External Sturcture Of Paramecium BSc Zoology Notes
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प्रश्न 3 – पैरामीशियम की संरचना का वर्णन कीजिए।
Describe the structure of Paramecium.
संकुचनशील धानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
Write short note on contractile vacuole.
उत्तर –
पैरामीशियम की बाह्य संरचना
(External Structure of Paramecium)
पैरामीशियम स्लीपराकार, सिगाराकार या तर्क-आकार कहा जाता है। पैरामीशियम को स्लीपर जन्तुक (Slipper animalcule) भी कहते हैं। इसका शरीर लम्बा, अग्र सिरा कुन्द तथा गोलीय और पश्च सरा कुछ नुकीला होता है। इसके शरीर में मुख तल या अधर तल (oral or ventral surface) और अपमुख (aboral) तल अलग-अलग पहचाने जा सकते हैं।
इसके शरीर के अधर तल पर एक तेरछा तथा छिछला गर्त होता है जिसे मुख खाँच (Oral groove) कहते हैं। यह शरीर के मध्य से प्रारम्भ होती है और शरीर के अगले सरे के बाएँ पार्श्व तल तक फैल जाती है। मुख खाँच पीछे की ओर कछ गहरी होकर
शंक्वाकार तुम्बिका या प्रघाण (vestibule) बनाती है। यह तुम्बिका पीछे की ओर मुख गुहिका (buccal cavity) में खुलती है जिसमें आधारी मुख (cytostome) होता है।
तनुत्वक् (Pellicle)
पैरामीशियम के शरीर का बाहरी आवरण जीवित क्यूटिकल झिल्ली होता है जिसे तनुत्वक् कहते हैं। तनुत्वक् में नियमित रूप से पंचभुजी गर्त दिखायी देते हैं जिनके किनारे उभरे हुए होते हैं। प्रत्येक पंचभुजी (परिपक्ष्माभ अवकाश-Circumciliary space) गते के मध्य से एक पक्ष्माभ (cilium) निकलता है। वास्तव में पैरामीशियम की तनत्वक तीन कलाओं की बनी होती है-(i) बाहरी प्लाज्मा कला (ii) बाहरी कूपिकीय कला तथा (iii) अन्त:कूपिकीय कला ।
fig. 22 Paramecium : Surface view of Pellicle (a small area).
पक्ष्माभ (Cilia)
पैरामीशियम के पूरे शरीर पर असंख्य, महीन छोटे-छोटे रोम समान पक्ष्माभ होते हैं। इनकी लम्बाई 10u से 12u तक होती है। ये सचल पक्ष्माभ नियमित अनुदैर्घ्य पंक्तियों में व्यवस्थित रहते हैं। पूरे शरीर पर इनकी लम्बाई समान होती है, परन्तु पश्च सिरे के कुछ पक्ष्माभ बड़े होकर एक पुच्छीय गुच्छ (caudal tuft) बनाते हैं। इसी रचना के कारण इस जाति का नाम कॉडेटम दिया गया।
पैरामीशियम की आन्तरिक संरचना
(Internal Structure of Paramecium)
कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm)
तनुत्वक् के नीचे कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) होता है। यह दो भागों में बँटा होता है – बहिःद्रव्य परिधीय, सँकरा, स्वच्छ और गाढ़ा होता है जिसे एक्टोप्लाज्म कहते हैं। इसी भाग में अधःपक्ष्माभी तन्त्र तथा ट्राइकोसिस्ट होती हैं।
कोशिकाद्रव्य का भीतरी भाग बड़ा, कणदार और अर्द्ध-तरल एण्डोप्लाज्म कहलाता है। इसी भाग में माइटोकॉण्ड्रिया, गॉल्जीकाय; राइबोसोम्स, क्रिस्टल्स, संचित भोजन कणिकाएँ आदि होते हैं। पैरामीशियम बसैरिया में एक सहजीवी हरी शैवाल जूक्लोरेला भी पायी जाती है। इसी भाग में दो प्रकार के केन्द्रक होते हैं—एक बड़ा मैक्रो केन्द्रक तथा एक छोटा माइक्रो केन्द्रक। मैक्रो केन्द्रक वृक्क के समान होता है तथा इसमें अधिक DNA होता है। यह सोमैटिक होता है और कोशिका की उपापचयी क्रियाओं को नियन्त्रित करता है। जनन प्रक्रिया में इसकी व्युत्पत्ति लघुकेन्द्रक से होती है।
माइक्रो केन्द्रक, मैक्रो केन्द्रक के गर्त में स्थित रहता है तथा गोलाकार होता है। इसमें क्रोमोसोम्स की द्विगुणित संख्या होती है। यह जनन क्रियाओं पर नियन्त्रण करता है।
संकुचनशील उपकरण
(Contractile apparatus)
पैरामीशियम में दो संकुचनशील रिक्तिकाएँ होती हैं। ये शरीर की पृष्ठ सतह के निकट दोनों सिरों पर पायी जाती हैं। प्रत्येक रिक्तिका के चारों ओर लम्बी, सँकरी, तर्कुरूप 6 से 10 अरीय नलियाँ या ऐफेरेन्ट पलसेटिंग केनाल्स होती हैं जो कोशिकाद्रव्य में दूर तक फैली होती हैं। प्रत्येक संकुचनशील रिक्तिका पृष्ठ सतह की तनुत्वक् में स्थित एक स्थायी छिद्र द्वारा बाहर खुलती है।
ओरल उपकरण
(Oral apparatus)
पैरामीशियम में ओरल खाँच अधर तल पर पीछे की ओर एक नली समान मार्ग बनाती है जिसे नालाकार कोश या वेस्टीब्यूल कहते हैं। यह एक चौड़ी नालाकार बक्कल गुहा में खुलता है। बक्कल गुहा एक छोटे छिद्र द्वारा सँकरे साइटोफैरिंक्स में खुलती है। इसी छिद्र को साइटोस्टोम कहते हैं।
बक्कल गुहा में दायीं सीमा पर पक्ष्माभों की एक पंक्ति होती है जिस एण्डोरल कला कहते हैं। बायीं ओर पक्ष्माभों की चार पंक्तियों के तीन समूह होते हैं जो बक्कल गुहा के पिछले सिरे तक फैले होते हैं। ये पक्ष्माभी पंक्तियाँ महीन झिल्ली बनाती हैं। एण्डोरल कला से एक रिब्ड तनुत्वक् कोशिका मुख तक फैली रहती है।
साइटोपाइग
(Cytopyge)
पैरामीशियम के पश्च सिरे के निकट कोशिका मुख से कुछ पीछे तथा दायीं ओर एक्टोप्लाज्म तथा तनुत्वक् का एक छोटा भाग निर्ब होता है। मल त्याग के समय इस भाग में एक अति छोटा साइटोपाइग दिखाई देता है।
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Nice