Mutation BSc Zoology Question Answer Notes

Mutation BSc Zoology Question Answer Notes

 

Mutation BSc Zoology Question Answer Notes :- In this post all the questions of the second part of zoology are fully answered. This post will provide immense help to all the students of BSc zoology. All Topic of zoology is discussed in detail in this post.

 


 

प्रश्न 8 – म्यूटेशन क्या है? जीन या गुणसूत्र म्यूटेशन का वर्णन कीजिए। म्यूटेशन का जैव विकास में महत्त्व का संक्षेप में वर्णन कीजिए। 

What is Mutation ? Describe gene or chromosomal ation. Briefly mention the importance of mutations in evolution. 

अथवा गुणसूत्र विपथन पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए। 

Write short note on chromosomal aberration.

अथवा जीन उत्परिवर्तन पर टिप्पणी लिखिए। 

Write note on gene mutation. 

अथवा गुणसूत्री विपथन (गुणसूत्रों में संरचना परिवर्तन) की व्याख्या कीजिए। 

Describe chromosomal aberration (structural changes in chromosomes).

उत्तर म्यूटेशन अथवा उत्परिवर्तन Mutation) – उत्परिवर्तनवाद हॉलैंड के डच जीव-वैज्ञानिक हूगो डी व्रीज (Hugo De Vries) ने सन् 1901 ई० में प्रस्तत किया था। इनके अनुसार किसी जाति के पौधों में आकस्मिक रूप में होने वाले वंशागत परिवर्तन को म्यूटेशन कहते हैं। उत्परिवर्तन सभी जीवों में अकस्मात् ही उत्पन्न होते हैं और नई जाति का सृजन करते हैं। डी व्रीज का कहना है कि विभिन्नताएँ दीर्घ होती हैं जो जीवों में अकस्मात् ही उत्पन्न हो जाती हैं। इस प्रकार नई जातियों की उत्पत्ति जर्मप्लाज्म में परिवर्तन के फलस्वरूप होती है, वातावरण के प्रभाव से नहीं, किन्तु एक नई जाति के बनने के बाद वातावरण केवल उन उत्परिवर्तित जीवों का वरण करता है जो उसके अनुकूल होते हैं और जो उत्परिवर्तन वातावरण के प्रतिकूल होते हैं नष्ट हो जाते हैं।

जीन म्यूटेशन

(Gene Mutation) Notes

DNA अणु में न्यूक्लियोटाइड की संख्या या विन्यास में परिवर्तन को जीन म्यूटेशन कहते हैं। इसके कारण जीन का रासायनिक संघटन बदल जाता है। इस प्रकार बदले हुए जीन को म्यूटेंट जीन या एलील कहते हैं। जीन म्यूटेशन दो प्रकार के होते हैं I

  1. प्रतिस्थापित जीन म्यूटेशन।

(Substitution Gene Mutation) Notes

DNA अणु के किसी एक या अधिक नाइट्रोजिनस क्षार का किसी दूसरे नाइट्रोजिनस क्षारों द्वारा विस्थापन होने पर जो जीन म्यूटेशन विकसित होते हैं, उन्हें| प्रतिस्थापित जीन म्यूटेशन कहते हैं। ये म्यूटेशन मुख्यत: DNA द्विआवृत्ति (duplication) के समय होते हैं। इसलिए इन्हें Copy error mutations भी कहते हैं। ये म्यूटेशन दो प्रकार के होते हैं

  1. संक्रमण या ट्रांजिशन द्वारा (By Transition)-DNA श्रृंखला में एक प्यूरीन क्षार के दूसरे प्यूरीन क्षार से या एक पिरिमिडीन के दूसरे पिरिमिडीन क्षार से प्रतिस्थापन को संक्रमण कहते हैं। DNA प्रतिकृति के समय किसी प्यूरीन या पिरिमिडीन क्षार का युग्मन गुण बदल जाता है जिससे परिवर्तित क्षार गलत क्षार से युग्मित हो जाता है। इससे एक सामान्य क्षार युगल दूसरे गलत क्षार युगल द्वारा विस्थापित हो जाता है; जैसे-

    Mutation BSc Zoology Question Answer Notes
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  2. अनुप्रस्थ विस्थापन (Transversion)-DNA में एक प्यूरीन क्षार के पिरिमिडीन क्षार से या पिरिमिडीन क्षार के प्यूरीन क्षार में विस्थापन को अनुप्रस्थ विस्थापन कहते हैं। विस्थापित पिरिमिडीन प्यूरीन से युग्मन करता है। इस प्रकार प्यूरीन-पिरिमिडीन क्षार युगल पिरिमिडीन-प्यूरीन युगल द्वारा विस्थापित हो जाता है।
  3. फ्रेमशिफ्ट म्यूटेशन (Frame-shift Mutation) 

ये DNA अणु में एक या अधिक न्यूक्लियोटाइड्स के घटने या बढ़ने से होते हैं। न्यूक्लियोटाइड्स का ह्रास या पुनर्वेशन DNA के एक या दोनों वलयकों में हो सकता है

Mutation BSc Zoology Question Answer Notes
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इस प्रकार के म्यूटेशन में न्यूक्लिओटाइड पुनर्वेशन या विलोपन के स्थान से का पूरा संदेश बदल जाता है और उनके साथ ही DNA में संकलित संदेश भी इसी कारण इन्हें फ्रेमशिफ्ट म्यूटेशन कहते हैं।

(1) यदि नाइट्रोजिनस क्षारों में सामान्य sequence …… ‘TACCATTAG है … यह पढ़ी जाएगी- (TAC) (CAT) (TAG)

(2) यदि (नाइट्रोजिनस क्षार CC नाइट्रोजिनस क्षारों के बीच जोड़ दी जाए. अनुक्रम हो जाता है : TACCCATTAG ….. तब यह पढ़ा जाएगा-(TAC) (CCA) (TTA) G ……

(3) यदि T नाइट्रोजिनस क्षार तीसरे कोडॉन से हटा दिया जाए तब अनुक्रम होगा….. TACCATAG ……

यह अब पढ़ा जाएगा-(TAC) (CAT) AG …….

गुणसूत्र म्यूटेशन (Chromosomal Mutations) Notes

गुणसूत्र की संरचना में होने वाले परिवर्तन गुणसूत्री उत्परिवर्तन कहलाते हैं। गुणसूत्र में जीन के विन्यास में तथा जीन की संख्या में होने वाले परिवर्तन इसके अन्तर्गत आते हैं। ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं I

1.गुणसूत्र में जीन्स की संख्या में परिवर्तन 

(Changes in the number of Genes in a Chromosome) 

  1. न्यूनता (Deficiency)-इसमें गुणसूत्र का कोई भाग टूटकर गिर जाता है और उस भाग में उपस्थित जीन्स का अभाव हो जाता है। इस प्रकार के गुणसूत्र को न्यूनता गुणसूत्र कहते हैं।
  2. 2. द्विरावृत्ति (Duplication)-एक जोड़े के दोनों गुणसूत्रों में से एक गुणसूत्र का कुछ भाग टूटकर दूसरे गुणसूत्र में जुड़ जाता है। इस प्रकार एक गुणसूत्र में उस जीन्स का अभाव और दूसरे में उसकी पुनरावृत्ति हो जाती है।
  3. गुणसूत्र में जीन्स के विन्यास में परिवर्तन

(Changes in the arrangement of Genes in a Chromosome)

1.स्थानान्तरण (Translocation)-किन्हीं दो असमजात गुणसूत्रों में कुछ भागों के विनिमय या आदान-प्रदान से नये प्रकार के गुणसूत्रों का निर्माण होता है जैसे गुणसूत्र | ABCDEF तथा GHIJKL में स्थानान्तरण द्वारा ABCJKL और GHIDEF जीन विन्यास हो जाता है।

  1. प्रतिलोमीकरण (Inversion)-एक ही गुणसूत्र में उसका कुछ भाग 180° पर घूम जाता है, उस गुणसूत्र में जीन्स के विन्यास का क्रम बदल जाता है तथा नये प्रकारका गुणसूत्र बन जाता है जैसे कि ABCDEFG में प्रतिलोमीकरण के बाद ABEDCFG | जीन विन्यास हो जाता है।

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म्यूटेशन का महत्त्व (Significance of Mutations)-~-म्यूटेशन लाभदायक, हानिकारक या विनाशकारी हो सकते हैं। लगभग 80% म्यूटेशन विनाशकारी होते हैं।

  1. लाभदायक म्यूटेशन-इनकी उपस्थिति जीवों के लिए लाभप्रद होती है जैसे ‘ कीटों का DDT या फ्लिट के लिए या जीवाणु का किसी विशेष एण्टीबायोटिक के प्रति प्रतिरोध का विकास।
  2. हानिकारक या रोधक म्यूटेशनइसे प्रकार के म्यूटेशन होमोजाइगस अवस्था में जीव की कार्य क्षमता को प्रभावित करते हैं। अप्रभावी होने के कारण हेटरोजाइगस अवस्था में इनका कोई असर दिखाई नहीं देता।
  3. घातक म्यूटेशन-जो म्यूटेशन हेटरोजाइगस अवस्था में हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं और होमोजाइगस अवस्था में जीव की मृत्यु का कारण होते हैं, उन्हें घातक म्यूटेशन कहते हैं।

म्यूटेशन आनुवंशिक विभिन्नताएँ प्रदान करते हैं जो प्राकृतिक वरण के प्रकार्य के लिए मूल आधार हैं। कम उपयोगी या हानिकारक म्यूटेशन प्राकृतिक वरण द्वारा विभेदी जनन के कारण विलुप्त हो जाते हैं, जबकि उपयोगी म्यूटेशन समष्टि के सदस्यों में परिक्षिप्त रहते हैं क्रमिक रूप से समष्टि में सुस्थापित हो जाते हैं। ये पीढ़ी-दर-पीढ़ी संचित होकर स्वाभाविक रूप से जनन करने वाली समष्टियों में अपसरण विकसित करते हैं।

परिवर्तित वातावरण एवं वहाँ रहने वाले जीवों के जीनोटाइप में परिवर्तन से पुनः साम्यावस्था स्थापित हो जाती है। म्यूटेशन जाति के जीवित रहने के लिए अत्यधिक परिव । प्राकृतिक वरण द्वारा केवल वही जाति जीवित रहने में समर्थ होती है जिसमें सावरण में रहने के लिए उपयोगी म्यूटेशन्स का समावेश होता है।

 


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