Sex Determination BSc Zoology Question Answer Notes
Sex Determination BSc Zoology Question Answer Notes :- In this post all the questions of the second part of zoology are fully answered. This post will provide immense help to all the students of BSc zoology. All Topic of zoology is discussed in detail in this post.
Unit IV
प्रश्न 1 – लिंग निर्धारण से आप क्या समझते हैं? लिंग भिन्नता से यह किस प्रकार भिन्न है? गुणसूत्र लिंग निर्धारण के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
What do you understand by Sex determination ? How 18 different from Sex differentiation ? Describe Chromosome Theory of Sex determination.
अथवा लिंग निर्धारण के गुणसूत्र सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
Write short note on chromosomal theory of sex determination.
उत्तर –
लिंग निर्धारण
(Sex determination) Notes
अधिकांश जीवों में नर तथा मादा दो प्रकार के प्राणी होते हैं। प्राणियों की यह विशेषता लिंग (sex) कहलाती है। MeClung ने सन् 1962 ई० में लिंग निर्धारण का गुणसूत्री सिद्धान्त (Chromosomal Theory of Sex determination) प्रस्तुत किया।
प्रत्येक जीव के गुणसूत्र निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं
- ऑटोसोम (autosome) या अलिंग गुणसूत्र।
- लिंग गुणसूत्र (sex chromosome)।
- ऑटोसोम दैहिक गुणों का नियन्त्रण करते हैं।
- लिंग गुणसूत्र जीवधारियों के लिंग का निर्धारण करते हैं। ये असमगुणसूत्र (odd chromosomes) या X तथा Y-गुणसूत्र कहलाते हैं।
Wilson तथा Stevens (1905 ई०) ने देखा कि मादा में दो समान लिंग गुणसूत्र XX तथा नर में केवल एक X तथा odd Y-गुणसूत्र होता है। Y-गुणसूत्र, X-गुणसूत्र से एकदम भिन्न होता है। ये X तथा Y गुणसूत्र ऑटोसोम से बिल्कुल भिन्न होते हैं। इन्हें ऐलोसोम, हेटरोक्रोमेटिन या लिंग गुणसूत्र कहते हैं।
लिंग भिन्नता
(Sex differentiation) Notes
जीवों में लिंग निर्धारण लिंग गुणसूत्रों (sex chromosomes) द्वारा होता है जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है। लिंग निर्धारण में वातावरण तथा हॉर्मोन्स का कोई प्रभाव नहीं होता है, परन्तु कुछ जन्तुओं में वातावरण का लिंग भिन्नता में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। उदाहरण-बोनेलिया (Bonellia)। इस कृमि के लारवा उभयलिंगी होते हैं, किन्तु अण्डे से निकले कृमि को एकान्त में रखने पर यह मादा कृमि में विकसित होता है। यदि अण्डों से निकले कृमियों को ऐसे पानी में छोड़ दिया जाए जिसमें पहले से ही मादा कृमि हों तो ये नीचे अधस्तर से चिपककर तथा परिपक्व होकर मादा में विकसित हो जाते हैं। कुछ अण्डों से निकले कृमि मादा की शुंड से चिपककर वृक्ककों में पहुँचकर नर में विकसित हो जाते हैं। इससे स्पष्ट है कि मादा कृमि कोई ऐसा पदार्थ उत्पन्न करता है जिसके कारण उससे चिपके कृमि नर में विकसित हो जाते हैं।
हॉर्मोन का प्रभाव (Effect of hormone)-मवेशियों में भ्रूण के परिवर्द्धन के समय नर हॉर्मोन मादा हॉर्मोन्स से कुछ पहले ही निर्मित होने लगता है। यमजों (twins) में रुधिर एक यमज के बाद दूसरे के शरीर में से होकर बहता है क्योकि यमजों की गर्भ झिल्लियाँ इस प्रकार जुड़ी रहती हैं कि इन दोनों में रुधिर प्रवाह common होता है। इसीलिए नर हॉर्मोन मादा यमज के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिसके फलस्वरूप नर हॉर्मोन, मादा हॉर्मोन के नियन्त्रण में विकसित होने वाले मादा लक्षणों से पूर्व ही, कुछ लक्षणों को विभेदित कर देते हैं जिससे बंध्य मादा विकसित होती है।
जन्तुओं में लिंग निर्धारण
(Sex determination in Animals) Notes
अधिकांश diploid जीवों में एक जोड़ा लिंग-गुणसूत्र होते हैं, जो कि विशेषत: (specialized) लिंग निर्धारण के लिए होते हैं। दोनों लिंग में से एक (मानव में मादा तथा ड्रोसोफिला और नर पक्षी) में एक जोड़ा समान लिंग गुणसूत्र XX होते हैं, इन्हें homogametic sex कहते हैं। हेटरोगैमेटिक (heterogametic) लिंग दो प्रकार के बराबर-बराबर शुक्राणु उत्पन्न करता है। मानव में, नर में Y-गुणसूत्र तथा सामान्य मादा में X0 गुणसूत्र होते हैं।
लिंग निर्धारण का गुणसूत्री सिद्धान्त
(Chromosomal Theory of Sex determination) Notes
इस सिद्धान्त के अनुसार, प्राणियों (मानव) में दो प्रकार के गुणसूत्र पाए जाते हैं (i) समजात या अलिंग गुणसूत्र (autosomes) तथा (ii) लिंग गुणसूत्र या एलोसोम (sex chromosomes or allosomes)। सभी जीवों में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित होती है जिसे 2X (द्विगुणित) से प्रदर्शित करते हैं। इनमें से दो गुणसूत्र लिंग गुणसूत्र (sex chromosome) होते हैं।
मानव में लिंग गुणसूत्र दो प्रकार के होते हैं—x तथा Y| स्त्रियों में दोनों लिंग गुणसूत्र (XX) समान होते हैं तथा पुरुष में लिंग गुणसूत्र असमान (XY) होते हैं। पक्षियों में, विषमयुग्मजी होने के कारण मादा को ZW से तथा समयुग्मजी होने के कारण नर को ZZ से प्रदर्शित करते हैं। युग्मक में केवल एक ही लिंग गुणसूत्र होता है। लिंग गुणसूत्रों की भिन्नता ही लिंग निर्धारित करती है। लिंग गुणसूत्रों के अनुसार लिंग निर्धारण निम्न प्रकार से होता है
लिंग निर्धारण कीXY विधि (The XY-method of Sex determination) इसमें स्त्री के दोनों लिंग गुणसूत्र XX होते हैं तथा पुरुष में लिंग गुणसूत्र XY होता है। स्त्री में अण्डाणुओं में दैहिक गुणसूत्रों का एक अगुणित समुच्चय (set) तथा एक x लिंग गुणसूत्र होता है (22 + X)। इस प्रकार सारे अण्डाणु समान जीन संरचना वाले होते हैं। अतः स्त्री को समयुग्मकी लिंग (homogametic sex) कहते हैं। इसके विपरीत पुरुष में शुक्राणुजनन के फलस्वरूप बने 50% शुक्राणुओं में दैहिक गुणसूत्रों का एक समुच्चय तथा Y गुणसूत्र (22 + X या 22 + Y) होते हैं। पुरुष में दो प्रकार के शुक्राणुओं का निर्माण होता है। लगभग 50% शुक्राणु 22 + X तथा शेष 50% शुक्राणु 22 + Y गुणसूत्रों वाले होते हैं। अत: पुरुष को विषमयुग्मकी लिंग (heterogametic sex) कहते हैं।
निषेचन के समय यदि 22 +Y शुक्राणु का समेकन अण्डाणु के साथ होता है, तब नर सन्तान (पुत्र) पैदा होती है। यदि अण्डाणु का समेकन 22 + X शुक्राणु के साथ होता है, तब मादा सन्तान (पुत्री) पैदा होती है। यह केवल संयोग है कि कौन-से शुक्राणु का समेकन अण्डाणु के साथ होता है। इसी के आधार पर सन्तान का लिंग निर्धारण । होता है।
लिंग सहलग्न जीन (Sex-linked genes) के अध्ययन हेतु मॉर्गन ने ड्रोसोफिला में अनेक द्विसंकर संकरण (dihybrid cross) किए। जैसे-पीले शरीर और सफेद नेत्रों वाली मादा मक्खियों का संकरण भरे शरीर और लाल नेत्रों वाली नर मक्खियों के साथ किया। अपने प्रयोगों से मॉर्गन ने सहलग्नता (linkage) को प्रदर्शित किया। ड्रोसोफिला पर द्विसंकर संकरण प्रयोगों से मॉर्गन को F, पीढ़ी में 9 : 3 : 3 : 1 अनुपात (जैसा मण्डल ने मटर पर प्रयोगों से प्राप्त किया था) प्राप्त नहीं हुआ। इससे मॉर्गन ने स्पष्ट किस कि एक ही गुणसूत्र पर स्थित कुछ जीन्स साथ-साथ वंशागत होते हैं, इन्हें सहलग्न जीन कहते हैं।
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ड्रोसोफिला में लिंग निर्धारण
(Sex determination in Drosophila) Notes
ड्रोसोफिला में गुणसूत्रों की संख्या 8 होती है-छह ऑटोसोम्स नर तथा मादा दोनों में एवं चौथा जोड़ा (दो गुणसूत्र) लिंग गुणसूत्र होता है। नर में यह XY है तथा मादा में Xx है।
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