Main Characteristics Of Gymnosperms BSc Botany Notes

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प्रश्न 2 – अनावृतबीजियों के प्रमुख लक्षणों का वर्णन कीजिए।

उत्तर

अनावृतबीजियों के प्रमुख लक्षण .. 

(Main Characteristics of Gymnosperms) Notes

थियोफ्रेस्टस (Theophrastus) ने 300 BC में ‘जिम्नोस्पर्म’ शब्द का प्रयोग किया था (gymno = Naked, sperma = Seeds) जिम्नोस्पर्म में ovule नग्न होते हैं। इन पर अण्डाशय भित्ति नहीं मिलती है। परन्तु आवृतबीजी पादपों में (angios = vessel, sperma = seed) ovule अण्डाशय के अन्दर सुरक्षित रहते हैं।

(1) जिम्नोस्पर्म प्राचीनतम बीजीय पादप हैं, जो Palaeozoic era (265 million years ago) में उत्पन्न हुए तथा Mesozoic era में बहुतायत में थे।

जीवित जिम्नोस्पर्म वृक्ष व झाड़ी रूप में मिलते हैं। इनके लगभग 70 वंश व 725 मल्स स्पीशीज हैं।

(2) पादप शरीर मूल, तना व पत्ती का बना होता है। पादप स्पोरोफाइट फन (sporophyte) होते हैं।

(3) मूसला जड़ (tap root) डाइआर्क से पॉलीआर्क (diarch-polyarch) हो सकती है। जाइलम एक्सार्क (exarch) होता है। कुछ पादपों में कवक मूल (पाइनस) तथा कोरेलॉइड मूल (साइकस) मिलती हैं।

(4) तना वायवीय (aerial) होता है। यह अशाखित (साइकस) व शाखित (पाइनस) हो सकता है। पाइनस में लम्बी व छोटी तने की शाखाएँ मिलती हैं जिन पर हरी पत्तियाँ समूह में लगी रहती हैं।

(5) पत्ती माइक्रोफिल्लस या मेगाफिल्लस (microphyllous or megaphyllous) हो सकती हैं। ये सरल या संयुक्त होती हैं। शिराविन्यास जालिकावत् (reticulate, नीटम). समान्तर (parallel, वेलविस्चिया) या डाइकोटोमस (dichotomous, गिंगो) हो सकता है।

(6) पत्ती की मीजोफिल पेलीसेड व स्पंजी पैरेन्काइमा (palisade and spongy parenchyma) में विभेदित हो सकती है। पत्ती सम्मुख, क्रॉसित, स्पाइरल या चक्रिक (opposite, decussate, spiral or whorl) क्रम में लगी हो सकती है।

(7) तने के संवहन पूल संयुक्त, कोलेटरल, खुले (conjoint, collateral, open) होते हैं, जो एक वलय में व्यवस्थित होते हैं। जाइलम एन्डार्क (endarch) होता है।

(8) द्वितीयक काष्ठ मैनोजाइलिक (loose and soft, साइकस) व पिक्नोजाइलिक (compact, पाइनस) होती हैं। जाइलम में वाहिकाओं (vessels) का अभाव होता है, परन्तु वाहिकाएँ (vessels) इफेड्रा, नीटम तथा वेलविस्चिया में मिलती हैं। फ्लोएम में सहचर कोशिकाएँ (companion cells) नहीं पायी जाती हैं।

(9) सैकेण्डरी वेस्कलेचर मोनोजाइलिक (persistent camhi पाइनस) या पॉलीजाइलिक (जैसे-साइकस) होता है। वार्षिक वलय (annual मिलते हैं।

(10) पादप विषमबीजाणुक (heterosporous) होते हैं। माइक्रोस्पोर हो युग्मकोद्भिद् तथा मेगास्पोर से मादा युग्मकोद्भिद् बनते हैं।

(11) बीजाणुधानी का विकास यूस्पोरेन्जिएट (eusporangiate) प्रकार का होता

(12) जनन अंग शंकु (cone or strobilus) में व्यवस्थित होते हैं। साइकस के स्त्री जनन अंग शंक में नहीं मिलते हैं। ये मेगास्पोरोफिल (megasporophyll) के रूप मिलते हैं। प्रायः शंकु monosporangiate होते हैं, परन्तु नीटम आदि में bisporansists cone भी मिल सकते हैं।

(13) नर शंकु में लधुबीजाणुपर्ण (microsporophyll) मिलती है, जिन पर लघुबीजाणुधानी (microsporangia) उपस्थित होते हैं।

(14) मादा शंकु में गुरुबीजाणुपर्ण (megasporophyll) मिलती है, जिन पर बीजाण्ड (ovule) होते हैं। मादा शंकु नहीं मिलते हैं।

(15) बीजाण्ड (ovule यूनीटेगमिक (साइकस) या बाइटेगमिक (इफेड़ा) हो सकते हैं। Tarus में aril मिलता है। Ovule नग्न होता है।

(16) Archegonia नीटम तथा वेलबिस्चिया को छोड़कर मादा यामकोदभिद में मिलती है। नेक कैनाल कोशिकाएँ (neck canal cells नहीं पायी जाती हैं।

(17) वायु द्वारा परागण होता है।

(18) नर युग्मक में फ्लैजेला मिलते हैं। जैसे—साइकस। पाइनस में नरयुग्मक अचल होते हैं।

(19) भ्रूण का विकास मीरोब्लास्टिक (meroblastic) होता है तथा भ्रूण का विकास एण्डोस्कोपिक (endoscopic) होता है।

(20) जिम्नोस्पर्म में बहुभ्रूणता (polyembryony) मिलती है। (21) कॉटीलीडन्स की संख्या साइकस में दो तथा पाइनस में अनेक होती है।

(22) जीवन-चक्र में बीजाणुउद्भिद् अवस्था प्रभावी होती है।

(23) जिम्नोस्पर्म में पीढ़ी एकान्तरण (alternation of generation) मिलता है

(24) बीज में दो बीजाणुउद्भिद् (sporophytic) तथा एक युग्मकादाभद (gametophytic generation) होती है।

(i) सीड कोट पुरानी स्पोरोफिटिक पीढ़ी (old sporophytic genera दर्शाता है।

(ii) तरुण भ्रूण नई स्पोरोफिटिक पीढ़ी (new sporophytic gener दर्शाता है।

(iii) एण्डोस्पर्म गैमीटोफिटिक पीढ़ी (gametophytic generation) दर्शाता है।

(25) बीज का अंकुरण उपरिभूमिक (epigeal) होता है।

 


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