BSc 1st Year Botany Sexual Reproduction In Yeast Notes
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प्रश्न 4 – यीस्ट में लैंगिक जनन का वर्णन कीजिए।
उत्तर –
यीस्ट में लैंगिक जनन
(Sexual Reproduction in Yeast) Notes
सामान्यत: यह प्रतिकूल परिस्थितियों में, विशेष रूप से खाद्य पदार्थों की कमी के समय होता है। यीस्ट में जनन अंग तथा स्पष्ट युग्मक अनुपस्थित होते हैं। युग्मन (conjugation) दो वर्धी कोशिकाओं के मध्य या दो एस्कोस्पोर्स (ascospores) के मध्य होता है। संलयन (fusion) के बाद बना जाइगोट (zygote) एस्कस (ascus) कहलाता है जिसमें एस्कोस्पोर्स (ascospores) बनते हैं। ___
Gulliermond (1940) के अनुसार, यीस्ट में तीन प्रकार का पीढ़ी एकान्तरण (alternation of generation) मिलता है जिसका वर्णन निम्नवत् है –
- हैप्लोबायोण्टिक (Haplobiontic type)-इस प्रकार का पीढ़ी एकान्तरण शाइजोसैकेरोमाइसीज ऑक्टोस्पोरस (Schizosaccharomyces octosporus) मे पाया जाता है। यह होमोथैलिक (homothallic) होती है तथा कायिक कोशिकाएँ (somatic cells) अगुणित (haploid) होती हैं। प्रत्येक कोशिका एक युग्मक (gamete) की तरह व्यवहार करती है। दो कोशिकाएँ एक-दूसरे के निकट आकर संयुग्मन नलिका(conjugation tube) बनाती हैं। सम्पर्क स्थान पर भित्ति घुल जाता हैं तथा दोनों केन्द्रक संयोजन करके युग्मनज (zygote) बनाते हैं। द्विगुणित जाइगोट (diploid on 2n) एस्कस (ascus) में बदल जाता है, फिर अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiotic division) द्धारा चार अगुणित (haploid orn) केन्द्रक बनाता है। इसके बाद सूत्री विभाजन (mitosis) से आठ केन्द्रक बनते हैं। प्रत्येक केन्टक एस्कोस्पोर में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार एस्कस में आठ एस्कोस्पोर बन जाते हैं एस्कस भित्ति के फटने पर प्रत्येक एस्कोस्परि (ascospore) नई यीस्ट कोशिका को जन्म देता है। इस जीवन-चक्र में सिर्फ जाइगोट द्विगुणित है, शेष सभी अवस्थाएँ अगणित हैं। इस कारणवश इसको हैप्लोबायोण्टिक कहते हैं। द्विगुणित अवस्था अल्प समय के लिए रहती है।
- डिप्लोबायोण्टिक (Diplobiontic type) – यह सैकेरोमाइकोडीज लुडविगी(Saccharomycodes ludwigi) में मिलता है। इसमें कायिक
कोशिकाएँ द्विगुणित (diploid or 2n) होती हैं जो एस्कस की तरह कार्य करती हैं। इनका केन्द्रक अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा चार अगुणित एस्कोस्पोर्स बनाता है। ये एस्कोस्पोर्स स्वतन्त्र नहीं होते हैं तथा एस्कस में ही दो विपरीत संगम प्रकार (opposite mating type) के एस्कोस्पोर्स जोड़ों में संयोजन करते हैं (plasmogamy and karyogamy)। इस प्रकार द्विगुणित कोशिकाएँ (diploid cells) बनती हैं। ये कोशिकाएँ जनन नली (germ tube) द्वारा वृद्धि , करती हैं तथा एस्कस से बाहर निकलकर स्प्राउट माइसीलियम (sprout mycelium)
बनाती हैं। इनसे मुकुलन द्वारा नई कोशिकाएँ बनती हैं। इसमें द्विगुणित अवस्था बहुत अधिक समय तक तथा अगुणित अवस्था बहुत कम समय तक रहती है।
- 3. हैप्लोडिप्लोबायोण्टिक (Haplodiplobiontic) – इस प्रकार का पीढ़ी ” इसमें का, एकान्तरण सैकेरोमाइसीज सेरेविसी (Saccharomyces cerevisiae) में मिलता है। इसमेंदो भिन्न स्ट्रेन की अगुणित कोशिकाएँ (haploid cells) संयुग्मन (fusion) करके द्विगुणित
कोशिका (diploid cell) बनाती हैं। ये कोशिकाएं मुकुलन (budding) द्वारा गुणन (multiply) करती हैं। बाद में ये एस्कस की भाँति कार्य करती हैं तथा अर्द्धसूत्री विभाजन के बाद चार एस्कोस्पोर्स बनाती हैं। अगुणित एस्कोस्पोर्स दो भिन्न स्ट्रेन के होते हैं। ये मुकुलन द्धारा अनेक कोशिकाएँ बनाते हैं। दो भिन्न स्ट्रेन की अगुणित कोशिकाएँ संयुग्मन कर पुनः द्विगणि कोशिका का निर्माण करती हैं। इसमें अगुणित तथा द्विगुणित अवस्थाएँ लगातार मुकुलन के द्धरा बनती हैं। दोनों अवस्थाओं का जीवन-चक्र में समान महत्त्व है।
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