Yellow Or Stripe Rust Of Wheat BSc Botany Notes

Yellow Or Stripe Rust Of Wheat BSc Botany Notes

 

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प्रश्न 6 – गेहूँ का पीला रस्ट पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर

गेहूँ का पीला रस्ट

(Yellow or Stripe Rust of Wheat) Notes

यह रोग पक्सीनिया ग्लूमेरम (P. glumarum or P. striformis) द्वारा होता है। | यह प्रायः उत्तर तथा पूर्वी भारत में अधिकता से तथा दक्षिण भारत, पश्चिमी भारत में अपेक्षाकृत

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कम मिलता है। यह रोग अन्य रस्ट रोग की तुलना में पहले लगभग जनवरी माह में आरम्भ हो जाता है। वर्षा होने पर रोग का संक्रमण उग्र रूप धारण कर लेता है तथा फसल अधिक हानि होती हैं।

रोग के लक्षण (Symptoms of Disease)-यूरीडिया प्रायः पत्ती पर बनते हैं, परन्तु उग्र अवस्था में पर्ण आच्छद (leaf sheath), तने, ग्लूम, शूकों (awns) पर मिल सकते है, रस्ट पीस्टियूल (rust pustules) फलभित्ति (pericarp) तथा करनेल (kernels) : पर भी देखे गए हैं। यूरीडिया नींबू के समान पीले तथा अण्डाकार होते हैं। ये लगभग समान्तर पंक्तियों में लगे रहते हैं। प्रत्येक सोरस के सिरे एक-दूसरे से छूते हैं, परन्तु जुड़ते नहीं हैं। इन सोराई में आस-पास का हरा रंग लम्बी धारियों में नष्ट हो जाता है। पत्ती पर लम्बी, लगभग समान स्ट्रिप (stripe) दिखाई पड़ती हैं। स्ट्रिप तथा पीले रंग के कारण इस रोग का नाम पीला। या स्ट्रिप रस्ट पड़ा है।

यूरीडोस्पोर नींबू की भाँति पीले तथा अण्डाकार होते हैं। इनका एपीस्पोर पतला तथा शूलयुक्त (fine spiny) होता है। इसमें 6-10 अंकुर रन्ध्र तथा पहाड़ों पर 6,000 फीट की ऊँचाई तक गर्मी में सुरक्षित अवस्था अर्थात् जीवनक्षम (viable) नहीं रह सकते हैं और नष्ट हो जाते हैं। 6000-7000 फीट तथा इससे ऊपर ये जीवनक्षम रहते हैं। इन स्पोर्स का बनना तथा अंकुरण काला रस्ट के समान है।

फसल के पकने के समय पत्ती पर गहरे कत्थई तथा कुछ-कुछ काले पीस्टियूल (pustules) बनने लगते हैं। ये टीलिया (telia) होते हैं जो पत्ती की निचली सतह के अन्दर (sub-epidermal) ही बनते हैं। ये यूरीडोसोराई की भाँति स्ट्रिप (stripe) में रहते हैं। ये परपोषी की बाह्यत्वचा से ढके रहते हैं। टीलियम में उसकी दीवारों के सहारे तथा टीलियोस्पोर के बीच-बीच में कुछ कत्थई रंग के बन्ध्य सूत्र पैराफाइसिस मिलते हैं। प्रत्येक टेल्यूटोस्पोर दीर्घवृत्त (oblong) या फानाकार (cuneiform) तथा दो कोशिकीय होता है। मध्य पट की जगह बाहरी दीवार उपसंकोचित (constricted) होती है। स्पोर का सिरा चपटा या तिरछा हो सकता है तथा दीवार काला रस्ट के टीलियोस्पोर से अपेक्षाकृत कम मोटी होती है। अंकुर रन्ध्र (germ pores) ऊपरी कोशिका तथा नीचे की कोशिका में पट के नीचे मिलते हैं।

पक्सीनिया ग्लूमेरम एक हेटरोसियस रस्ट है लेकिन इसका एकान्तर परपोषी (alternate host) ज्ञात नहीं है। इसके जीवन-चक्र में अभी तक पिक्नियल तथा एसीयल अवस्थाओं को नहीं देखा जा सका है। इसकी करीब 55 दैहिक जातियाँ (physiological races) हैं जिनमें से 11 भारत में मिलती हैं।

 


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