BSc Botany Heterospory And Seed Habit Notes
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प्रश्न 2 – टेरिडोफाइटा में सिलैजिनेला के विशेष सन्दर्भ में हेटरोस्पोरी एवं बीज स्वभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
हेटरोस्पोरी एवं बीज स्वभाव
(Heterospory and Seed Habit)
हेटरोस्पोरी (Heterospory)
‘हेटरोस्पोरी’ (heterospory) शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-hetero = विभिन्न; spora = स्पोर्स। इसीलिए इस शब्द का शाब्दिक अर्थ है, विभिन्न प्रकार के बीजाणु (spores) टेरिडोफाइटा के कुछ सदस्यों में (e.g. Selaginella एवं Marsilea) दो प्रकार के बीजाणु (spores) मिलते हैं-लघु बीजाणु (microspores) एवं गुरू बीजाणु (megaspores) एवं इस प्रकार की विधि को हेटरोस्पोरी अथवा विषमबीजाणता कहते है।
उच्च वर्ग के पौधों में हेटरोस्पोरी के कारण ही बीज बनने (seed format क्रिया होती है और लगभग इसी प्रकार की प्रकृति इन विभिन्न प्रकार के स्पोर्स पैदा करने टेरिडोफाइटा के सदस्य दिखाते हैं और इसीलिए इस परिघटना (phenomenon हेटरोस्पोरी एवं बीज स्वभाव (heterospory and seed habit) के नाम से पुकारते हैं।
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बीज निर्माण (Seed formation)
विभिन्न प्रकार के स्पोर्स पैदा करने के साथ-साथ बीजों वाले पौधों में निम्नलिखित लक्षण भी पाए जाते हैं जिससे कि बीज निर्माण होता है
(1) नर युग्मकोद्भिद् का आकार एवं नाप कम हो जाती है।
(2) एक गुरुबीजाणुधानी में केवल एक ही गुरुबीजाणु विकसित होता है।
(3) गुरुबीजाणुधानी में बाह्य आवरण integument मिलता है।
(4) गुरुबीजाणुधानी में से गुरुबीजाणु (megaspores) कभी भी नहीं झड़ते हैं।
(5) निषेचन गुरुबीजाणुधानी के अन्दर ही होता है।
(6) Embryo भी अन्दर ही विकसित होता है।
III. सिलैजिनेला हेटरोस्पोरी दर्शाता है
(Selaginella exposes Heterospory)
ऊपर लिखे हुए गुणों के सन्दर्भ में अगर Selaginella को देखें तो यह हेटरोस्पोरी दर्शाता है क्योंकि
(1) सिलैजिनेला हेटरोस्पोरस है।
(2) गुरुबीजाणु का विकास गुरुबीजाणुधानी के अन्दर ही शुरू होता है।
(3) विभिन्न जातियों में गुरुबीजाणु काफी समय तक गुरुबीजाणुधानी के अन्दर ही रहता है।
(4) कछ जातियों (Selaginella monospora एवं Selaginella rupestris) में प्रत्येक गुरुबीजाणुधानी में गुरुस्पोर की संख्या एक हो जाती है।
(5) कुछ जातियों (Selaginella rupestris) में गुरुबीजाणु कभी भी नहीं झड़ता एवं बाहर नहीं आता है।
(6) Selaginella rupestris में निषेचन की क्रिया एवं भ्रूण (embryo) का विकास भी गुरुबीजाणुधानी के अन्दर ही होता है।