BSc 1st Year Botany Economic Importance Of Bacteria Notes

BSc 1st Year Botany Economic Importance Of Bacteria Notes

 

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प्रश्न 5 – जीवाणुओं के आर्थिक महत्त्व पर निबन्ध लिखिए।

उत्तर

जीवाणुओं का आर्थिक महत्त्व 

(Economic Importance of Bacteria) Notes

जीव जीवाणु से मनुष्य जाति को लाभ व हानियाँ दोनों होती हैं। इनका वर्णन निम्न प्रकार है-

लाभप्रद क्रियाएँ

(Useful Activities) 1. भूमि उर्वरता (Soil Fertility)-जीवाणु भूमि उर्वरता की वृद्धि में सहायता करते हैं। भूमि से पौधों को निरन्तर नाइट्रोजन वाले पदार्थ उपलब्ध कराने में सहयोग देने वाले जीवाणुओं को तीन वर्गों में रखा गया है –

(i) अमोनीकारक जीवाणु (Ammonifving Bacteria)-ये जावाणु भूमि में उपस्थित प्रोटीनयुक्त पदार्थों (proteinaceous substances) को अमोनिया में परिवर्तित कर देते हैं। मुक्त अमोनिया जल तथा Co2 से मिलकर अमोनियम कार्बोनेट (ammonium carbonate) बनाती है। कछ फसलें (जैसे-Cereal crops) अमोनियम यौगिकों का नाइट्रोजन के स्रोत के रूप में उपयोग करती हैं। बैसीलस माइकोइडिस (Bacillus mycoides), बै० रेमोसस (B. ramosus) आदि अमोनीकारक जीवाणु हैं। |

(ii) नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation)-कुछ जीवाणु वायु में उपस्थित नाइट्रोजन को नाइट्रोजन के यौगिकों में बदल देते हैं। ।

(a) कुछ जीवाणु जैसे एजोटोबैक्टर (Azotobacter) तथा क्लास्ट्रडियम (clostridium) मिट्टी में स्वतन्त्र रूप से रहते हैं। ये मिट्टी के कणों के बीच उपस्थित वायु से नाइट्रोजन अवशोषित करके कार्बनिक नाट्रोजन यौगिकों में परिवर्तित कर देते हैं। इन जीवाणओं की मृत्यु होने पर इनके अपघटन से मुक्त अमोनिया जीवाणुओं की सहायता से पहले नाइट्राइट फिर नाइट्रेट में परिवर्तित होती है जिसका पौधों द्वारा उपयोग किया जा सकता है।

(b) लेग्यूमिनोसी कुल के पौधों (जैसे–चना, मटर) की जड़ों में ग्रन्थियाँ (nodules) मिलती हैं। इनमें रहने वाली जीवाणु (राइजोबियम लेग्यूमिनोसेरम, Rhizobium leguminosarum) वायु से मुक्त नाइट्रोजन को अवशोषित करके नाइट्रोजन यौगिक बनाते हैं। इसमें पौधे जीवाणु को रहने का स्थान देते हैं तथा बदले में जीवाणु पौधे को नाइट्रोजन यौगिक देते हैं। यह सहजीवन (symbiosis) का एक अनुपम उदाहरण है। इससे भूमि की उर्वरता (fertility) में वृद्धि होती है।

(c) नाइट्रीफाइंग जीवाणु (Nitrifying Bacteria)-ये दो प्रकार के होते हैं

(अ) अमोनिया को नाइट्राइट (NO2) में परिवर्तित करने वाले जीवाणु; जैसे बा को कालीसीन | नाइट्रोसोमोनास (Nitrosomonas) आदि।

(ब) नाइटाइट को नाइट्रेट में बदलने वाले . जीवाणु जैसे-नाइट्रोबैक्टर | (Nitrobacter)।

  1. खाद्य श्रृंखला में (In Food Chain)-कुछ जीवाणु पौधों व जन्तुओं के मृत शरीर के जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं। इस प्रकार से भूमि में उपयोगी तत्त्व संचित होते हैं तथा पौधे सुगमता से उनका उपयोग करते हैं।
  2. जीवाणुओं का उद्योगों में महत्त्व (Importance of Bacteria in Industry) औद्योगिक क्षेत्र में जीवाणुओं का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनके द्वारा अनेकों रासायनिक क्रियाएँ होती हैं। उनमें से कुछ का वर्णन निम्नवत् हैं __

(i) डेरी उद्योग में (In Dairy Industry)-दूध से बनने वाले तथा दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाले अनेक उत्पादों (जैसे-दही, पनीर, मक्खन आदि) को बनाने में लैक्टिक ऐसिड जीवाण का उपयोग होता है। ये जीवाणु दूध की लैक्टोज शुगर (lactose sugar) को लैक्टिक ऐसिड में बदल देते हैं जिससे दूध खट्टा हो जाता है। इस प्रकार की किण्वन क्रिया करने वाले जीवाणओं में स्टेप्टोकोकस लेक्टिस (Streptococcus lacti.. लेक्टोबैसीलस केसाई (Lactobacillus casei) आदि प्रमुख है।

(ii) जीवाणु अन्य पदार्थों के बनाने में भी सहायक होते हैं।

(iii) औषधियों के निर्माण में (In Preparations of Medicines)-जीवाणुओं से अनेक एण्टीबायोटिक्स (antibiotics) प्राप्त होती हैं। इनसे मनुष्य तथा पौधों में होने वाले अनेक रोगों का उपचार किया जाता है।

(iv) मल के अपघटन में (In Sewage Decomposition)-कृत्रिम जलाशयों में मलमूत्र, सड़े-गले पदार्थ आदि एकत्रित हो जाते हैं जिनसे कभी-कभी बीमारी आदि का खतरा होने लगता है परन्तु जीवाणु द्वारा इनका उपयोग पौधों द्वारा सम्भव हैं इस क्रिया में जटिल कार्बनिक पदार्थ सरल अकार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित होते हैं। इससे निकलने वाली CO2 का उपयोग शैवाल (Algae) कर लेती हैं और 02 निकालती हैं जिसका उपयोग अपघटन में होता है। अत: शैवाल तथा जीवाणु सहजीविता प्रदर्शित करते हैं।

हानिकारक क्रियाएँ

(Harmful Activities) Notes

  1. खाद्य पदार्थों का दूषण (Spoilage of Food)-जीवाणु खाने-पीने के पदार्थों पर सुगमता से वृद्धि करते हैं। कभी-कभी कुछ जीवाणु खाद्य पदार्थों का अपघटन करके उनमें विषैले पदार्थों (toxic substances) का संचय कर देते हैं। इन पदार्थों के सेवन से खाद्य विषाक्तता (food poisoning) होने का खतरा रहता है। इस प्रकार के कुछ जीवाणु स्टैफाइलोकोकस (Staphylococcus), माइक्रोकोकस (Micrococcus), क्लॉस्ट्रीडियम बोटुलिनम (Clostridium botulinum) आदि हैं।
  2. डीनाइट्रीफाइंग जीवाणु (Denitrifying Bacteria)-कुछ जीवाणु भूमि में उपस्थित नाइट्रेट को स्वतन्त्र नाइट्रोजन या अमोनिया में परिवर्तित कर देते हैं; जैसे-बैसीलस डीनाइट्रीफिकेन्स (Bacillus dinitrificans)।
  3. जीवाणुओं द्वारा मनुष्य तथा पौधों में अनेक रोग फैलाए जाते हैं जिनकी चिकित्सा में काफी धन व्यय होता है। पौधों में भी लगने वाली बीमारियों से प्रतिवर्ष अनाज, सब्जियों, फला मिली हई पर आदि को नुकसान होता है।

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