Vegetative Reproduction In Lycopodium BSc Botany Notes
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प्रश्न 3 – लाइकोपोडियम में वर्धी प्रजनन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर –
वर्धी प्रजनन
(Vegetative Reproduction in Lycopodium)
लाइकोपोडियम की विभिन्न जातियों में वर्धी प्रजनन के अनेक प्रकार हैं।
- 1. विखण्डन द्वारा (By Fragmentation)-विखण्डन द्वारा विसी तना अनेक खण्डों में टूट सकता है। प्रत्येक खण्ड एक नये पादप को जन्म देने में सक्षम होता है। कभी-कभी शाखाओं के पुराने भागों के अवक्षय एवं मृत्यु (death and decay) से जीवित भाग डाइकोटोमस वृद्धि बिन्दु से पृथक् हो जाते हैं और नये पादप को जन्म देते हैं।
- गैमी या बुलबिल्स द्वारा (By Gamme or Bulbils)-इस प्रकार का प्रजनन ला० ल्यूसीड्यूलुम, ला० फ्लेग्मेरिया तथा ला० सिलेगो में मिलता है। तने के किसी भाग से एक छोटी शाखा निकलती हैं जिनके ऊपर छोटी-छोटी पत्तियाँ होती हैं। वे शाखाएँ बुलबिल के समान होती हैं। ये मुख्य पादप से पृथक् होकर ये नये पौधे को जन्म देती हैं। कुछ प्रजातियों में पत्ती के स्थान पर गैमा बन जाते हैं। ये नाशपाती के आकार की संरचना हैं। मातृ पौधे से पृथक् होकर ये नये पादप को जन्म देती हैं।
- अपस्थानिक मुकुल द्वारा (By Adventitious Buds)-लाइकोपोडियम कुछ जातियों में तने या पत्ती के आधार पर कुछ कोशिकाएँ मुकुल का निर्माण करती है। मुकुल मातृ पादप से पृथक् होकर नये पादप को जन्म देती हैं।
- रूट ट्यूबरकिल द्वारा (By Root Tubercle)-ये मूल कॉर्टेक्स की कोशिकाओं से विकसित होते हैं। इनमें खाद्य पदार्थ प्रचुर मात्रा में रहता है। ये पृथक् होकर नये पादप को अनुकूल वातावरण में जन्म देते हैं।
- विश्राम कलिका द्वारा (By Resting Bud)-इस प्रकार की संरचनाएँ वृद्धि कर रहे राइजोम के अग्र भाग पर विकसित होती हैं। इनमें वृद्धि बिन्दु को खाद्य पदार्थों से युक्त पत्तियाँ चारों तरफ से घेर लेती हैं। प्रतिकूल वातावरण में विश्राम कलिका को छोड़कर पौधे के सभी भागों की मृत्यु हो जाती है तब ये नये पादप को जन्म देती हैं।