What is Brownian Motion Notes
What is Brownian Motion Notes:- The Laws of Thermodynamics: The Zeroth law, various indicator diagrams, work done by and on the system, first law of thermodynamics. internal energy as a state function and other applications. Reversible and irreversible changes. Carnot cycle and its efficiency, Carnot theorem and the second law of thermodynamics. Different versions of the second law, practical cycles used in internal combustion engines. Entropy, principle of increase of entropy. The thermodynamic scale of temperature, its identity with the perfect gas scale. Impossibility of attaining the absolute zero, third law of thermodynamics.
प्रश्न 2. ब्राउनी गति क्या है? इस गति की अणुगति सिधांत के आधार पर व्याख्या कीजिए समझाए की बाउनी गति के प्रयोगात्मक अध्ययन से आवोगाद्रो संख्या का मान कैसे मिला?
What is Brownian motion? Explain it from kinetic theory Describe how the experimental study of Brownian motion yielded the value of Avogadro number.
उत्तर : ब्राउनी गति (Brownian Motion)— गैसों के अणुगति सिद्धान्त में यह माना गया है कि गैस के अणु स्थिर यादृच्छिक गति (constant random motion) से एक-दूसरे से तथा पात्र की दीवारों से टकराते रहते हैं। यह तथ्य द्रवों के लिए भी सत्य है। सन् 1827 में वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर रॉबर्ट ब्राउन ने जब उच्च क्षमता वाले सूक्ष्मदर्शी से जल में निलम्बित पराग के कणों को देखा तो उन्होंने पाया कि पराग के कण जल में विभिन्न दिशाओं में गति कर रहे हैं जबकि जल पूर्णतया विरामावस्था में है। पुनः उन्होंने यह भी पाया कि अकार्बनिक पदार्थों के कोलॉइडी कण (colloidal particles) भी विलयनों में इसी प्रकार गति दिखाते हैं। ये कण विभिन्न दिशाओं में इधर उधर तेजी से तथा लगातार अनियमित रूप से गति करते रहते हैं। इन कणों की अनियमित गति को चित्र-3 में दर्शाया गया है। कणों की इस गति को ब्राउनी गति कहते हैं। प्रयोगशाला में ब्राउनी गति धुएँ के कणों में भी देखी जा सकती है। .. .
आइन्स्टीन ने उपर्युक्त वर्णित ब्राउनी गति की सैद्धान्तिक व्याख्या प्रस्तुत की तथा पर प्रस्तावित किया कि अणुओं तथा परमाणुओं के ऊष्मीय प्रक्षोभ (thermal agitation) के अस्तित्व का सबसे बड़ा प्रमाण ब्राउनी गति ही है। उन्होंने यह माना कि किसी द्रव अथवा गैस में निलम्बित कण उसके अणुओं से टकराते रहते हैं। चूँकि कणों का आकार बहुत छोटा है, अत: किसी कण-पर सदैव एक ओर से टकराने वाले अणुओं की संख्या उसके दूसरी ओर से टकराने वाले अणुओं की संख्या के ठीक बराबर नहीं होती। इस प्रकार कण पर प्रत्येक समय एक ‘असन्तुलित बल’ किसी एक दिशा में लगा रहता है। जिसके कारण कण इधर-उधर अनियमित गति करता रहता है।
आवोगाद्रो संख्या ज्ञात करना (Determining Avogadro’s Number)-द्रव में – निलम्बित कोलॉइडी कण गैस के समान व्यवहार करते हैं जो कि गुरुत्वीय प्रभाव के अन्तर्गत सन्तुलन में हैं। अतः द्रव में उनका घनत्व ऊँचाई के साथ उसी प्रकार परिवर्तित होता है जैसे कि वायुमण्डल का दाब परिवर्तित होता है।
माना गैस का एक छोटा-सा कण पात्र की तली से ऊँचाई h पर है (चित्र-6)। माना इसके तल का क्षेत्रफल A है तथा मोटाई dh है, तब इस कण का द्रव्यमान pAdh तथा भार pgAdh होगा, जहाँ p गैस का ऊँचाई h पर घनत्व है।
माना गैस-कण के निचले तलं पर ऊर्ध्वमुखी (upward) दाब p है तथा ऊपरी तल पर अधोमुखी (downward) दाब p+ dp है, तब कण पर लगने वाला ऊर्ध्वमुखी बल pA है तथा यह अधोमुखी बल (p+ dp)A व कण के भार pgAdh के योग के बराबर है। चूंकि कण सन्तुलन में है। अत: इस पर परिणामी बल शून्य होना चाहिए।
pA = (p + dp) A+ pgAdh
अथवा dp = – pgdh
आदर्श गैस के 1 ग्राम-अण (1 मोल) के लिए.
pV = RT
परन्तु V = M/p, जहाँ M गैस का अणु भार है। यदि गैस के एक अणु का द्रव्यमान m हो तथा आवोगाद्रो संख्या N हो, तब M = mN, अत: V = mN/p.
पेरिन ने एक द्रव की बूंद में विभिन्न ऊँचाइयों पर निलम्बित कणों की संख्या की गणना की तथा कणों के द्रव्यमान व घनत्व को ज्ञात किया। इससे उन्होंने N का मान 6.8×1023 कण/(ग्राम-अणु) प्राप्त किया।