepias), सीरोपीजिया (Ceropegia) आदि में। पुंकेसर वर्तिकान में र संलग्न होकर पुंवर्तिकाग्र छत्र (Gynostegium) बनाता है। परागकोश द्विकोष्ठी होता है। दोनों कोष्ठ योजी (connective) के कारणं दूर रहते हैं, परन्तु प्रत्येक कोष्ठ पास वाले (adjacent) परागकोश के एक कोष्ठ के बहुत समीप हो जाता है तथा वर्तिकाग्र के कोने पर दोनों अर्धकोष्ठ कॉर्पस्कुलम से जुड़ते हैं। परागकोष्ठ संयुक्त पोलीनियम बनाता है जो एक थैलीनमा संरचना है जिसमें परागकण भरे रहते हैं।
ट्रांसलेटर (Translator)-इसके तीन मुख्य भाग होते हैं-
(1) आधार पर चिपकने वाली पट्टिका (disc) अथवा कॉर्पस्कुलम (corpusculum)|
(2) दो वन्त कॉडिकल (Caudicle) अथवा रेटिनाकुली (Retinaculae)| .
(3) चम्मच के आकार की पराग थैली पोलीनियम अथवा शोवेल (Shovel) प्रत्येक उसलेटर के दोनों पोलीनियम पास-पास के परागकोश के एक-एक कोष्ट है। परागकोश से 10 पराग थैली बनती है। टेक्सोकार्पस (Taxocarpus), जेन्शीएन्थम (Gentiathus) आदि में प्रत्येक परागकोष्ठ में दो पराग थैलियाँ होती हैं जिससे 20 पोलीनियम 5 परागकोश (anther) से बनते हैं।
जायांग (Gynoecium)-द्विकोष्ठी, युक्ताण्डप, ऊर्ध्वअण्डाशयी, अण्डप तथा नातिका स्वतन्त्र परन्तु वर्तिकाग्र जुड़े हुए पाँच कोणीय होते हैं। जायांग पुंकेसर नलिका से घिरा रहता है। अण्डाशय में सीमान्त बीजाण्डन्यास (marginal placentation) मिलता है। अण्डप अग्र-पश्च (anteroposterior) होते हैं।
फल (Fruit)-फोलीकल का पुंज; सारकोलोबस (Sarcolobus) में फोलीकल एकल तथा डेमिया (Daemia) में दूर-दूर होते हैं।
बीज (Seed)-भ्रूणपोषी, रोमगुच्छ अथवा कोमा (Coma) उपस्थित होता है। सारकोलोबस में रोम गुच्छ नहीं मिलता है।
पुष्पसूत्र (Floral formula)-9, C, Khor(5), C5),[ A(5), G(2)]
केलोट्रोपिस प्रोसेरा (Calotropis procera); आख अथवा मदार
छोटा मरुद्भिद क्षुप
तना (Stem)-वायवीय, ऊर्ध्व शाखित, दूधिया रबड़क्षीर युक्त।
पत्ती (Leaf)-स्तम्भिक व शाखिक, सम्मुख, सरल, एकशिरीय जालिकावत् शिराविन्यास।
पुष्पक्रम (Inflorescence)-अक्षीय, छत्रकीय सीमाक्षा ।
पुष्प (Flower)-सहपत्री, वृन्ती त्रिज्या सममित, द्विलिंगी, जायांगाधर, पंचभागी।
बाह्यदलपुंज (Calyx)-5 बाह्यदल, स्वतन्त्र, कोराच्छादी।
दलपुंज (Corolla)-5 दल, संयुक्तदली, कोरस्पर्शी।
पुमंग (Androecium)-5 पुंकेसर, दललग्न, एकसंघी, कोरोनरी संरचनाएँ पुंकेसर नालका पर उपस्थित, परागकोश वर्तिका में संगलिक होकर पुंवर्तिकाग्रछत्र बनाता है।
जायांग (Gynocium)-द्विअण्डपी, युक्ताण्डप, अण्डाशय व वर्तिकाग्र स्वतन्त्र, ऊध्व अण्डाशय, सीमान्त बीजाण्डन्यास, वर्तिकाग्र पंचकोणीय।
फल (Fruit)-फोलीकल का पुंजा
बीज (Seed)-भ्रूणपोषी।
पुष्पसूत्र (Floral formula)-9,8K5, C(5), [ A(5), G(2)]
प्रश्न 11 – एस्क्लेपिआडेसी कुल के आर्थिक महत्त्व तथा वर्गीकरणीय स्थिति लिखिए।
उत्तर – एस्क्लेपिआडेसी कुल के आर्थिक महत्त्व
(Economic Importance of family Asclepiadaceae)
औषधीय पादप (Medicinal Plants)
(1) केलोट्रोपिस प्रोसेरा (Calotropis procera); आँखा की जड़ खाँसी में तथा
रबड़क्षीर सूजन में प्रयुक्त होता है।
(2) टाइलोफोरा इन्डिका (Tylophora indica); जड़ें दमा में प्रयुक्त होती हैं।
(3) हेमीडेस्मस इन्डिकस (Hemidesmus indicus); जड़ें बुखार, गुर्दे आदि की
बीमारियों में प्रयुक्त होती हैं।
(4) पेरगुलेरिया डेमिया (Pergularia daemia); पत्तियाँ खाँसी में प्रयुक्त होती हैं।
(5) होलोस्टेम्मा (Holostemma sp); पत्ती व फूल खाँसी में प्रयुक्त होते हैं।
रबड़ (Rubber)
पौधों की रबड़क्षीर (latex) से रबड़ प्राप्त होती है। जैसे
(1) मार्सडेनिया टिंकटोरिया (Marsdenia tinctoria)
(2) लेप्टाडीनिया (Leptadenia)
3) केलोट्रोपिस जाइगेन्टिया (Calotropis gigantea)
खाद्य पादप (Edible Plant)
(1) जिम्निमा लेक्टीफेरम (Gymnema lactiferum); सीलोन मिल्क प्लान्ट कहते हैं।
(2) कोरेलम फिम्ब्रिएटा (Corallum fimbriata); सब्जी
(3) सारकोस्टेम्मा ब्रीस्टिग्मा (Sarcostemma brevistigma); आदिवासी इसकी रबड़क्षीर पीते हैं।
सजावटी पादप (Ornamental Plants)
(1) एक्स्क्लीपिआस (Asclepias sp); रक्त पुष्प –
(2) होया कारनोसा (Hoya carnosa); वैक्स प्लान्ट
(3) स्टेपेलिया वेरीगेटा (Stepelia varigata)
(4) पेरीप्लोका ग्लोका (Periploca glauca); सिल्क वाइन
(5) सिरोपीजिया बल्बोसा (Ceropegia bulbosa); पेलीकन पुष्प
(6) क्रिप्टोस्टीजिया (Cryptostegia sp); रबड़ वाइन।’
अन्य उपयोग (Other uses)
(i) मेटीलिया (Matelea); बाण विष (arrow poison):
वर्गीकरणीय स्थिति व वर्गीकरण (Systematic Position and Classification)
यह कुल एपोसायनेसी कुल से सम्बन्धित है, जैसे पत्तियाँ सरल, सम्मुख अथवा चंक्रिक, अनअनुपत्री, पुष्प जायांगधर, द्विलिंगी, संयुक्तदली, 5 दललग्न पुंकेसर आदि। ये दोनों कुल कवल जायांग की संरचना पर भिन्न हैं। पंवर्तिकाग्र छत्र (gynostegium) एस्क्लेपिआडेसी में मिलता है, परन्त एपोसायनेसी में नहीं।
इस कुल को दो उपकुलों में विभक्त किया गया है-
(1) उपकुल पेरीप्लोकोइडी (Periplocoideae)
(2) उपकुल साइनेनकोइडी (Cynandhoideae) आदि।
बेन्थम व हुकर के अनुसार वर्गीकरण
डाइकोटीलीडन्स
गेमोपेटली…
बाइकालेटी
जेन्शिएनेल्स . ..
एस्क्लेपिआडेसी…
एनलर व प्रेन्टल के अनुसार वर्गीकरण
डाइकोटीलीडनी
सिम्पेटली
कन्टोर्टी
एस्क्लेआपिडेसी
हचिन्सन के अनुसार वर्गीकरण
डाइकोटीलीडन्स
लिग्नोसी
एपोसाइनेल्स
एस्क्लेपिआडेसी
प्रश्न 12 – सोलेनेसी कुल के प्रमुख पुष्पीय लक्षण बताइए व इस कुल के आर्थिक महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर – सोलेनेसी (Solanaceae) Systematic Position : बेन्थम तथा हुकर के अनुसार,
इस कल में लगभग 85 वंश व 2000 जातियाँ उष्ण व उपोष्ण (tropical and subtropical) भागों में पाए जाते हैं।
पष्पीय लक्षण (Floral Characters)
पष्पक्रम (Inflorescence)-ससीमाक्षी (cymose)|
पुष्प (Flower)-वृन्ती (pedicellate), असहपत्री (ebracteate), त्रिज्यासममित
orohic), जायांग के दक्षिणावर्त दिशा में घूमने से जाइगोमॉर्फिक, जायांगाधर Thypogynous) तथा पंचतयी (pentamerous)।
बाह्यदलपुंज (Calyx)-5 बाह्यदल, संयुक्त बाह्यदली (gamosepalous), अपाती (persistent), कोरस्पर्शी (valvate)।
दलपुंज (Corolla)-5 दल, संयुक्तदली (gamopetalous), कीपाकार अथवा – चक्राकार, व्यावर्तित (twisted)।
पुमंग (Androecium)-5 पुंकेसर, पृथक्पुंकेसरी, दललग्न (epipetalous), परागकोश द्विकोष्ठी तथा अन्तर्मुखी (anther dithecous and introrse)।
जायांग (Gynoecium)-द्विअण्डपी (bicarpellary), युक्ताण्डपी (syncarpous), ऊर्ध्व अण्डाशयी (Superior ovary), द्विकोष्ठकी (bilocular), कभी-कभी कूट पट false septum) के कारण चार कोष्ठक (tetra locular) जैसे धतूरा (Dhatura) में ” स्तम्भीय बीजाण्ड विन्यास (axile placentation)। Septum तिरछा होता है।
फल (Fruit)-बेरी (berry) अथवा सम्पुट (capsule)।
पुष्पसूत्र (Floral formula)-Ebre@K(5) C(5) AF G (2)
सोलेनेसी कुल का आर्थिक महत्त्व
(Economic Importance of Family Solanaceae)
सोलेनेसी कुल का आर्थिक महत्त्व निम्नवत् है-
(1) आलू (Solanum tuberosum)-इसका भूमिगत तना सब्जी के रूप में खाते हैं।
(2) बैंगन (Solanum melongena)-इसका सब्जी के रूप में फल खाते हैं।
(3) टमाटर (Solanum dycopersicum) अथवा (Lycopersicum esculentum)
– इसका फल सब्जी व सलाद के रूप में खाते हैं।
(4) मिर्च (Capsicum annum)-इसका मसाले में प्रयोग होता है।
(5) शिमला मिर्च (Capsicum fruitiscens) इसका फल, सब्जी के रूप में खाते हैं।
(6) रसभरी (Physalis peruviana)—इसका फल खाते हैं।
(7) तम्बाक (Nicotiana tabacum) इसकी पत्तियाँ चबाई जाती हैं व धूम्रपान के लिए प्रयुक्त होती हैं। इसमें निकोटीन मिलती है।
(8) एटोपा बेलाडोना (Atropa belladona)-इससे दवा के रूप में एट्रोपीन मिलता है।
(9) नीली कटेली (Solanum xanthocarpum)-इसकी जड़ व पत्तियों से दमा, खाँसी व गठिया की दवा मिलती है।
(10) मकोय (Solanum nigrum)-इसके फल ज्वर व दस्त में दवा के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
(11) रात की रानी (Solanum nocturnum)-सजावटी पौधा है। .
(12) दिन का राजा (Solanum diernum)-सजावटी पौधा है।
प्रश्न 13 – लेबिएटी अथवा लेमिएसी कुल के वानस्पतिक गुणों का वर्णन कीजिए तथा आर्थिक महत्त्व भी लिखिए।
उत्तर – लेबिएटी अथवा लेमिएसी (Labiatae or Lamiaceae)
Systematic Position :
Phanerogams
Dicotyledons
Gamopetalae
Bicarpellatae
Lamiales
i Labiatae or Lamiaceae
स्वभाव (Habit)-एकवर्षीय या बहुवर्षीय शाक, कभी-कभी झाड़ियाँ तथा बहुत थोड़े-से पेड़e.g. Hyptis, Leucosceptrum। कुछ पौधे आरोही भी होते हैं e.g. Scutellaria.
तना (Stem)-शाकीय ऊर्ध्व (erect) quadrangular, हरा रोमयुक्त, कुछ में stolon होता है (e.g. Mentha)।
पत्तियाँ (Leaves)-सरल कभी-कभी संयुक्त पिच्छाकार, opposite decussate or whorled, अननुपत्री, रोमयुक्त। पौधों के विभिन्न भागों से एक विशेष प्रकार की गन्ध आती है। –
पुष्पक्रम (Inflorescence)-वर्टीसिलास्टर।
पुष्प (Flower)-सहपत्री, कभी-कभी bracteolate, द्विलिंगी, hypogynous, सामान्य रूप से zygomorphic तथा bilabiate, फिर भी Mentha में पुष्प actinomorphic होते हैं। –
बाह्यदलपुंज (Calyx)-5, lobed, ट्यूब के आकार के, स्थायी, Leucas में घण्टीनुमा, bilabiate (3/2); जैसे-Salvia अथवा 1/4 जैसे-Ocimum, वाल्वेट अथवा इम्ब्रीकेट पुष्पदल विन्यास।
दलपुंज (Corolla)-5, lobed, संयुक्तदली. से ट्यूब के आकार की द्विओष्ठी (bilipped), इम्ब्रीकेट, 2/3 ढंग में जुड़े रहते हैं जिसमें कि 2 दलपत्र ऊपर की ओर तथा 3 नीचे की ओर रहते हैं। Ocimum में 4/1 के रूप में लगे रहते हैं।
पुमंग (Androecium)-4 पुंकेसर didynamous दशा में लगे रहते हैं। पाँचवाँ पंकेसर स्टेमिनोएड के रूप में लगा रहता है। Salvia में 2 epipetalous पुंकेसर मिलते हैं। डाइथीकस, बेसीफिक्सड तथा इण्ट्रोर्स। Coleus में पुंकेसर एकसंघी (monadelphous) होते हैं।
जायांग (Gynoecium)-द्विअण्डपी, संयुक्त अण्डपी, superior, ‘द्विकोष्ठीय लेकिन जल्दी ही चार कोष्ठवाली अवस्था आ जाती है। बेसल अथवा axile placentation, . style एक तथा जायांगनाभिक (gynobasic) होता है। Stigma दो होते हैं। एक hypogynous डिस्क होती है। –
फल (Fruit)-इसके चार बीज वाले nutlets होते हैं।
पुष्पसूत्र (Floral formula)—Br%CK(1/4) C1411) A2 or 2+2:G(2)**
लेमिएसी. कल का आर्थिक महत्त्व – (Economic Importance of Family Lamiaceae)
कन्द (Stem)-इसके कन्द खाए जाते हैं। स्टेकिस सिबोल्डी की पत्तियाँ खाते हैं। मेन्था विरिडिस, ओसिमम बेसीलिकम (Ocimum basilicum)। ..
दवाई (Medicine)-ल्यूकस सिफेलोट्स (Leucus cephalotes), मेन्था पाइपरेटा (Mentha piperata), अजूगा ब्रेक्टीओसा आदि पौधे दवाई बनाने में प्रयुक्त होते हैं।
इत्र (Perfumes)-रोस मेरिनस, थाइमस, लेवेन्डुला आदि पौधों से इत्र प्राप्त होता है।
प्रश्न 14 – एमारेन्थेसी कुल का वर्णन कीजिए तथा आर्थिक महत्त्व भी लिखिए।
उत्तर – एमारेन्थेसी (Amaranthaceae)
यह कुल बहुत छोटा है। इसमें 65 वंश तथा 850 जातियाँ हैं, जो उष्ण व शीतो में मिलती हैं। भारत में मिलने वाले मुख्य पादप हैं-एकाइरेन्थस (Acharing एमारेन्थस (Amaranthus), आल्टरनेन्थेरा (Alternanthera), एरूआ (ADP सीलोशिया (Celosia), डाइजिरा (Digera), प्यूपेलिया (Pupalia), डीरिलिज (Deeringia) आदि।
तना (Stem)-वायवीय, ऊर्ध्व, बेलनाकार अथवा कोणीय, शाखित, काँटेदार रोमिल, शाकीय अथवा काष्ठीय, हरा अथवा बैंगनी।
पत्ती (Leaf)-स्तम्भिक व शाखिक, अननुपत्री, वृन्ती, कभी-कभी अवृन्ती (गोम्फरीना में), एकान्तर (एमारेन्थस), सम्मुख (गोम्फरीना), सरल, रोमिल, एकशिरीय जालिकावत।
पुष्पक्रम (Inflorescence)-अक्षीय अथवा अग्रस्थ स्पाइक, गोलज समण्ड (गोम्फरीना), रेसीम (डीरिन्जिया)।
पुष्प (Flower)-सहपत्र, अवृन्ती, सहपत्रिक, त्रिज्यासममित, द्विलिंगी (एकाइरेन्थस).. एकलिंगी (एमारेन्थस), जायांगाधर, छोटा हरा, सहपत्र अपाती, सहपत्रक रंगीन (डाइजिरा), सहपत्र काँटेदार (एकाइरेन्थस में)।
परिदलपुंज (Perianth)-5 परिदल (गोम्फरीना, सीलोशिया, आल्टरनेन्थेरा), 2-3 (एमारेन्थस), 4-5. (एरूआ में) पृथक् अथवा संयुक्त परिदली, हरा अथवा रंगीन।
पुमंग (Androecium)-5 अथवा 3-5, पृथकपुंकेसरी, गोम्फरीना, आल्टरनेन्थेरा व एकाइरेन्थस में आधार पर जुड़े हुए, परिदल सम्मुख, एकाइरेन्थस में 5 पुंकेसर तथा 5 बन्ध्य पुंकेसर, आल्टरनेन्थेरा’ में 5 पुतन्तु संलग्न, 5 एककोष्ठी परागकोश बन्ध्य तथा 5 जननक्षम, परागकोश द्विकोष्ठी, गोम्फरीना, फोफिया तथा आल्टरनेन्थेरा आदि में एककोष्ठी।
जायांग (Gynoecium)-2-3 अण्डप, युक्ताण्डप, ऊर्ध्वअण्डाशय, एककाष्ठा, आधारीय बीजाण्डन्यास, वर्तिका अनपस्थित अथवा छोटी (आल्टरनेन्थेरा में), धागनमा (एकाइरेन्थस में), अपाती।
फल (Fruit)-यूट्रिकल (एमारेन्थस में), सम्पुट (सीलोशिया में) अथवा बा (डीरिन्जिया में)।
बीज (Seed)-भ्रूणपोषी, भ्रूण मुड़ा हुआ।
परागण (Pollination)-कीट परागण।
पुष्पसूत्र (Floral formula)|
Br or Ebre 8 or for p, Ph_sor (45). A3-5 or (5), G(2-
एमारेन्थेसी कुल का आर्थिक महत्त्व
(Economic Importance of Family Amaranthaceae)
Mald.
औषधीय पादप (Medicinal plants).
(1) आल्टरनेन्थेरा सेसाइलिस (Alternanthera sessilis)
(2) एमारेन्थस स्पाइनोसस (Amaranthus spinosus)
(3) सायथुला प्रोस्ट्राटा (Cyathula prostrata)
(4) डाइजिरा म्यूरीकाटा (Digera muricata)
(5) एकाइरेन्थस बाइडेन्टाटा (Achyranthus bidentata)
खाद्य पादप (Edible Plants)
(1) एमारेन्थस विरिडिस (Amaranthus viridis)-इसकी पत्तियों सब्जी व साग के रूप में खाई जाती हैं तथा इनके बीज भूनकर चौलाई के लड्डू बनाते हैं।
(2) बोसिया (Bosia)-इसकी नई शाखाएँ भूनकर खाते हैं।
(3) डाइजिरा (Digera)-इसकी छोटी शाखाएँ सब्जी के रूप में खाई जाती हैं।
c.रंजक (Dyes)
(1) बोसिया एम्बरस्टिआना (Bosia amberstiana)-पत्तियों से नीला रंजक प्राप्त __ होता है। –
(2) डीरिन्जिया एमारेन्थोइडिस (Deeringia amaranthoides)-इसके पके फलों का जूस लाल स्याही के रूप में मिलता है।
सजावटी पादप (Ornamental Plants)
(1) एमारेन्थस हाइब्रिडा
(2) सीलोशिया क्रिस्टाटा
(3) गोम्फरीना ग्लोबोसा
(4) एरूआ लानाटा
प्रश्न 15 – एमारेन्थस पौधे की आकारिकी व पुष्पीय संरचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर – एमारेन्थस sp. (Amaranthus); चौलाई
स्वभाव (Habit)-एकवर्षीय शाका
तना (Stem)-वायवीय, ऊर्ध्व, शाखित, कोणीय, शाकीय, हरा, रोमिल।
पत्ती (Leaf)-शाखित व स्तम्भिक, अननुपत्री, एकान्तर, वृन्ती, सरल, लटवाकार एकशिरीय, जालिकावत, रोमिल।
पुष्पक्रम (Inflorescence)-अग्रस्थ व अक्षस्थ स्पाइक पर पुष्पों का समूह।
पुष्प (Flower)-सहपत्र, अवृन्ती, त्रिज्यासममित, अपूर्ण, एकलिंगी, उभयलिंगाश्रयी,
जायांगाधर।
नर पुष्प (Male Flower)
परिदल (Epicalyx)-3 परिदल, पृथक्परिदली, हरा।
पुमंग (Androecium)-3, सम्मुख परिदली, पृथक्पुंकेसरी, परागकोश द्विकोष्ठी, अन्तर्मुखी।
जायांग (Gynoecium)- अनुपस्थिता ।
पुष्पसूत्र (Floral formula) – P3A3Go
मादा पुष्प (Female Flower)
परिदलपुंज (Epicalyx) -नर पुष्प के समान।
पुमंग (Androecium) अनुपस्थित।
जायांग (Gynoecium)-द्विअण्डपी अथवा… त्रिअण्डपी, युक्ताण्डप, ऊ एककोष्ठी, आधारीय बीजाण्डन्यास, वर्तिका 3, अपाती।
पुष्पसूत्र (Floral formula) -GQPAOG(2-3)
फल (Fruit)-यूट्रिकला
प्रश्न 16 – यूफोर्बिएसी कुल के पुष्पीय लक्षण बताइए।
उत्तर – यूफोर्बिएसी (Euphorbiaceae)
Systematic Position :
Phanerogams
Dicotyledons -Monochlamydae
Unisexuales
Euphorbiaceae
पुष्पक्रम (Inflorescence) सामान्य रूप में Cymose या Racemose, Euphorbia में साएथियम नाम का पुष्पक्रम होता है। इसमें एक नग्न मादा पुष्प होता है जो कि बाह्य दलाभ (sepalloid) ब्रैक्ट से प्यालेनुमा सहपत्र-चक्र (involucre) से घिरा रहता है। प्रत्येक सहपत्र की कक्ष में पुंकेसर का एक समूह उपस्थित रहता है। प्यालेनुमा संरचना के किनारों पर .. ग्रन्थियाँ (glands) उपस्थित होती हैं। साएथियम एक पुष्प-सा ही दिखाई देता है।
क्रोटन (Croton) में पुष्पक्रम रेसीम (raceme) होता है, जबकि जेट्रोफा (Jatropha) में यह द्विशाखी सीमाक्ष (dichasial cyme) होता है।
पुष्प (Flower)-सहपत्री (bracteate), सहपत्रिक (bracteolate), अपूर्ण, एकलिंगी, जायांगाधर (hypogynous) पंचतयी, Euphorbia pulcherrima में एक रंगीन खूबसूरत सहपत्र (bract) भी उपस्थित होता है।
बाह्यदलपुंज (Calyx)-Jatropha gossypifolia में 5, Merenni Euphorbia में एक भी नहीं होता है, लेकिन जिनमें होते हैं उनमें ये हरे पर अथवा इम्ब्रीकेट होते हैं।
दलपुंज (Corolla)-Euphorbia तथा Manihot में ये अनुपस्थित हो Jatropha के नर फूलों में ये उपस्थित होते हैं। Croton ponplandianum के मा में ये अनुपस्थित होते हैं। Wielandia में 5, स्वतन्त्रदली व रंगीन Ricinus communis में परिदलपुंज मिलता है। नर पुष्प में पाँच व मादा में तीन
dianum के मादा फलों पी व रंगीन होते हैं। व मादा में तीन परिदल मिलते हैं।
पुमंग (Androecium)-Wielandia में 5, जेट्रोफा में 10 एकसंघी . Euphorbia में केवल एक पुंकेसर होता है। Ricinus में 5 पुंकेसर गुच्छे के करी बहुशाखित होते हैं जिनके अन्त में एक-एक कोष्ठीय परागकोश मिलता है।
जायांग (Gynoecium) सामान्य रूप में त्रिअण्डपी (tricarpellary), युक्ताण्डपी, ऊर्ध्व तथा त्रिकोष्ठी (trilocular)। प्रत्येक कोष्ठ (locule) में एक बीजाण्ड (ovule) होता है लेकिन Phyllanthus में प्रत्येक locule में दो बीजाण्ड होते हैं। अक्षीय बीजाण्डन्यास (Axile placentation), वर्तिका 3 तथा वर्तिकाग्र (stigma) 3 या 6 होते हैं। Ricinus में stigma सादा तथा बालों से युक्त होता है।
फल (Fruit)-सामान्य रूप से सूखा भिदुरफल (schizocarpic) रेग्मा (regma) होता है।
पुष्प – सूत्र (Floral formula)-मादा पुष्प : 00 Po or 3 or 5A0 G (3)
नर पुष्प : G6Po or 3 or 5A1 or 5 or 10 or (20) Go
यूफोर्बिएसी कुल का आर्थिक महत्त्व
(Economic Importance of Family Euphorbiaceae)
यूफोबिएसी कुल का आर्थिक महत्त्व निम्नवत् है-
(1) हीविया ब्रासीलिएन्सिस (Hevea brasiliensis)-इससे उत्पन्न रबर क्षार से रबर प्राप्त होती है।
(2) रोसिनस कम्यूनिस (Ricinus communis) -इसके बीज से अरण्ड का …. मिलता है।
(3) जेट्रोफा करकस (Jatropha curcas) (जमाल गोटा)-इसका तल का अच्छा रेचक है।
(4) क्रोटन टिग्लियम (Croton tiglium) (जमाल गोटा) इसके बीज कृमिनाशक व रेचक हैं।
(5) मेनीहॉट एस्कुलेन्टा (Manihot esculenta) टेपिओका कन्दिल-मूल – प्राप्त होता है।
(6) एम्बलिका ऑफिसिनेलिस (Emblica officinalis)-इससे (आँवला)
विटामिन ‘C’ मिलता है। इसका मुरब्बा आँखों के लिए अच्छा है।
सजावटी पौधे-
(7) यूफोर्बिया पल्चेरिमा (Euphorbia pulcherrima)-पोइनसीटिया।
(8) एकेलाइफा सीलिएटा (Acalypha ciliata)
(9) पुत्रंजीवा रॉक्सबरघाई (Putranjiva roxburghii)
(10) बिस्चोफिया जेवोनिका (Bischofia javonica)
(11) फिलेन्थस एसीडस (Phyllanthus acidus)
(12) क्रोटन एरोमेटिकस (Croton aromaticus)
प्रश्न 17 – पोएसी अथवा ग्रैमिनी कुल के वानस्पतिक लक्षण लिखिए।
अथवा पोएसी कुल के पुष्पी लक्षण तथा आर्थिक महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर – पोएसी अथवा ग्रैमिनी (Poaceae or Gramineae)
Systematic Position :
Monocotyledons
Glumaceae
Gramineae or Poaceae
कुल वंश (Genera)-620 (Willis, 1966)।
कुल जातियाँ (Species)-10,000 (Willis, 1966)।
स्वभाव (Habit)-एकवर्षीय या बहुवर्षीय, शाकीय, कुछ झाड़ी वाले पौधे होते हैं (Bambusa, Arundinaria etc.)। कुछ बड़े पेड़ (tree) हो जाते हैं; जैसे-Bambusa natans तथा B. khasianal कुछ आरोही होते हैं; जैसे-Antigonony
जड़ (Root)-अपस्थानिक, रेशेदार, शाकीय।
तना (Stem)-वायवीय तना अशाखित सामान्य रूप में खोखला है तथा इसमें अग्र भाग में पुष्पक्रम होता है। इसे कल्म (Culm) कहते हैं।’
पत्ती (Leaf)-पतली, leaf sheath तथा blade में विभाजित होती है। एक ligule होता है। Exstipulate, semi-amplexicaul, parallel venation होता है। इसे सामान्यत: ब्लेड (blade) कहते हैं।
पुष्पक्रम (Inflorescence)-स्पाइक (spike) या स्पाइकलेट का पेनिकल (panicle of spikelets) वाला होता है। स्पाइकलेट या तो sessile होता है। जैसे-Triticum में अथवा stalked होते हैं; जैसे-Avena में। Zea mays में नर तथा मादा Spikelet अलग-अलग होती है। .,
स्पाइकलेट (Spikelets)-यह छोटा होता है तथा इसमें एक spikelet में एक या अधिक फूल होते हैं। फूल या तो एकान्तर क्रम में रहते हैं या 2 पंक्तियों में होते हैं।
पुष्प (Flower)-इसे एक floret भी कहते हैं। ये अधिकतर दिलित कभी-कभी एकलिंगी होते हैं। एक पुष्प एक scale की अक्ष (axil) में निक lemma कहते हैं। Lemma के ऊपर एक लम्बा तथा पतला awat zygomorphic, hypogynous तथा cyclic होते हैं।
परिदलपुंज (Perianth)-यह 2 ब्रैक्ट के आकार की रचनाओं के रूप में होता है जिन्हें, lodicules कहते हैं। Ochlandra में 2-12 lodicules होते हैं।
पुमंग (Androecium)-3, versatile तथा डाइथीकस होते हैं। Bambusd पुंकेसर होते हैं। Uniola में केवल एक stamen होता है। Anthers बेसाफिक्त डोसीफिक्सड तथा कभी-कभी sagitate होते हैं।
जायांग (Gynoecium)-एकअण्डपी (monocarpellary), ऊर्ध्ववती (supers एककोष्ठीय, एक बीजाण्ड, basal placentation पर लगा होता है. Stigma रामपुर
फल (Fruit)-कैरियोप्सिस (caryopsis)।
पुष्पसूत्र (Floral formula)—% P2 or 3 Ag or 6 G
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